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प्रियंका के नेतृत्व में इस बार विधानसभा चुनाव जीतेगी कांग्रेस : प्रमोद तिवारी

उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव(uttar pradesh assembly elections 2022) होने में अभी वक्त है, लेकिन राजनीतिक पार्टियों में हलचल बढ़ गई है. कांग्रेस पार्टी भी चुनावी तैयारियों को धार देने में लग गई है. कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी भी 16 जुलाई को लखनऊ आ रही हैं. यूपी में इस बार चुनाव कैसा होगा और कांग्रेस क्या तैयारी कर रही है. इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने ईटीवी भारत से खुलकर बात की.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी से खास बातचीत.
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी से खास बातचीत.
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Published : Jul 14, 2021, 4:04 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 2022 के आरंभ में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. राष्ट्रीय दल होने के बावजूद कांग्रेस (Congress) पार्टी तीन दशक से भी ज्यादा समय से प्रदेश में सत्ता से दूर है. हाल यह है कि यह पार्टी अपने गौरवशाली इतिहास के बावजूद प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर है. पंचायत चुनावों (panchayat election) में पार्टी सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के संसदीय क्षेत्र में भी अपना जिला पंचायत अध्यक्ष (Zila Panchayat adhyaksh)नहीं बना सकी. इतनी विषमताओं के बावजूद इस पार्टी में एक ऐसा नेता है, जिसने लगातार नौ बार विधानसभा चुनाव जीत कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया. प्रदेश की रामपुर खास विधानसभा सीट से लगातार नौ बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले दिग्गज नेता का नाम है प्रमोद तिवारी(pramod tiwari). 1980 से प्रमोद तिवारी ने इस सीट से अपना राजनीतिक सफर आरंभ किया था. अब इसी सीट से प्रमोद तिवारी(Pramod Tiwari) की बेटी आराधना मिश्रा 'मोना' कांग्रेस (Congress) की विधायक हैं. कांग्रेस पार्टी(Congress party) की भावी चुनावों में तैयारियों और पार्टी में नेतृत्व संकट आदि विषयों पर हमने प्रमोद तिवारी से विस्तृत बात की.

प्रश्न: आपका लंबा संसदीय अनुभव रहा है. इस चुनाव में कांग्रेस की क्या तैयारी है?
उत्तर: लगभग चार दशक तक मैंने सभी सरकारें देखीं. कांग्रेस की सरकार में मैं मंत्री भी रहा. मैंने मायावती, कल्याण, मुलायम सिंह और अखिलेश आदि की सरकारें देखी हैं. जिसके बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि वर्तमान की सरकार एक दूसरी दुनिया में रह रही है. इस सरकार का जनता से कोई सीधा संवाद नहीं है. मैं अपने कार्यकाल में इतनी अलोकप्रिय, असफल, संवादहीनता वाली सरकार उत्तर प्रदेश में नहीं देखी. इन्हें नहीं पता कि प्रदेश में क्या हो रहा है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी से खास बातचीत.

प्रश्न: तो फिर क्या कारण है कि उत्तर प्रदेश की जनता उन्हीं लोगों को लगातार चुन रही है, जिन्हें आप असफल कह रहे हैं और कांग्रेस तीन दशकों से भी ज्यादा समय से सत्ता से बाहर है?
उत्तर: कांग्रेस सत्ता से बाहर कब गई, जब 1987 से जब मंदिर-मस्जिद मसला परवान चढ़ने लगा और 89 में वह उभर कर सामने आया. कांग्रेस पार्टी संविधान और देश की एकता और अखंडता में विश्वास रखती है. हम हिंदू-मुसलमान को साथ लेकर चलने की बात करते हैं. इससे समाज दो टुकड़ों में बंट गया. फिर मायावती जी आईं. उन्होंने अनुसूचित जाति को समाज से बिल्कुल अलग कर दिया. तीनों के अपने-अपने सपने थे, पर अति बुरी होती है. मंदिर मामले में फैसला आने के बाद भाजपा परेशान है. अब स्थिति बदलने वाली है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी से खास बातचीत.

प्रश्न: लेकिन आपकी इस बात में एक विरोधाभास है. आप लगातार नौ बार विधायक रहे हैं. आप इसलिए जीते क्योंकि आपने विकास का एक रोल मॉडल पेश किया. आपने अच्छा काम करके जीतने की मिसाल पेश की. अब आपकी बेटी रामपुर खास विधान सभा सीट से विधायक है. जब कांग्रेस दुर्गति को प्राप्त है फिर भी आप लगातार वहां से जीत रहे हैं. यदि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की बात मान ली जाए, तो रामपुर खास की जनता क्यों नहीं बटी?
उत्तर: देखिए, मैं नहीं कहता कि उत्तर प्रदेश में जो हवा चलती है वह रामपुर खास नहीं पहुंचती. हालांकि वहां के विकास से यह हवाएं टकराकर लौट जाती हैं,मंदिर-मस्जिद से प्रभावित मैं भी हुआ. मेरी वोटों का आंकड़ा अगर देखें तो राम मंदिर आंदोलन के दौरान काफी कम हुआ. कांग्रेस सबको लेकर चलती है. आज बसपा दौड़ से बाहर हो गई है. लोगों को लगता है कि उन्हें कई बार छला गया. बाकी दलों का भी भेद खुल चुका है.

प्रश्न: आप इसी बात से खुश हैं कि भाजपा हार गई? आप इससे दुखी नहीं हैं कि कांग्रेस का नामोनिशान नहीं बचा हालिया पंचायत चुनावों में?
उत्तर: अब जनता के सामने विकल्प हैं. जनता अब कांग्रेस की ओर देख रही है. जनता अब प्रियंका गांधी की ओर देख रही है. मैं यह मानता हूं कि आने वाले दिनों में कांग्रेस भाजपा के विकल्प के रूप में तेजी से उभरेगी.

प्रश्न: आपको ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस लंबे समय तक शासन करने के बाद भी लोगों को विकास की राजनीति के विषय में नहीं समझा पाई, इसीलिए सत्ता से बाहर है?
उत्तर: बिल्कुल ठीक. हम अपनी उपलब्धियां, अपनी सकारात्मकता जनता को नहीं बता पाए, पर अब समझा रहे हैं. भ्रष्टाचार की बात करने वाली भाजपा ने इसमें कीर्तिमान गढ़े हैं. थानों के रेट दोगुने-तिगुने हो गए हैं. जब सबको लेकर चलने का मन जनता बना लेगी, तो कांग्रेस का आना तय है.

प्रश्न: लेकिन आप यह तो मानेंगे कि कांग्रेस में नेतृत्व का संकट तो है. चाहें वह प्रदेश में हो या केंद्र में?
उत्तर: पहले था, लेकिन प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के जनरल सेक्रेटरी इंचार्ज बन जाने के बाद अब नहीं है. जनता जब देखेगी एक ओर बेदाग और इंदिरा गांधी की छवि दिखाई देने वाली नेता और दूसरी ओर योगी जी की मार-काट, सपा की अराजकता और बसपा का बिकाऊपन, तो कांग्रेस को ही चुनेगी.

प्रश्न: लोगों को लगता है कि प्रियंका दिल्ली से आई हैं और दिल्ली चली जाएंगी. उत्तर प्रदेश का नेता कहां है कांग्रेस के पास?
उत्तर: इस प्रश्न का समाधान हो गया है. प्रियंका जी का नेतृत्व होगा और हम सब अपनी-अपनी क्षमता से योगदान करेंगे. दूसरी बात अब वह जाएंगी नहीं. वह किसी होटल में आकर नहीं रुक रहीं. अब उनका अपना, जो पहले कौल निवास था, यही स्थाई निवास स्थान हो गया है. वहीं से दिल्ली आया-जाया करेंगी. दिल्ली से यहां आया-जाया नहीं करेंगी. इसमें फर्क है. वह अब लखनऊ में ही रहेंगी.

प्रश्न: इस चुनाव में कांग्रेस की क्या तैयारी है? यदि कांग्रेस जीतकर आती है, तो क्या प्रियंका गांधी मुख्यमंत्री बनेंगी?
उत्तर: अभी हमारा लक्ष्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाना है. मुख्यमंत्री का मुद्दा ही क्या है? इसे कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता और विधायक दो मिनट में तय कर लेंगे. जो नेतृत्व का मन होगा वह नेता बन जाएगा. कांग्रेस में नेतृत्व के लिए लड़ाई नहीं होती.

प्रश्न: आप कुछ भी कहें, कांग्रेस की अभी चुनाव को लेकर कोई तैयारी नहीं दिखती?
उत्तर : मैं दावे से कह सकता हूं कि हम हर पार्टी से संगठन के मामले में आगे हैं. पोलिंग बूथ से लेकर विकास खंड तक कांग्रेस का संगठन पूरी तरह मजबूती से तैयार है.

प्रश्न: योगी सरकार की आप बड़ी आलोचना करते रहे हैं, लेकिन सरकार का दावा है कि वह कई एक्सप्रेस-वे बना रही है, हर जिले में मेडिकल कॉलेज दिया है, किसानों के खाते में पैसे दे रहे हैं, पारदर्शिता लाए हैं?
उत्तर: उनका संकल्प पत्र ले लीजिए. हम उनसे रोज पांच सवाल पूछ रहे हैं. दें वह जवाब. वह हर क्षेत्र में फेल साबित हुए हैं. जो मौतें हुई हैं, उनमें बहुत से लोगों को बचाया जा सकता था यदि हमारे पास संसाधन होते. इनका कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ है. रोजगार दिए नहीं, छीने गए हैं.

प्रश्न: आप एक ही पार्टी में चालीस साल से हैं. पार्टी के प्रति निष्ठा की मिसाल हो सकते हैं आप. आपको कभी नहीं लगा कि पार्टी बदलनी चाहिए?
उत्तर: जहां आप बैठे हैं, उसके पीछे एक हट है. वहां बैठकर 1993 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे मुख्यमंत्री बनाने का प्रलोभन दिया था. अटल जी और शिव कुमार जी मेरे यहां आए थे. उन्होंने मुझे एक साल मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया और चार साल भाजपा के लिए मांगे. उन्होंने कहा कि आप चाहें तो बाद केंद्र में जा सकते हैं. अटल जी ने भी यही सवाल किया था कि आप कांग्रेस में इतने दिन से हैं, आखिर आपको मिला क्या? तब मैंने कहा था कि कांग्रेस का कफन तो पक्का है. जब मरूंगा तो कांग्रेस का कफन तो मिल जाएगा. वह स्थाई चीज है. मैं जानता हूं कि इस मुल्क को यदि कोई एक रख सकता है, तो वह कांग्रेस ही है.

प्रश्न: कांग्रेस से कई नेता निकल कर आए, जिन्होंने अपनी क्षेत्रीय पार्टी बनाई और कई राज्यों में सरकारें चला रहे हैं. इसकी वजह नेतृत्व ही था. आप नहीं मानते कि आखिर क्यों कांग्रेस में एक ही परिवार का नेतृत्व क्यों होना चाहिए? क्यों और लोगों को मौका नहीं मिलना चाहिए?
उत्तर: आपका इशारा क्या गांधी परिवार की ओर है, मैं सहमत हूं आपकी बात से. आप बताइए कि देश में कौन सा ऐसा परिवार है, जिसकी तीन पीढ़ियों में बलिदान का इतिहास हो? एक परिवार मुझे बता दीजिए. मोदी जी का? खैर नाम लेने से क्या फायदा. जवाहरलाल नेहरू आजादी की लड़ाई में अठारह साल जेल में रहे. इंदिरा और राजीव गांधी ने देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी.

प्रश्न: आजकल राजनीति में मर्यादा का पालन नहीं दिखता. लोग एक-दूसरे पर ओछे आरोप लगाते रहते हैं. इस पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर: मैं कठोर शब्दों में इसकी निंदा करता हूं. जो राजनीति की शालीनता और मर्यादा है, लोग उसे छोड़ रहे हैं. सोशल मीडिया में एक-दूसरे के लिए कितनी गालियां होती हैं? कांग्रेस समेत विभिन्न दलों के कई बड़े नेता भी भाषा की मर्यादा का पालन नहीं करते. मेरा मानना है कि कड़ी से कड़ी बात संसदीय भाषा में कही जा सकती है. मैं नेहरू और अटल को अपना आदर्श मानता हूं.

इसे भी पढ़ें- भाजपा का एजेंडा ही फर्जी, बंगाल में सबने देखा : सपा नेता किरणमय नंदा

प्रश्न: आपने जीत का रिकॉर्ड बनाया है. क्या आपने युवा नेताओं को कभी बताया कि विकास की राजनीति भी जीत का रास्ता तय करा सकती है?
उत्तर: देखिए, जो हम उन्हें समझाना चाहते हैं, उल्टे वही वह हमें समझाना चाहते हैं. आज कल शॉर्टकट से सत्ता और पैसा चाहिए. सत्ता और पैसे का लालच उन्हें जनता से दूर कर देता है. हर आदमी बार-बार चुनाव जीतना चाहता है, पर जनता का विश्वास नहीं अर्जित कर पाता. मैं नए नेताओं को एक सलाह दूंगा कि भैया अपने निर्वाचन क्षेत्र को जमीन का टुकड़ा मत समझो. उसे दर्जा दो मंदिर का, दर्जा दो मस्जिद का. उसकी पूजा और इबादत करो. तुम्हें विश्वास और ताकत मिलेगी.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में 2022 के आरंभ में विधानसभा चुनाव होने हैं. ऐसे में सभी राजनीतिक दल अपनी-अपनी तैयारियों में जुट गए हैं. राष्ट्रीय दल होने के बावजूद कांग्रेस (Congress) पार्टी तीन दशक से भी ज्यादा समय से प्रदेश में सत्ता से दूर है. हाल यह है कि यह पार्टी अपने गौरवशाली इतिहास के बावजूद प्रदेश की राजनीति में हाशिए पर है. पंचायत चुनावों (panchayat election) में पार्टी सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) के संसदीय क्षेत्र में भी अपना जिला पंचायत अध्यक्ष (Zila Panchayat adhyaksh)नहीं बना सकी. इतनी विषमताओं के बावजूद इस पार्टी में एक ऐसा नेता है, जिसने लगातार नौ बार विधानसभा चुनाव जीत कर गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया. प्रदेश की रामपुर खास विधानसभा सीट से लगातार नौ बार विधानसभा चुनाव जीतने वाले दिग्गज नेता का नाम है प्रमोद तिवारी(pramod tiwari). 1980 से प्रमोद तिवारी ने इस सीट से अपना राजनीतिक सफर आरंभ किया था. अब इसी सीट से प्रमोद तिवारी(Pramod Tiwari) की बेटी आराधना मिश्रा 'मोना' कांग्रेस (Congress) की विधायक हैं. कांग्रेस पार्टी(Congress party) की भावी चुनावों में तैयारियों और पार्टी में नेतृत्व संकट आदि विषयों पर हमने प्रमोद तिवारी से विस्तृत बात की.

प्रश्न: आपका लंबा संसदीय अनुभव रहा है. इस चुनाव में कांग्रेस की क्या तैयारी है?
उत्तर: लगभग चार दशक तक मैंने सभी सरकारें देखीं. कांग्रेस की सरकार में मैं मंत्री भी रहा. मैंने मायावती, कल्याण, मुलायम सिंह और अखिलेश आदि की सरकारें देखी हैं. जिसके बाद मैं इस नतीजे पर पहुंचा हूं कि वर्तमान की सरकार एक दूसरी दुनिया में रह रही है. इस सरकार का जनता से कोई सीधा संवाद नहीं है. मैं अपने कार्यकाल में इतनी अलोकप्रिय, असफल, संवादहीनता वाली सरकार उत्तर प्रदेश में नहीं देखी. इन्हें नहीं पता कि प्रदेश में क्या हो रहा है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी से खास बातचीत.

प्रश्न: तो फिर क्या कारण है कि उत्तर प्रदेश की जनता उन्हीं लोगों को लगातार चुन रही है, जिन्हें आप असफल कह रहे हैं और कांग्रेस तीन दशकों से भी ज्यादा समय से सत्ता से बाहर है?
उत्तर: कांग्रेस सत्ता से बाहर कब गई, जब 1987 से जब मंदिर-मस्जिद मसला परवान चढ़ने लगा और 89 में वह उभर कर सामने आया. कांग्रेस पार्टी संविधान और देश की एकता और अखंडता में विश्वास रखती है. हम हिंदू-मुसलमान को साथ लेकर चलने की बात करते हैं. इससे समाज दो टुकड़ों में बंट गया. फिर मायावती जी आईं. उन्होंने अनुसूचित जाति को समाज से बिल्कुल अलग कर दिया. तीनों के अपने-अपने सपने थे, पर अति बुरी होती है. मंदिर मामले में फैसला आने के बाद भाजपा परेशान है. अब स्थिति बदलने वाली है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी से खास बातचीत.

प्रश्न: लेकिन आपकी इस बात में एक विरोधाभास है. आप लगातार नौ बार विधायक रहे हैं. आप इसलिए जीते क्योंकि आपने विकास का एक रोल मॉडल पेश किया. आपने अच्छा काम करके जीतने की मिसाल पेश की. अब आपकी बेटी रामपुर खास विधान सभा सीट से विधायक है. जब कांग्रेस दुर्गति को प्राप्त है फिर भी आप लगातार वहां से जीत रहे हैं. यदि सांप्रदायिक ध्रुवीकरण की बात मान ली जाए, तो रामपुर खास की जनता क्यों नहीं बटी?
उत्तर: देखिए, मैं नहीं कहता कि उत्तर प्रदेश में जो हवा चलती है वह रामपुर खास नहीं पहुंचती. हालांकि वहां के विकास से यह हवाएं टकराकर लौट जाती हैं,मंदिर-मस्जिद से प्रभावित मैं भी हुआ. मेरी वोटों का आंकड़ा अगर देखें तो राम मंदिर आंदोलन के दौरान काफी कम हुआ. कांग्रेस सबको लेकर चलती है. आज बसपा दौड़ से बाहर हो गई है. लोगों को लगता है कि उन्हें कई बार छला गया. बाकी दलों का भी भेद खुल चुका है.

प्रश्न: आप इसी बात से खुश हैं कि भाजपा हार गई? आप इससे दुखी नहीं हैं कि कांग्रेस का नामोनिशान नहीं बचा हालिया पंचायत चुनावों में?
उत्तर: अब जनता के सामने विकल्प हैं. जनता अब कांग्रेस की ओर देख रही है. जनता अब प्रियंका गांधी की ओर देख रही है. मैं यह मानता हूं कि आने वाले दिनों में कांग्रेस भाजपा के विकल्प के रूप में तेजी से उभरेगी.

प्रश्न: आपको ऐसा नहीं लगता कि कांग्रेस लंबे समय तक शासन करने के बाद भी लोगों को विकास की राजनीति के विषय में नहीं समझा पाई, इसीलिए सत्ता से बाहर है?
उत्तर: बिल्कुल ठीक. हम अपनी उपलब्धियां, अपनी सकारात्मकता जनता को नहीं बता पाए, पर अब समझा रहे हैं. भ्रष्टाचार की बात करने वाली भाजपा ने इसमें कीर्तिमान गढ़े हैं. थानों के रेट दोगुने-तिगुने हो गए हैं. जब सबको लेकर चलने का मन जनता बना लेगी, तो कांग्रेस का आना तय है.

प्रश्न: लेकिन आप यह तो मानेंगे कि कांग्रेस में नेतृत्व का संकट तो है. चाहें वह प्रदेश में हो या केंद्र में?
उत्तर: पहले था, लेकिन प्रियंका गांधी (Priyanka Gandhi) के जनरल सेक्रेटरी इंचार्ज बन जाने के बाद अब नहीं है. जनता जब देखेगी एक ओर बेदाग और इंदिरा गांधी की छवि दिखाई देने वाली नेता और दूसरी ओर योगी जी की मार-काट, सपा की अराजकता और बसपा का बिकाऊपन, तो कांग्रेस को ही चुनेगी.

प्रश्न: लोगों को लगता है कि प्रियंका दिल्ली से आई हैं और दिल्ली चली जाएंगी. उत्तर प्रदेश का नेता कहां है कांग्रेस के पास?
उत्तर: इस प्रश्न का समाधान हो गया है. प्रियंका जी का नेतृत्व होगा और हम सब अपनी-अपनी क्षमता से योगदान करेंगे. दूसरी बात अब वह जाएंगी नहीं. वह किसी होटल में आकर नहीं रुक रहीं. अब उनका अपना, जो पहले कौल निवास था, यही स्थाई निवास स्थान हो गया है. वहीं से दिल्ली आया-जाया करेंगी. दिल्ली से यहां आया-जाया नहीं करेंगी. इसमें फर्क है. वह अब लखनऊ में ही रहेंगी.

प्रश्न: इस चुनाव में कांग्रेस की क्या तैयारी है? यदि कांग्रेस जीतकर आती है, तो क्या प्रियंका गांधी मुख्यमंत्री बनेंगी?
उत्तर: अभी हमारा लक्ष्य उत्तर प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनाना है. मुख्यमंत्री का मुद्दा ही क्या है? इसे कांग्रेस विधानमंडल दल के नेता और विधायक दो मिनट में तय कर लेंगे. जो नेतृत्व का मन होगा वह नेता बन जाएगा. कांग्रेस में नेतृत्व के लिए लड़ाई नहीं होती.

प्रश्न: आप कुछ भी कहें, कांग्रेस की अभी चुनाव को लेकर कोई तैयारी नहीं दिखती?
उत्तर : मैं दावे से कह सकता हूं कि हम हर पार्टी से संगठन के मामले में आगे हैं. पोलिंग बूथ से लेकर विकास खंड तक कांग्रेस का संगठन पूरी तरह मजबूती से तैयार है.

प्रश्न: योगी सरकार की आप बड़ी आलोचना करते रहे हैं, लेकिन सरकार का दावा है कि वह कई एक्सप्रेस-वे बना रही है, हर जिले में मेडिकल कॉलेज दिया है, किसानों के खाते में पैसे दे रहे हैं, पारदर्शिता लाए हैं?
उत्तर: उनका संकल्प पत्र ले लीजिए. हम उनसे रोज पांच सवाल पूछ रहे हैं. दें वह जवाब. वह हर क्षेत्र में फेल साबित हुए हैं. जो मौतें हुई हैं, उनमें बहुत से लोगों को बचाया जा सकता था यदि हमारे पास संसाधन होते. इनका कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ है. रोजगार दिए नहीं, छीने गए हैं.

प्रश्न: आप एक ही पार्टी में चालीस साल से हैं. पार्टी के प्रति निष्ठा की मिसाल हो सकते हैं आप. आपको कभी नहीं लगा कि पार्टी बदलनी चाहिए?
उत्तर: जहां आप बैठे हैं, उसके पीछे एक हट है. वहां बैठकर 1993 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने मुझे मुख्यमंत्री बनाने का प्रलोभन दिया था. अटल जी और शिव कुमार जी मेरे यहां आए थे. उन्होंने मुझे एक साल मुख्यमंत्री बनाने का वादा किया और चार साल भाजपा के लिए मांगे. उन्होंने कहा कि आप चाहें तो बाद केंद्र में जा सकते हैं. अटल जी ने भी यही सवाल किया था कि आप कांग्रेस में इतने दिन से हैं, आखिर आपको मिला क्या? तब मैंने कहा था कि कांग्रेस का कफन तो पक्का है. जब मरूंगा तो कांग्रेस का कफन तो मिल जाएगा. वह स्थाई चीज है. मैं जानता हूं कि इस मुल्क को यदि कोई एक रख सकता है, तो वह कांग्रेस ही है.

प्रश्न: कांग्रेस से कई नेता निकल कर आए, जिन्होंने अपनी क्षेत्रीय पार्टी बनाई और कई राज्यों में सरकारें चला रहे हैं. इसकी वजह नेतृत्व ही था. आप नहीं मानते कि आखिर क्यों कांग्रेस में एक ही परिवार का नेतृत्व क्यों होना चाहिए? क्यों और लोगों को मौका नहीं मिलना चाहिए?
उत्तर: आपका इशारा क्या गांधी परिवार की ओर है, मैं सहमत हूं आपकी बात से. आप बताइए कि देश में कौन सा ऐसा परिवार है, जिसकी तीन पीढ़ियों में बलिदान का इतिहास हो? एक परिवार मुझे बता दीजिए. मोदी जी का? खैर नाम लेने से क्या फायदा. जवाहरलाल नेहरू आजादी की लड़ाई में अठारह साल जेल में रहे. इंदिरा और राजीव गांधी ने देश की एकता और अखंडता के लिए अपने प्राणों की आहुति दी.

प्रश्न: आजकल राजनीति में मर्यादा का पालन नहीं दिखता. लोग एक-दूसरे पर ओछे आरोप लगाते रहते हैं. इस पर आप क्या कहेंगे?
उत्तर: मैं कठोर शब्दों में इसकी निंदा करता हूं. जो राजनीति की शालीनता और मर्यादा है, लोग उसे छोड़ रहे हैं. सोशल मीडिया में एक-दूसरे के लिए कितनी गालियां होती हैं? कांग्रेस समेत विभिन्न दलों के कई बड़े नेता भी भाषा की मर्यादा का पालन नहीं करते. मेरा मानना है कि कड़ी से कड़ी बात संसदीय भाषा में कही जा सकती है. मैं नेहरू और अटल को अपना आदर्श मानता हूं.

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प्रश्न: आपने जीत का रिकॉर्ड बनाया है. क्या आपने युवा नेताओं को कभी बताया कि विकास की राजनीति भी जीत का रास्ता तय करा सकती है?
उत्तर: देखिए, जो हम उन्हें समझाना चाहते हैं, उल्टे वही वह हमें समझाना चाहते हैं. आज कल शॉर्टकट से सत्ता और पैसा चाहिए. सत्ता और पैसे का लालच उन्हें जनता से दूर कर देता है. हर आदमी बार-बार चुनाव जीतना चाहता है, पर जनता का विश्वास नहीं अर्जित कर पाता. मैं नए नेताओं को एक सलाह दूंगा कि भैया अपने निर्वाचन क्षेत्र को जमीन का टुकड़ा मत समझो. उसे दर्जा दो मंदिर का, दर्जा दो मस्जिद का. उसकी पूजा और इबादत करो. तुम्हें विश्वास और ताकत मिलेगी.

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