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यूपी में बढ़ा कोरोना, केजीएमयू में नेत्रदान और कार्निया ट्रांसप्लांट ठप

लखनऊ स्थित केजीएमयू (KGMU) में कोरोना के कारण जनवरी में नेत्रदान और कॉर्निया ट्रांसप्लांट (Eye donation and Cornea Transplant) ठप हो गया है. इसके कारण दृष्टिबधितों (Visually Impaired People) को नई दृष्टि पाने के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा.

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Published : Jan 25, 2022, 1:30 PM IST

लखनऊः यूपी में कोरोना (Corona) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में जनवरी माह में नेत्रदान महादान अभियान (Netradan Mahadan Abhiyan) पर ब्रेक लग गया है. उधर, कॉर्निया ट्रांसप्लांट (Cornea Transplant) भी ठप हो गया. ऐसे में दृष्टिबधितों (Visually Impaired People) को जिंदगी में रोशनी के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा.

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (King George's Medical University) में हर महीने 40 से 50 नेत्रदान होते थे, वहीं नेत्रदान के लिए शवों का कोरोना टेस्ट अनिवार्य है. ऐसे में नेत्रदान (Eye donation) की प्रक्रिया बेपटरी हो गई. साथ ही जनवरी माह में कॉर्निया ट्रांसप्लांट भी ठप हो गया.

केजीएमयू आई बैंक (KGMU Eye Bank) के डायरेक्टर डॉ. अरुण शर्मा के मुताबिक, कोरोना की वजह से फिलवक्त कॉर्निया ट्रांसप्लांट बंद हो गया. केजीएमयू में नवंबर माह में 118 ट्रांसप्लांट और दिसंबर माह में 125 ट्रांसप्लांट किया गया.

डॉ. अरुण शर्मा ने कहा कि नेत्रदान कर दूसरे का जीवन रोशन कर सकते हैं. हेल्पलाइन पर कॉल आने के बाद मात्र 15 से 20 मिनट में टीम मृत व्यक्ति के घर पहुंच जाती है. आसपास के 70 किलोमीटर तक टीम जाती है. घरवाले 1919 और 6390826826 पर कॉल कर सकते हैं. कुल नेत्रदान में 80 फीसद नेत्रदान संस्थान के अंदर व सिर्फ 20 फीसद ही बाहर का होता है.

यह भी पढ़ें: यूपी में 57 फीसदी किशोरों को लगी कोरोना की पहली डोज



कॉर्निया को मृतक के शरीर से निकालने के बाद उसे एक विशेष प्रकार के सॉल्यूशन में रखा जाता है, ताकि वह सुरक्षित बनी रहे. आई बैंक में इसे 15 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है.


नेत्रदान से प्राप्त की गई सभी कॉर्निया को ट्रांसप्लांट नहीं किया जाता है. जांच के दौरान ट्रांसप्लांट के मानकों पर इनमें से करीब 50 फीसद ही फिट बैठती हैं. बाकी कॉर्निया का इस्तेमाल रिसर्च में किया जाता है.

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लखनऊः यूपी में कोरोना (Corona) के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं. ऐसे में जनवरी माह में नेत्रदान महादान अभियान (Netradan Mahadan Abhiyan) पर ब्रेक लग गया है. उधर, कॉर्निया ट्रांसप्लांट (Cornea Transplant) भी ठप हो गया. ऐसे में दृष्टिबधितों (Visually Impaired People) को जिंदगी में रोशनी के लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा.

लखनऊ के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (King George's Medical University) में हर महीने 40 से 50 नेत्रदान होते थे, वहीं नेत्रदान के लिए शवों का कोरोना टेस्ट अनिवार्य है. ऐसे में नेत्रदान (Eye donation) की प्रक्रिया बेपटरी हो गई. साथ ही जनवरी माह में कॉर्निया ट्रांसप्लांट भी ठप हो गया.

केजीएमयू आई बैंक (KGMU Eye Bank) के डायरेक्टर डॉ. अरुण शर्मा के मुताबिक, कोरोना की वजह से फिलवक्त कॉर्निया ट्रांसप्लांट बंद हो गया. केजीएमयू में नवंबर माह में 118 ट्रांसप्लांट और दिसंबर माह में 125 ट्रांसप्लांट किया गया.

डॉ. अरुण शर्मा ने कहा कि नेत्रदान कर दूसरे का जीवन रोशन कर सकते हैं. हेल्पलाइन पर कॉल आने के बाद मात्र 15 से 20 मिनट में टीम मृत व्यक्ति के घर पहुंच जाती है. आसपास के 70 किलोमीटर तक टीम जाती है. घरवाले 1919 और 6390826826 पर कॉल कर सकते हैं. कुल नेत्रदान में 80 फीसद नेत्रदान संस्थान के अंदर व सिर्फ 20 फीसद ही बाहर का होता है.

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कॉर्निया को मृतक के शरीर से निकालने के बाद उसे एक विशेष प्रकार के सॉल्यूशन में रखा जाता है, ताकि वह सुरक्षित बनी रहे. आई बैंक में इसे 15 दिनों तक सुरक्षित रखा जा सकता है.


नेत्रदान से प्राप्त की गई सभी कॉर्निया को ट्रांसप्लांट नहीं किया जाता है. जांच के दौरान ट्रांसप्लांट के मानकों पर इनमें से करीब 50 फीसद ही फिट बैठती हैं. बाकी कॉर्निया का इस्तेमाल रिसर्च में किया जाता है.

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