लखनऊ: 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या के विवादित ढांचा विध्वंस मामले में फैसले की तारीख सीबीआई की विशेष अदालत के जज सुरेंद्र यादव ने 30 सितंबर मुकर्रर कर दी है. बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के आरोपी लालकृष्ण आडवाणी सहित अन्य अभियुक्तों के अधिवक्ता के.के. मिश्र ने ईटीवी भारत से खास बातचीत की. उन्होंने इस पूरे घटनाक्रम और कोर्ट की 28 साल तक चली न्यायिक प्रक्रिया के बारे में बताया.
अधिवक्ता के.के. मिश्रा कहते हैं कि 6 दिसंबर 1992 को 6:15 मिनट पर पहली एफआईआर तत्कालीन एसओ थाना राम जन्मभूमि प्रविंद्र नाथ शुक्ला ने दर्ज कराई थी. उसके 10 मिनट के अंतराल पर राम जन्मभूमि के चौकी इंचार्ज गंगा प्रसाद तिवारी ने भी एक प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज कराई थी. उनके द्वारा जो एफआईआर दर्ज कराई गई, उसमें लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, विनय कटियार, कल्याण सिंह, उमा भारती, साध्वी ऋतंभरा को नामजद किया गया था.
49 FIR हुईं थी दर्ज
अधिवक्ता के.के. मिश्रा ने बताया कि इसके बाद जनवरी 1993 में भी कई लोगों पर एफआईआर दर्ज हुई थी. इस तरह कुल 49 एफआईआर को मिलाकर सीबीआई द्वारा चार्जशीट दाखिल की गई थी. सीबीआई ने जो चार्जशीट दाखिल की थी वह दो हिस्सों में विभक्त हुई थी. इसका ट्रायल रायबरेली में चल रहा था, जिसमें भारतीय जनता पार्टी के नेता लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी अन्य आरोपी थे. उनके विरुद्ध ट्रायल वहां पर हो रहा था और अन्य 57 गवाह का ट्रायल रायबरेली में हुआ.
इसके साथ ही लखनऊ में अभी ट्रायल चल रहा था, जिसमें बृजभूषण शरण सिंह, साक्षी महाराज, सांसद लल्लू सिंह सहित 28 लोगों के विरुद्ध मुकदमा चल रहा था. फिर वर्ष 2017 में इसमें सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की एक एसएलपी को सुनते हुए यह तय किया था कि जो मुकदमा रायबरेली में चल रहा है, उसको भी लखनऊ के मुकदमे में जोड़ दिया जाए और दोनों का संबंध ट्रायल हो. इसके बाद दोनों मुकदमों को जोड़ दिया गया और दोनों का संबंध ट्रायल शुरू हुआ.
मामले में थे 994 गवाह
के.के. मिश्र ने बताया कि इस मामले में कुल 994 गवाह थे, जिसमें 354 गवाहों को रायबरेली से परीक्षण किया गया. जब सारे गवाह और अभियुक्तों के विरुद्ध बयान करने की स्थिति बनी तो इसमें तमाम अभियुक्त नहीं रहे, उनकी मौत हो चुकी थी. कुल मिलाकर 32 अभियुक्तों के विरुद्ध सीआरपीसी की धारा 313 के अंतर्गत बयान दर्ज करने की प्रक्रिया पूरी की गई. इसके बाद सीबीआई में वकीलों ने अपनी बहस दाखिल की. 31 अगस्त को बचाव पक्ष की तरफ से हमने संपूर्ण व्यवस्थाओं का अवलोकन करते हुए और साक्ष्यों का अवलोकन करते हुए सीबीआई की बातों को लेते हुए अपने बचाव पक्ष की तरफ से अपनी बहस न्यायालय में दाखिल की. इसके बाद न्यायालय ने तय किया कि 30 सितंबर को इस मामले में फैसला सुनाया जाएगा.
सभी अभियुक्तों का उपस्थित होना अनिवार्य
लालकृष्ण आडवाणी और कल्याण सिंह सहित कई आरोपियों की फैसले वाले दिन कोर्ट में उपस्थित होने के सवाल पर अधिवक्ता के.के. मिश्र कहते हैं कि व्यवस्था तो यही है, सीआरपीसी कहती है कि जिस दिन मुकदमे में फैसला हो उस दिन सभी अभियुक्तों को न्यायालय में उपस्थित होना ही है, लेकिन कुछ परिस्थितियां हैं तो न्यायालय उस पर विचार करेगी. अभी मेरे संज्ञान में ऐसा नहीं आया है. मुझे सिर्फ कल्याण सिंह की जानकारी मिली है कि वह अस्वस्थ होने के कारण पीजीआई से गाजियाबाद जा चुके हैं और वह बीमार चल रहे हैं. अभी फैसले की तारीख में वक्त है. हो सकता है तब तक तो वह ठीक हो जाएं.
फैसले के बारे में नहीं कर सकता टिप्पणी
सीबीआई की तरफ से पेश किए गए गवाह मुकर जाने और अभियुक्तों की तरफ से खुद के निर्दोष होने की बात कहने के बाद आगे की क्या स्थिति है. इस सवाल पर के.के. मिश्र कहते हैं कि 'देखिए मैं फैसले के बारे में कोई टिप्पणी नहीं कर सकता हूं. मैं एक काउंसिल होने के नाते तो यही कहूंगा कि मैंने भरसक प्रयत्न किया है कि जो एविडेंस रहे हैं, उनमें कितने अंतर्विरोध रहे हैं, मैंने यह प्रयत्न किया है कि गवाहों की सत्यता न्यायालय के समक्ष किस प्रकार से प्रमाणित हो जाए, यह गवाह सत्य है या असत्य, वह सारा प्रयास हमने किया है. मुझे अपने प्रयत्न पर, मुझे अपने बौद्धिक स्थिति पर और अपनी बौद्धिक क्षमता पर पूरा भरोसा है कि मैं इस मुकदमे में विजय प्राप्त कर लूंगा एक काउंसिल होने के नाते'.
हमारे पक्ष में होगा फैसला
सभी अभियुक्तों के विजयी होने के दावे और उन्हें बरी किए जाने के सवाल पर अधिवक्ता के.के. मिश्र कहते हैं कि 'वकील मुकदमा ही इसीलिए लड़ता है कि वह जो सही तथ्य हैं वह न्यायालय के सामने रखे. मैंने भी अपनी क्षमता अनुसार गवाहों की सत्यता को प्रमाणित करने का प्रयत्न किया है. अब न्यायालय तय करेगा कि हमने जो साक्ष्य निकाल कर अपनी बहस में दिए हैं, इस पर न्यायालय हमको कहां तक उचित पाता है. मुझे न्यायालय पर पूरा भरोसा है और न्याय प्रक्रिया पर भरोसा है. मुझे मालूम है कि न्यायालय हमारे पक्ष में हमारे लिए न्याय जरूर करेगा'.