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अपनी ही जमीन के लिए धरना देने को मजबूर नौसैनिक का परिवार

राजधानी लखनऊ में भारतीय नौसैनिक का परिवार अपनी जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए धरने पर बैठा हुआ है. एटा जिले के रहने वाले नौसैनिक की पुश्तैनी जमीन पर गांव के ही लोगों ने कब्जा कर लिया है. जिले में न्याय न मिलने के बाद नौसैनिक का परिवार लखनऊ में धरना देने को मजबूर है.

धरने पर बैठा नौसैनिक का परिवार.
धरने पर बैठा नौसैनिक का परिवार.
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Published : Mar 18, 2021, 5:28 PM IST

लखनऊः देश की सुरक्षा करने के लिए सरहदों पर तैना सैनिक का परिवार अपनी जमीन दबंगों से कब्जा मुक्त करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. मजबूर होकर परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ राजधानी लखनऊ में धरना देने को विवश है. भारतीय नौसेना में कार्यरत सैनिक का परिवार लखनऊ के आलमबाग स्थित इको गार्डन में धरना दे रहा है.

लखनऊ में धरने पर बैठा नौसैनिक का परिवार.

बच्चों के साथ धरने पर बैठी नौसैनिक की पत्नी
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है. वहीं एटा जिले के भारतीय नौसेना में कार्यरत पुरुषोत्तम गांधी का परिवार अपने पुश्तैनी जमीन पर किए गए अवैध कब्जे को खाली कराने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. सैनिक की पत्नी यशोदा का कहना है कि जब तक हमारी पुश्तैनी जमीन पर से दबंगों का कब्जा नहीं हटाया जाता तब तक हम लोग लखनऊ में ही धरना प्रदर्शन करते रहेंगे. यशोदा के साथ उसके दो मासूम बेटे तथा देवर व एक भतीजी धरना स्थल पर धरना दे रहे हैं.

पुश्तैनी जमीन पर गांव के लोगों ने किया कब्जा
एटा जिले के जलेसर तहसील अंतर्गत ग्राम गढ़िया अतरौली निवासी भारतीय नौसेना में कार्यरत पुरुषोत्तम गांधी की पुश्तैनी जमीन लॉकडाउन के दौरान गांव के ही सुल्तान सिंह, रमेश चंद्र, हेत सिंह, डूंगर सिंह, रामपाल सिंह, सत्यवीर सिंह आदि लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है. धरने पर बैठी पुरुषोत्तम गांधी की पत्नी यशोदा ने बताया कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन दबंगों से सांठगांठ कर उनकी जमीन पर अवैध कब्जा करा दिया है.

यह भी पढ़ें-जमीन को कब्जा मुक्त कराने के लिए कलेक्ट्रेट पर दिया धरना

एटा में धरने से भगाया
दर-दर की ठोकरें खाने के बाद जब न्याय नहीं मिला तो मजबूर एटा जिले में धरने पर बैठे थे. 8 दिन धरना देने के बाद जबरन उन्हें भगा दिया गया. सैनिक की पत्नी ने बताया कि इसके बाद हम लोगों ने लखनऊ के आलमबाग स्थिति को गार्डन धरना स्थल पर परिवार सहित धरना दे रहे हैं. दबंगों द्वारा उसके पति को जान से मारने की धमकी दी जा रही है और स्थानीय पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है. पीड़िता के अनुसार पूरे मामले में स्थानीय लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध है. पीड़िता का कहना है कि जब तक उसे न्याय नहीं मिल जाता तब तक वह अपने परिवार के साथ धरने पर बैठी रहेगी.

लखनऊः देश की सुरक्षा करने के लिए सरहदों पर तैना सैनिक का परिवार अपनी जमीन दबंगों से कब्जा मुक्त करवाने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. मजबूर होकर परिवार अपने छोटे-छोटे बच्चों के साथ राजधानी लखनऊ में धरना देने को विवश है. भारतीय नौसेना में कार्यरत सैनिक का परिवार लखनऊ के आलमबाग स्थित इको गार्डन में धरना दे रहा है.

लखनऊ में धरने पर बैठा नौसैनिक का परिवार.

बच्चों के साथ धरने पर बैठी नौसैनिक की पत्नी
उत्तर प्रदेश की योगी सरकार जहां जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है. वहीं एटा जिले के भारतीय नौसेना में कार्यरत पुरुषोत्तम गांधी का परिवार अपने पुश्तैनी जमीन पर किए गए अवैध कब्जे को खाली कराने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने को मजबूर है. सैनिक की पत्नी यशोदा का कहना है कि जब तक हमारी पुश्तैनी जमीन पर से दबंगों का कब्जा नहीं हटाया जाता तब तक हम लोग लखनऊ में ही धरना प्रदर्शन करते रहेंगे. यशोदा के साथ उसके दो मासूम बेटे तथा देवर व एक भतीजी धरना स्थल पर धरना दे रहे हैं.

पुश्तैनी जमीन पर गांव के लोगों ने किया कब्जा
एटा जिले के जलेसर तहसील अंतर्गत ग्राम गढ़िया अतरौली निवासी भारतीय नौसेना में कार्यरत पुरुषोत्तम गांधी की पुश्तैनी जमीन लॉकडाउन के दौरान गांव के ही सुल्तान सिंह, रमेश चंद्र, हेत सिंह, डूंगर सिंह, रामपाल सिंह, सत्यवीर सिंह आदि लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया है. धरने पर बैठी पुरुषोत्तम गांधी की पत्नी यशोदा ने बताया कि स्थानीय पुलिस और प्रशासन दबंगों से सांठगांठ कर उनकी जमीन पर अवैध कब्जा करा दिया है.

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एटा में धरने से भगाया
दर-दर की ठोकरें खाने के बाद जब न्याय नहीं मिला तो मजबूर एटा जिले में धरने पर बैठे थे. 8 दिन धरना देने के बाद जबरन उन्हें भगा दिया गया. सैनिक की पत्नी ने बताया कि इसके बाद हम लोगों ने लखनऊ के आलमबाग स्थिति को गार्डन धरना स्थल पर परिवार सहित धरना दे रहे हैं. दबंगों द्वारा उसके पति को जान से मारने की धमकी दी जा रही है और स्थानीय पुलिस हाथ पर हाथ धरे बैठी हुई है. पीड़िता के अनुसार पूरे मामले में स्थानीय लेखपाल, कानूनगो, तहसीलदार की भूमिका संदिग्ध है. पीड़िता का कहना है कि जब तक उसे न्याय नहीं मिल जाता तब तक वह अपने परिवार के साथ धरने पर बैठी रहेगी.

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