लखनऊ : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनावों में अभी कई माह शेष हैं, इसके बावजूद प्रदेश में सियासी संग्राम छिड़ गया है. सभी राजनीतिक दल सम्मेलनों और यात्राओं के माध्यम से लोगों को लुभाने का प्रयास कर रहे हैं. भाजपा, सपा, कांग्रेस और बसपा के बाद एक और पार्टी है, जो इस चुनाव में कुछ हासिल करने के लिए बेचैन है. यह दल है 'आम आदमी पार्टी'. इस पार्टी को उत्तर प्रदेश में खड़ा करने का जिम्मा उठाया है पार्टी के प्रदेश प्रभारी व सांसद संजय सिंह ने. पिछले कई वर्ष से वह सरकार की खामियों को लेकर मुखर रहे हैं. चुनावी तैयारियों को लेकर हमने संजय सिंह से विस्तार से बात की. संजय सिंह ने उड़ीसा स्कूल ऑफ़ माइनिंग इंजीनियरिंग से खनन इंजीनियरिंग में डिप्लोमा किया है. राजनीति में आने से पहले वह सामाजिक कार्यों में भी सक्रिय रहे हैं.
बातचीत के दौरान हमने संजय सिंह से पूछा कि आगामी चुनावों में वह 'आम आदमी पार्टी' की क्या भूमिका देखते हैं. यदि सीटों के तौर पर देखा जाए, तो आम आदमी पार्टी का प्रदेश में कोई वजूद नहीं है, इसके बाद भी पार्टी ने एक विपक्षी दल की तरह सरकार की नाकामियों को उजागर करने का प्रयास किया. फिर भी पार्टी के सामने चुनौती है कि वह अपना ऐसा संगठन बनाए कि वह सीटें जिता सके.
हमने उनसे यह भी जानना चाहा कि भाजपा सत्ता में भ्रष्टाचार को प्रमुख मुद्दा बनाकर आई थी, क्या आगामी चुनावों में भ्रष्टाचार मुद्दा होगा? लोकायुक्त इस सरकार में कितना काम कर पा रहे हैं, जबकि 2007 की मायावती की सरकार में लोकायुक्त रहे एनके मेहरोत्रा ने कई मंत्रियों के खिलाफ कार्रवाई की संस्तुतियां कीं और मंत्रियों पर भी कार्रवाई हुई? इस पर संजय सिंह कहते हैं कि बेशर्म सरकार से कार्रवाई की कितनी उम्मीद नहीं कर सकते हैं. उन्होंने सरकार के कई घोटाले गिनाए, जिन पर सरकार मौन साधे है. उनसे पूछा गया कि वह विपक्षी दलों पर क्यों बात नहीं करते, जबकि विपक्ष की भूमिका होती है कि वह सरकार पर नजर रखे. उन्होंने कोरोना संकट और इससे हुई विधायकों की मौतों को सरकार की नाकामी बताया.
संजय सिंह से पूछा गया कि कहीं ऐसा तो नहीं कि वह विपक्षी दलों से गठबंध की संभावनाएं तलाश रहे हैं और इसीलिए इनके खिलाफ कोई बात नहीं करते. इस पर वह कहते हैं कि हमारी पार्टी सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगी और हम जो सत्ता में है उससे लड़ेंगे, क्योंकि विपक्ष को तो जनता ने पहले ही नकार दिया है. हम सत्ता से सवाल पूछेंगे. समाजवादी पार्टी से गठबंधन पर उन्होंने कोई स्पष्ट उत्तर नहीं दिया और सभी सीटों पर प्रत्याशी उतारने की बात कही. वह सरकार के विकास के दावों को नकारते हैं. प्रदेश में ओवैसी की सक्रियता पर भी साफ तौर पर कुछ नहीं बोले. उन्होंने दिल्ली की दर्ज पर उत्तर प्रदेश में भी योजनाएं लाने का वादा किया.
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