लखनऊ: अब हेपेटाइटिस बी से पीड़ित मरीजों की जांच और इलाज लोक बंधु अस्पताल में शुरू हो गया है. बीते 9 अक्टूबर को अस्पताल के सीएमएस ने बताया था कि अस्पताल में हेपेटाइटिस मरीजों के लिए मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर बनकर तैयार हो चुका है. अस्पताल में मरीजों की जांच और इलाज निशुल्क होगा. हेपेटाइटिस का इलाज महंगा होने की वजह से पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया संस्थान में ही उपलब्ध है.
इस सेंटर के बन जाने के बाद से रोजाना चार से पांच मरीजों को इलाज उपलब्ध हो रहा है. हर बार गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार के मरीज पीजीआई, केजीएमयू और लोहिया जैसे बड़े अस्पताल नहीं जा सकते हैं. मरीज अस्पताल में ही चक्कर मार-मारकर थक जाता है, लेकिन इलाज नहीं मिल पाता. ऐसे में जब से लोकबंधु अस्पताल में यह सेंटर खुला है तब से हेपेटाइटिस-बी से पीड़ित मरीज भारी संख्या में यहां इलाज के लिए आ रहे हैं. यहां मरीजों को निशुल्क इलाज उपलब्ध हो रहा है.
केंद्र सरकार के प्रोजेक्ट के तहत यहां पर मॉडल ट्रीटमेंट सेंटर स्थापित किया गया है. लैब बनकर तैयार हो गई है. अब इस सेंटर में जरूरी संशाधन और दवाएं उपलब्ध होने लगी हैं. यहां इसकी सुविधा शुरू होने से गरीब मरीजों को बड़ी राहत मिली है. हेपेटाइटिस-बी वायरस से होने वाली संक्रामक बीमारी है. इसमें लीवर में सूजन और जलन होती है. इससे मरीज को पीलिया, शरीर में दर्द, पेट में पानी आना या फिर लिवर सिरोसिस की समस्या हो सकती है. समय पर उपचार न मिलने पर लिवर कैंसर की आशंका बढ़ जाती है.
लोक बंधु अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी बताते हैं कि हेपेटाइटिस-बी की जल्द पहचान होना जरूरी है, ताकि समय से समुचित इलाज मरीज को मिल सकें. हर बीमारी के तीन फेज होते हैं. जरूरी नहीं कि आप तीसरी बार तबीयत ज्यादा बिगड़ने का इंतजार करें.
कई बार ऐसा देखा गया है कि किसी को पहली बार हार्टअटैक आता है और उसकी मौत हो जाती है. इसलिए कभी भी तीसरे फेज का इंतजार नहीं करना चाहिए. अगर आपको कोई बीमारी है तो उसे जड़ से समाप्त करने के बारे में सोचें. इसी के चलते लोकबंधु अस्पताल में यह सेंटर खोला गया है और अब यहां मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
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डॉ. अजय शंकर त्रिपाठी के मुताबिक, अस्पताल की ओपीडी में रोज करीब पांच मरीज हेपेटाइटिस के आते हैं. अभी तक जरूरी जांच उपलब्ध न होने से इलाज नहीं हो पा रहा था. अब इस सेंटर के शुरू होने से इन मरीजों को रेफर करने के बजाय यहीं पर उपचार मिल रहा है. इससे मरीज को बीमारी के दौरान बार-बार इधर से उधर नहीं भागना पड़ रहा है. जितने भी मरीज हेपेटाइटिस-बी के आ रहे हैं, सभी को त्वरित इलाज दिया जा रहा है.