लखनऊ: लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रवेश परीक्षा देने के बाद 30 से ज्यादा विभाग के अभ्यर्थी रिजल्ट जारी करके प्रवेश देने की मांग कर रहे हैं. पिछले साल शुरू हुई पीएचडी प्रवेश प्रक्रिया अभी तक पूरी नहीं हो सकी है. विश्वविद्यालय ने 12 विभागों को छोड़कर बाकी की प्रवेश परीक्षा आयोजित कराई थी, लेकिन अभी तक इनका परिणाम नहीं आया. इसके चलते छात्रों के दाखिले में काफी देरी हो रही है.
अभ्यार्थियों का कहना है कि पहले ही दाखिला होने में देरी हुई है अब बचे हुए 12 विभागों की परीक्षाओं का इंतजार करने में और भी समय जाया होगा. इस प्रक्रिया में न जाने कितना समय लगेगा. लखनऊ विश्वविद्यालय में पीएचडी की 492 सीट के लिए 5260 आवेदन आए हैं. इनकी प्रवेश परीक्षा 16 से 20 मार्च के लिए प्रस्तावित थी. दो दिन प्रवेश परीक्षा आयोजित होने के बाद कोरोना के चलते स्थगित कर दी गई. यूजीसी के निर्देश के अनुसार जेआरएफ अभ्यर्थियों को 2 साल के भीतर पीएचडी में दाखिला लेना पड़ता है. ऐसा न होने पर उन्हें फैलोशिप नहीं मिल पाती. काफी अभ्यर्थी ऐसे हैं जिन्हें जेआरएफ की परीक्षा पास किए हुए 2 साल होने को हैं, लेकिन लखनऊ विश्वविद्यालय की प्रवेश परीक्षा न होने की वजह से उनकी फैलोशिप पर खतरा मंडरा रहा है. ऐसे छात्रों की मांग है कि लखनऊ विश्वविद्यालय रिजल्ट घोषित कर दे, जिससे कि उनकी फैलोशिप शुरू हो सके.
लखनऊ विश्वविद्यालय के अभ्यर्थियों ने बताया कि उस समय बायो, केमिस्ट्री, बॉटनी, कंप्यूटर साइंस, गणित ,फिजिक्स ,स्टैटिक्स, जूलॉजी, एजुकेशन, लॉ, और फाइन आर्ट्स की प्रवेश परीक्षा बची हुई थी. तब से अब तक प्रवेश परीक्षा नहीं हो सकी. अभ्यर्थियों का कहना है कि कम से कम जिनकी प्रवेश परीक्षाएं हो चुकी हैं उनको दाखिला दे दिया जाए, जिससे उनकी परेशानी कम हो सके.
पीएचडी प्रवेश परीक्षा में लिखित परीक्षा 70 अंक की और मौखिक 30 अंक की होती है. यानी की प्रवेश परीक्षा के बाद अभ्यर्थियों को साक्षात्कार भी देना है. लिखित परीक्षा में दो भाग हैं. दोनों भागों में 35 नंबर आने हैं. दोनों में ही एक-एक नंबर के 35 सवाल पूछे गए हैं. परीक्षा में निगेटिव मार्किंग नहीं रखी गई है. इसके साथ ही सभी संकाय में प्रवेश परीक्षा के लिए सिलेबस में रिपोर्ट और डॉक्यूमेंटेशन को अनिवार्य किया गया है. पेपर लखनऊ विश्वविद्यालय के परा स्नातक पाठ्यक्रम पर आधारित है. ऐसी सूरत में सीट खाली रहेगी, लेकिन पीएचडी में 50 फीसदी से कम नंबर लाने वाले अभ्यर्थियों को साक्षात्कार के लिए नहीं बुलाया जाएगा. यूजीसी गाइडलाइन के अनुसार प्रवेश परीक्षा में 50 फीसदी नंबर लाने वाले अभ्यार्थी ही दाखिले के पात्र होंगे.