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एलडीए में 12 करोड़ के 13 प्लॉटों का फर्जी निबंधन, जिम्मेदार केवल एक बाबू

एलडीए में करीब 12 करोड़ बाजार कीमत के 13 भूखंडों का फर्जी निबंधन का एक और मामला सामने आया है, जिसमें केवल एक लिपिक को निंलंबित कर दिया गया.

एलडीए में 12 करोड़ के 13 प्लॉटों का फर्जी निबंधन
एलडीए में 12 करोड़ के 13 प्लॉटों का फर्जी निबंधन
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Published : Oct 8, 2021, 10:50 PM IST

लखनऊ: एलडीए में करीब 12 करोड़ बाजार कीमत के 13 भूखंडों का फर्जी निबंधन का एक और मामला सामने आया है, जिसमें केवल एक लिपिक को निलंबित कर दिया गया. हालांकि, गोमती नगर में थाने में मामले की तहरीर देकर पूरे मामले को दबाने की तैयारी की जा रही है. 13 फर्जी रजिस्टी केवल एक बाबू की वजह से हो गई. ये बात किसी को भी हजम नहीं हो रही है. मगर, प्राधिकरण के अफसर पहले की ही तरह मामले को दबाने के लिए एक कर्मचारी के सिर पर ठीकरा फोड़ कर साफ बच कर निकलना चाह रहे हैं. माना जा रहा है कि लंबे समय से ये प्रकरण खुली किताब की तरह एलडीए के अफसरों के सामने थे. मगर, उन्होंने किसी अधिकारी पर एक्शन लेने की जगह केवल एक कर्मचारी को जिम्मेदार ठहरा कर पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया है.


प्राधिकरण की ओर से प्लॉटों की एक पूरी सूची जारी कर गई है. विनम्र दो में 156 ए पीर मोहम्मद, 200 एफ अवधेश कुूमार, 202 ए1 उमाशंकर, विनम्र 3 में 123 रवींद्र कुमार सिंह, विनम्र खंड 1 में 153 ए इशरत जहां, वास्तुखंड तीन में 630 मो. शकील, विकल्प खंड तीन में 96 अनीता, विकल्पखंड चार में 67 ए मीना, विराज खंड दो में 51 एम राजनाथ मिश्र, 150 राजेश पाठक, विभूतिखंड दो में 62 नंबर नीरज सिंह, विराट खंड तीन 293 में रामऔतार और विनीत खंड 1 में 162 नंबर राजनाथ मिश्र के नाम दर्ज है, जिसका निबंधन फर्जी पाया गया है. प्राधिकरण ने एक बिना नाम की विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें किसी भी अफसर का नाम नहीं दर्ज किया गया है, जिसमें कहा गया है कि इन फर्जी निबंधनों में निबंधन प्रकोष्ठ के बाबू पवन कुमार को निलंबित कर दिया गया है, जबकि एक एफआइआर दर्ज करने के लिए गोमती नगर थाने में तहरीर दे दी गई.


इसके अलावा प्राधिकरण के किसी भी अफसर को इस मामले में जिम्मेदार नहीं माना गया है. प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी का पक्ष जानने के लिए उनको मैसेज किया गया और कई बार फोन भी मिलाया गया. मगर, उन्होंने कोई भी जवाब नहीं दिया.

इसे भी पढे़ं-फर्जी आवंटन के खतरे से बचने के लिए LDA के बाबुओं की कम्प्यूटर ID ब्लॉक



इस मामले में प्राधिकरण में सक्रिय दलालों, घाघ बाबुओं और भ्रष्ट अफसरों के गठजोड़ ने अरबों का खेल किया है. इन लोगों ने मिल कर कागजों में हेराफेरी की और फर्जी रजिस्टी करवा दी गईं. प्राधिकरण के कंप्यूटरों में भी ये संपत्तियां दर्ज हैं. मजे की बात ये है कि इनमें से कई प्लाट एक ही व्यक्ति के नाम भी दर्ज किए गए हैं.

लखनऊ: एलडीए में करीब 12 करोड़ बाजार कीमत के 13 भूखंडों का फर्जी निबंधन का एक और मामला सामने आया है, जिसमें केवल एक लिपिक को निलंबित कर दिया गया. हालांकि, गोमती नगर में थाने में मामले की तहरीर देकर पूरे मामले को दबाने की तैयारी की जा रही है. 13 फर्जी रजिस्टी केवल एक बाबू की वजह से हो गई. ये बात किसी को भी हजम नहीं हो रही है. मगर, प्राधिकरण के अफसर पहले की ही तरह मामले को दबाने के लिए एक कर्मचारी के सिर पर ठीकरा फोड़ कर साफ बच कर निकलना चाह रहे हैं. माना जा रहा है कि लंबे समय से ये प्रकरण खुली किताब की तरह एलडीए के अफसरों के सामने थे. मगर, उन्होंने किसी अधिकारी पर एक्शन लेने की जगह केवल एक कर्मचारी को जिम्मेदार ठहरा कर पूरे मामले से अपना पल्ला झाड़ लिया है.


प्राधिकरण की ओर से प्लॉटों की एक पूरी सूची जारी कर गई है. विनम्र दो में 156 ए पीर मोहम्मद, 200 एफ अवधेश कुूमार, 202 ए1 उमाशंकर, विनम्र 3 में 123 रवींद्र कुमार सिंह, विनम्र खंड 1 में 153 ए इशरत जहां, वास्तुखंड तीन में 630 मो. शकील, विकल्प खंड तीन में 96 अनीता, विकल्पखंड चार में 67 ए मीना, विराज खंड दो में 51 एम राजनाथ मिश्र, 150 राजेश पाठक, विभूतिखंड दो में 62 नंबर नीरज सिंह, विराट खंड तीन 293 में रामऔतार और विनीत खंड 1 में 162 नंबर राजनाथ मिश्र के नाम दर्ज है, जिसका निबंधन फर्जी पाया गया है. प्राधिकरण ने एक बिना नाम की विज्ञप्ति जारी की है, जिसमें किसी भी अफसर का नाम नहीं दर्ज किया गया है, जिसमें कहा गया है कि इन फर्जी निबंधनों में निबंधन प्रकोष्ठ के बाबू पवन कुमार को निलंबित कर दिया गया है, जबकि एक एफआइआर दर्ज करने के लिए गोमती नगर थाने में तहरीर दे दी गई.


इसके अलावा प्राधिकरण के किसी भी अफसर को इस मामले में जिम्मेदार नहीं माना गया है. प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अक्षय त्रिपाठी का पक्ष जानने के लिए उनको मैसेज किया गया और कई बार फोन भी मिलाया गया. मगर, उन्होंने कोई भी जवाब नहीं दिया.

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इस मामले में प्राधिकरण में सक्रिय दलालों, घाघ बाबुओं और भ्रष्ट अफसरों के गठजोड़ ने अरबों का खेल किया है. इन लोगों ने मिल कर कागजों में हेराफेरी की और फर्जी रजिस्टी करवा दी गईं. प्राधिकरण के कंप्यूटरों में भी ये संपत्तियां दर्ज हैं. मजे की बात ये है कि इनमें से कई प्लाट एक ही व्यक्ति के नाम भी दर्ज किए गए हैं.

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