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लखनऊ नगर निगम में फर्जी नियुक्ति पत्र से नौकरी का खेल, खुलासा होने पर मचा हड़कंप

लखनऊ नगर निगम में फर्जी नियुक्ति (Fake appointment in Lucknow Municipal Corporation) का मामला सामने आया है. इसके खुलासे के बाद लखनऊ नगर निगम के अफसरों में हड़कंप मच गया है.

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Published : May 1, 2023, 7:08 AM IST

लखनऊ: लखनऊ नगर निगम में फर्जी नियुक्ति के मामले (Fake appointment in Lucknow Municipal Corporation) लगातार सामने आ रहे हैं. एक बार फिर सात फर्जी नियुक्ति पत्र पकड़े गए हैं. यह लोग नियुक्ति पत्र लेकर ज्वाइनिंग करने पहुंचे, तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के ही एक निलंबित कर्मचारी का नाम सामने आया है.

दो दिन पहले संध्या नाम की युवती फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर पहुंची थी. इसके बाद महिला ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी और नगर आयुक्त को लिखकर दिया है कि उसे यह नियुक्ति पत्र विभाग के ही कर्मचारी ने दिया था. उसे पूर्व में सस्पेंड किया जा चुका है. इसी तरह के 6 अन्य मामले भी पकड़े गए हैं. इनमें फर्जी नियुक्ति पत्र जारी किया गया है. इनकी जांच चल रही है. नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुनील रावत ने सभी जोनल सेनेटरी अफसरों को निर्देश दिए हैं कि किसी की ज्वाइनिंग कराने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करा लें.

ट्रांसफर आदेश पर भी तभी ज्वाइन कराएं, जब पूरी जांच पड़ताल और मुख्यालय से इनकी नियुक्ति की पुष्टि हो जाए. पकड़े गए फर्जी नियुक्ति पत्र के मामले मृतक आश्रित और ट्रांसफर कोटे के हैं. यानी कर्मचारी को मृतक दिखाकर उनका बेटा बेटी बनाकर नियुक्ति पत्र जारी किया गया है. नगर आयुक्त तथा नगर स्वास्थ्य अधिकारी के हस्ताक्षर से नियुक्ति पत्र जारी हुआ है. नगर निगम की ओर से फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करायी गयी है.


नगर निगम ने 25 बीघे जमीन से कब्जे हटवाए: लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation) की भूमि पर अवैध रूप से की गई प्लाटिंग व अतिक्रमण को हटवाया गया. अमौसी ग्राम में नगर निगम की लगभग 25 बीघे जमीन पर लोगों ने अनधिकृत रूप से प्लाटिंग कर ली थी. यहां अवैध तरीके से निर्माण कर लिया गया था. नगर निगम के अधिकारियों ने इसका सर्वे कर चिन्हित किया गया था. रविवार को भूमि पर हुए पक्के निर्माण(प्लाटिंग के उद्देश्य से नींव आदि को) को तोड़ कर भूमि को कब्जा मुक्त किया गया और अतिक्रमण को हटाया गया.

इस जमीन की बाजार में अनुमानित कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये बतायी जा रही है. अभियान संपत्ति प्रभारी अधिकारी व डिप्टी कलेक्टर अलंकार अग्निहोत्री के नेतृत्व में जोनल अधिकारी जोन 5 संगीता कुमारी, नगर अभियंता जोन 5 एससी सिंह, नायब तहसीलदार अंकिता सिंह, कर अधीक्षक जोन 5 संजय भारती व सुदेश यादव, राजस्व निरीक्षक जोन 5 हर्शेन्द्र व सुरभी, ईटीएफ राम सुमेर, सम्पति विभाग लेखपाल प्रशांत, कानूनगो सुरेश चंद्र, नगर निगम जेई उमेश पाल एवं नगर निगम जोन 5 की 296 टीम की उपस्थिति में चलाया गया.

नगरीय निकायों में अवैध कब्जें होंगे ध्वस्त
लखनऊ: नगरीय निकायों में सार्वजनिक भूमि, पार्क, तालाब, पोखर समेत अन्य सरकारी जमीन पर अनधिकृत कब्जों को ध्वस्त किया जाएगा. शासन ने निकायों को ऐसे अवैध निर्माण व अतिक्रमण को चिन्हित कर रविवार को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. राज्य स्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स की समीक्षा बैठक में पाया गया कि नगरीय निकायों में सार्वजनिक भूमि पर किए गए अवैध कब्जों एवं अवैध कब्जेदारों की सूचना एंटी भूमाफिया पोर्टल पर नगण्य है. निर्णय लिया गया कि नियमानुसार कार्रवाई के साथ ही इसकी जानकारी एंटी भूमाफिया पोर्टल (आईजीआरएस पोर्टल) पर भी देना अनिवार्य होगा.

पहले भी भू माफियाओं के कब्जे से करोड़ों की जमीन खाली करायी जा चुकी है. अब नगरीय निकाय में यह अभियान चला कर सरकारी भूमि को अवैध निर्माण से मुक्त कराने का निर्णय लिया गया है. आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक नगरीय निकाय से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने निकाय में ऐसी सार्वजनिक भूमियों, पार्क, तालाब, पोखर इत्यादि को चिन्हित करेंगे, जिनका भूमाफिया या किसी के भी द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है. ऐसी सभी सरकारी संपत्ति को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए. प्रत्येक नगरीय निकाय का यह दायित्व होगा कि वह अपने निकाय से संबंधित सूचना निदेशक स्थानीय निकाय निदेशालय को उपलब्ध कराएंगे.

वहीं निदेशक, स्थानीय निकाय निदेशालय इस सूचना को शासन को उपलब्ध कराएंगे. प्रदेश में सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाने एवं अवैध कब्जेदारों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई कराने के लिए राजस्व विभाग की ओर से एंटी भूमाफिया अभियान 2017 से प्रारंभ किया गया था. अभियान की समीक्षा के लिए चार स्तरीय टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है. इसमें राज्य, मंडल, जनपद और तहसील स्तर पर समीक्षा होती है. मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा राज्य स्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स के अध्यक्ष हैं.

ये भी पढ़ें- प्रेमी ने शादी का झांसा देकर बनाए शारीरिक संबंध, युवती का अश्लील वीडियो भेजकर तुड़वा दिया रिश्ता

लखनऊ: लखनऊ नगर निगम में फर्जी नियुक्ति के मामले (Fake appointment in Lucknow Municipal Corporation) लगातार सामने आ रहे हैं. एक बार फिर सात फर्जी नियुक्ति पत्र पकड़े गए हैं. यह लोग नियुक्ति पत्र लेकर ज्वाइनिंग करने पहुंचे, तो फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ. फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने में नगर निगम के स्वास्थ्य विभाग के ही एक निलंबित कर्मचारी का नाम सामने आया है.

दो दिन पहले संध्या नाम की युवती फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर पहुंची थी. इसके बाद महिला ने नगर स्वास्थ्य अधिकारी और नगर आयुक्त को लिखकर दिया है कि उसे यह नियुक्ति पत्र विभाग के ही कर्मचारी ने दिया था. उसे पूर्व में सस्पेंड किया जा चुका है. इसी तरह के 6 अन्य मामले भी पकड़े गए हैं. इनमें फर्जी नियुक्ति पत्र जारी किया गया है. इनकी जांच चल रही है. नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुनील रावत ने सभी जोनल सेनेटरी अफसरों को निर्देश दिए हैं कि किसी की ज्वाइनिंग कराने से पहले पूरी जांच-पड़ताल करा लें.

ट्रांसफर आदेश पर भी तभी ज्वाइन कराएं, जब पूरी जांच पड़ताल और मुख्यालय से इनकी नियुक्ति की पुष्टि हो जाए. पकड़े गए फर्जी नियुक्ति पत्र के मामले मृतक आश्रित और ट्रांसफर कोटे के हैं. यानी कर्मचारी को मृतक दिखाकर उनका बेटा बेटी बनाकर नियुक्ति पत्र जारी किया गया है. नगर आयुक्त तथा नगर स्वास्थ्य अधिकारी के हस्ताक्षर से नियुक्ति पत्र जारी हुआ है. नगर निगम की ओर से फर्जी नियुक्ति पत्र जारी करने वाले लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज नहीं करायी गयी है.


नगर निगम ने 25 बीघे जमीन से कब्जे हटवाए: लखनऊ नगर निगम (Lucknow Municipal Corporation) की भूमि पर अवैध रूप से की गई प्लाटिंग व अतिक्रमण को हटवाया गया. अमौसी ग्राम में नगर निगम की लगभग 25 बीघे जमीन पर लोगों ने अनधिकृत रूप से प्लाटिंग कर ली थी. यहां अवैध तरीके से निर्माण कर लिया गया था. नगर निगम के अधिकारियों ने इसका सर्वे कर चिन्हित किया गया था. रविवार को भूमि पर हुए पक्के निर्माण(प्लाटिंग के उद्देश्य से नींव आदि को) को तोड़ कर भूमि को कब्जा मुक्त किया गया और अतिक्रमण को हटाया गया.

इस जमीन की बाजार में अनुमानित कीमत लगभग 15 करोड़ रुपये बतायी जा रही है. अभियान संपत्ति प्रभारी अधिकारी व डिप्टी कलेक्टर अलंकार अग्निहोत्री के नेतृत्व में जोनल अधिकारी जोन 5 संगीता कुमारी, नगर अभियंता जोन 5 एससी सिंह, नायब तहसीलदार अंकिता सिंह, कर अधीक्षक जोन 5 संजय भारती व सुदेश यादव, राजस्व निरीक्षक जोन 5 हर्शेन्द्र व सुरभी, ईटीएफ राम सुमेर, सम्पति विभाग लेखपाल प्रशांत, कानूनगो सुरेश चंद्र, नगर निगम जेई उमेश पाल एवं नगर निगम जोन 5 की 296 टीम की उपस्थिति में चलाया गया.

नगरीय निकायों में अवैध कब्जें होंगे ध्वस्त
लखनऊ: नगरीय निकायों में सार्वजनिक भूमि, पार्क, तालाब, पोखर समेत अन्य सरकारी जमीन पर अनधिकृत कब्जों को ध्वस्त किया जाएगा. शासन ने निकायों को ऐसे अवैध निर्माण व अतिक्रमण को चिन्हित कर रविवार को कार्रवाई के निर्देश दिए हैं. राज्य स्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स की समीक्षा बैठक में पाया गया कि नगरीय निकायों में सार्वजनिक भूमि पर किए गए अवैध कब्जों एवं अवैध कब्जेदारों की सूचना एंटी भूमाफिया पोर्टल पर नगण्य है. निर्णय लिया गया कि नियमानुसार कार्रवाई के साथ ही इसकी जानकारी एंटी भूमाफिया पोर्टल (आईजीआरएस पोर्टल) पर भी देना अनिवार्य होगा.

पहले भी भू माफियाओं के कब्जे से करोड़ों की जमीन खाली करायी जा चुकी है. अब नगरीय निकाय में यह अभियान चला कर सरकारी भूमि को अवैध निर्माण से मुक्त कराने का निर्णय लिया गया है. आदेश में कहा गया है कि प्रत्येक नगरीय निकाय से अपेक्षा की जाती है कि वह अपने निकाय में ऐसी सार्वजनिक भूमियों, पार्क, तालाब, पोखर इत्यादि को चिन्हित करेंगे, जिनका भूमाफिया या किसी के भी द्वारा अतिक्रमण किया जा रहा है. ऐसी सभी सरकारी संपत्ति को अतिक्रमण से मुक्त कराया जाए. प्रत्येक नगरीय निकाय का यह दायित्व होगा कि वह अपने निकाय से संबंधित सूचना निदेशक स्थानीय निकाय निदेशालय को उपलब्ध कराएंगे.

वहीं निदेशक, स्थानीय निकाय निदेशालय इस सूचना को शासन को उपलब्ध कराएंगे. प्रदेश में सार्वजनिक भूमि से अतिक्रमण हटाने एवं अवैध कब्जेदारों के विरुद्ध प्रभावी कार्रवाई कराने के लिए राजस्व विभाग की ओर से एंटी भूमाफिया अभियान 2017 से प्रारंभ किया गया था. अभियान की समीक्षा के लिए चार स्तरीय टास्क फोर्स का भी गठन किया गया है. इसमें राज्य, मंडल, जनपद और तहसील स्तर पर समीक्षा होती है. मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्रा राज्य स्तरीय एंटी भूमाफिया टास्क फोर्स के अध्यक्ष हैं.

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