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...108 एंबुलेंस की पोल खोल रहा ईटीवी भारत का यह रियलिटी चेक

योगी सरकार प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर प्रदान करने का भले ही दावा करती हो, लेकिन यह हकीकत सच्चाई से कोसों दूर है. इसको लेकर ईटीवी भारत ने रियलिटी चेक किया, जिसमें 108 एंबुलेंस सेवा की पोल खुल गई.

108 एंबुलेंस.
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Published : Jul 3, 2019, 3:07 PM IST

लखनऊ: प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं नीति आयोग की श्रेणी में पिछड़ने के बाद आज ईटीवी भारत की टीम ने स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली 108 एंबुलेंस सेवा का रियलिटी चेक किया, जिसमें नीति आयोग की श्रेणी में पिछड़ने के कारण सामने आए. रियलिटी चेक में 108 एंबुलेंस समय की पाबंद नहीं नजर आई. पेश है 108 एंबुलेंस पर ईटीवी भारत के रियलिटी चेक की खास रिपोर्ट.

ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में 108 एंबुलेंस सेवा फेल.

उत्तर प्रदेश में स्वास्थ सेवाओं की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली 108 एंबुलेंस सेवा को लेकर तमाम दावे और वादे किए जाते हैं. इन्हीं दावों को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने 108 एंबुलेंस सेवा की जांच-पड़ताल कर इससे जुड़ी तमाम जानकारी सामने लाने का जिम्मा उठाया. हमने अपने संवाददाता को एक डमी मरीज के तौर पर तैयार किया. बुधवार सुबह 10:45 बजे के आसपास 108 एंबुलेंस को कॉल कर यह जानकारी दी गई कि हमारे साथी को सीने में दर्द की शिकायत है. सूचना देने के बाद हम एंबुलेंस के आने का इंतजार करने लगे.

एंबुलेंस ड्राइवर को नहीं होता रास्ते का पता
इस दौरान 108 एंबुलेंस के कॉल सेंटर और एंबुलेंस ड्राइवर के बीच हुई बातचीत में स्वास्थ्य विभाग की पहली कमी का पता चला. एंबुलेंस ड्राइवर अपनी नई जॉइनिंग का हवाला देकर यह कहते हैं कि उन्हें मरीज तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं पता है. बातचीत में यह भी मालूम चलता है कि इस आधुनिक समय में एंबुलेंस में जीपीएस और एसी की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है.

45 मिनट बाद पहुंची एंबुलेंस
इस दौरान करीब आधे घंटे से अधिक समय तक हम एंबुलेंस आने का इंतजार करते रहे. इसके बाद फिर से 108 नंबर पर कॉल करके पूरी जानकारी पुन: दी जाती हैं. कॉल सेंटर से आश्वासन मिलता है कि एंबुलेंस हम तक पहुंच रही है. सूचना देने के 45 मिनट बाद 11:31 बजे पर हमारे पास दूसरी एंबुलेंस पहुंचती है. एंबुलेंस आने के बाद हम अपने डमी मरीज को एंबुलेंस में ले जाते हैं.

एंबुलेंस में नहीं लगा होता जीपीएस और एसी
एंबुलेंस से मरीज को ले जाते समय पता चलता है कि एंबुलेंस में जीपीएस और एसी नहीं होता है. इस वजह से हमारे मरीज को एंबुलेंस में उलझन सी महसूस होती है. एंबुलेंस में चालक कृष्णपाल और ईएमटी कर्मचारी के रूप मे धर्मवीर मौजूद होते हैं. धर्मवीर से बातचीत में यह बात भी पता चली कि 108 एंबुलेंस में जीपीएस और एसी जैसी सुविधाएं मिलने की सिर्फ बातें हो रही हैं. यह सुविधाएं एंबुलेंस कर्मचारी तक पहुंच नहीं पा रही हैं.

एक घंटे से अधिक समय में अस्पताल पहुंचा मरीज
इन हालातों से यह तो साफ हो जाता है कि एंबुलेंस सेवाएं पूरी तरह से लोगों तक समुचित तरीके से नहीं पहुंच पा रही हैं. इसके बाद रास्ते में हम शहर के कई चौराहों पर जाम से निकलते हुए लारी हॉस्पिटल 11:55 बजे पहुंच पाते हैं. इस दौरान दिल के मरीज को एक घंटे से अधिक का समय 108 एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचने में लग जाता है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस आदेश की भी धज्जियां उड़ाता दिख रहा है, जिसमें वह एंबुलेंस के समय से पहुंचने की बात करते हैं.

मरीज के बजाय रिपोर्ट देखतें हैं डॉक्टर
जब हम लारी कॉर्डियोलॉजी की इमरजेंसी में मरीज को लेकर पहुंचते हैं तो हर सरकारी अस्पताल की तरह यहां भी सवाल सामने आता है कि पहले पर्चा लेकर आइए. हालांकि हम किसी तरह अपने मरीज को 10 मिनट की मशक्कत के बाद अंदर ले जाते हैं, जहां डॉक्टर अपनी प्राथमिक जांच शुरू करते हैं, जिसमें सबसे पहले ईसीजी की जांच की जाती है. ईसीजी रिपोर्ट देखने के बाद हमारे मरीज को बिना देखे वहां से जाने को बोल दिया जाता है. जब हम डॉक्टर तनवीर से मरीज को देखने को कहते हैं तो डॉ. तनवीर आक्रामक रूप में आकर हमें वहां से चले जाने को बोल देते हैं.

रियलटी चेक ने खोली स्वास्थ्य विभाग के वादों की पोल
108 एंबुलेंस सेवा पर ईटीवी भारत के रियलिटी चेक ने स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं पर कई सवाल खड़े किए हैं. 108 एंबुलेंस सेवा की लापरवाही उन सभी तमाम दावों और वादों की पोल खोलती है और उन सभी लोक लुभावने वादों की काली सच्चाई भी सामने लाती है, जो योगी सरकार बड़े गर्व के साथ बेहतर होने की बात कहती है. इस रियलिटी चेक से यह तो साफ हो गया कि सरकारी हुक्मरान आम जनमानस की सेहत को लेकर कितने संजीदा और तत्पर हैं.

लखनऊ: प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं नीति आयोग की श्रेणी में पिछड़ने के बाद आज ईटीवी भारत की टीम ने स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली 108 एंबुलेंस सेवा का रियलिटी चेक किया, जिसमें नीति आयोग की श्रेणी में पिछड़ने के कारण सामने आए. रियलिटी चेक में 108 एंबुलेंस समय की पाबंद नहीं नजर आई. पेश है 108 एंबुलेंस पर ईटीवी भारत के रियलिटी चेक की खास रिपोर्ट.

ईटीवी भारत के रियलिटी चेक में 108 एंबुलेंस सेवा फेल.

उत्तर प्रदेश में स्वास्थ सेवाओं की रीढ़ की हड्डी कही जाने वाली 108 एंबुलेंस सेवा को लेकर तमाम दावे और वादे किए जाते हैं. इन्हीं दावों को जानने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने 108 एंबुलेंस सेवा की जांच-पड़ताल कर इससे जुड़ी तमाम जानकारी सामने लाने का जिम्मा उठाया. हमने अपने संवाददाता को एक डमी मरीज के तौर पर तैयार किया. बुधवार सुबह 10:45 बजे के आसपास 108 एंबुलेंस को कॉल कर यह जानकारी दी गई कि हमारे साथी को सीने में दर्द की शिकायत है. सूचना देने के बाद हम एंबुलेंस के आने का इंतजार करने लगे.

एंबुलेंस ड्राइवर को नहीं होता रास्ते का पता
इस दौरान 108 एंबुलेंस के कॉल सेंटर और एंबुलेंस ड्राइवर के बीच हुई बातचीत में स्वास्थ्य विभाग की पहली कमी का पता चला. एंबुलेंस ड्राइवर अपनी नई जॉइनिंग का हवाला देकर यह कहते हैं कि उन्हें मरीज तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं पता है. बातचीत में यह भी मालूम चलता है कि इस आधुनिक समय में एंबुलेंस में जीपीएस और एसी की सुविधा भी उपलब्ध नहीं है.

45 मिनट बाद पहुंची एंबुलेंस
इस दौरान करीब आधे घंटे से अधिक समय तक हम एंबुलेंस आने का इंतजार करते रहे. इसके बाद फिर से 108 नंबर पर कॉल करके पूरी जानकारी पुन: दी जाती हैं. कॉल सेंटर से आश्वासन मिलता है कि एंबुलेंस हम तक पहुंच रही है. सूचना देने के 45 मिनट बाद 11:31 बजे पर हमारे पास दूसरी एंबुलेंस पहुंचती है. एंबुलेंस आने के बाद हम अपने डमी मरीज को एंबुलेंस में ले जाते हैं.

एंबुलेंस में नहीं लगा होता जीपीएस और एसी
एंबुलेंस से मरीज को ले जाते समय पता चलता है कि एंबुलेंस में जीपीएस और एसी नहीं होता है. इस वजह से हमारे मरीज को एंबुलेंस में उलझन सी महसूस होती है. एंबुलेंस में चालक कृष्णपाल और ईएमटी कर्मचारी के रूप मे धर्मवीर मौजूद होते हैं. धर्मवीर से बातचीत में यह बात भी पता चली कि 108 एंबुलेंस में जीपीएस और एसी जैसी सुविधाएं मिलने की सिर्फ बातें हो रही हैं. यह सुविधाएं एंबुलेंस कर्मचारी तक पहुंच नहीं पा रही हैं.

एक घंटे से अधिक समय में अस्पताल पहुंचा मरीज
इन हालातों से यह तो साफ हो जाता है कि एंबुलेंस सेवाएं पूरी तरह से लोगों तक समुचित तरीके से नहीं पहुंच पा रही हैं. इसके बाद रास्ते में हम शहर के कई चौराहों पर जाम से निकलते हुए लारी हॉस्पिटल 11:55 बजे पहुंच पाते हैं. इस दौरान दिल के मरीज को एक घंटे से अधिक का समय 108 एंबुलेंस से अस्पताल पहुंचने में लग जाता है, जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस आदेश की भी धज्जियां उड़ाता दिख रहा है, जिसमें वह एंबुलेंस के समय से पहुंचने की बात करते हैं.

मरीज के बजाय रिपोर्ट देखतें हैं डॉक्टर
जब हम लारी कॉर्डियोलॉजी की इमरजेंसी में मरीज को लेकर पहुंचते हैं तो हर सरकारी अस्पताल की तरह यहां भी सवाल सामने आता है कि पहले पर्चा लेकर आइए. हालांकि हम किसी तरह अपने मरीज को 10 मिनट की मशक्कत के बाद अंदर ले जाते हैं, जहां डॉक्टर अपनी प्राथमिक जांच शुरू करते हैं, जिसमें सबसे पहले ईसीजी की जांच की जाती है. ईसीजी रिपोर्ट देखने के बाद हमारे मरीज को बिना देखे वहां से जाने को बोल दिया जाता है. जब हम डॉक्टर तनवीर से मरीज को देखने को कहते हैं तो डॉ. तनवीर आक्रामक रूप में आकर हमें वहां से चले जाने को बोल देते हैं.

रियलटी चेक ने खोली स्वास्थ्य विभाग के वादों की पोल
108 एंबुलेंस सेवा पर ईटीवी भारत के रियलिटी चेक ने स्वास्थ्य विभाग की सेवाओं पर कई सवाल खड़े किए हैं. 108 एंबुलेंस सेवा की लापरवाही उन सभी तमाम दावों और वादों की पोल खोलती है और उन सभी लोक लुभावने वादों की काली सच्चाई भी सामने लाती है, जो योगी सरकार बड़े गर्व के साथ बेहतर होने की बात कहती है. इस रियलिटी चेक से यह तो साफ हो गया कि सरकारी हुक्मरान आम जनमानस की सेहत को लेकर कितने संजीदा और तत्पर हैं.

Intro:नोट- पैकेज एफटीपी पर इस स्लग द्वारा भेजी जा चुकी है up_lkn_108ambulancerealitycheck_7205788 उत्तर प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाएं नीति आयोग की श्रेणी में पिछड़ने के बाद आज ईटीवी भारत की टीम ने स्वास्थ्य सेवाओं की रीढ़ कहे जाने वाले उत्तर प्रदेश की 108 एंबुलेंस सेवाओं का रियलिटी चेक किया। जिसमें नीति आयोग की श्रेणी में पिछड़ने कारण सामने आए।


Body:वी.ओ-स्वास्थ सेवाओं के गढ़ कहे जाने वाले 108 एंबुलेंस को लेकर तमाम दावे और वादे किए जाते हैं। यह जानने के लिए आज ईटीवी भारत की टीम 108 एंबुलेंस सेवा सेवा की पड़ताल इससे जुड़ी तमाम जानकारी सामने लाने का जिम्मा उठाया। इस कड़ी में हमने एक डमी मरीज के तौर पर हमारे साथी प्रशांत मिश्रा को तैयार किया उसके बाद हमने सीधे 108 एंबुलेंस को लगभग 10:45 के आसपास कॉल कर कर यह जानकारी दी कि हमारे साथी को सीने में दर्द की शिकायत है। उसके बाद हम एंबुलेंस के आने का इंतजार करने लगे। स्टार्टिंग पीटीसी रमांसी मिश्रा वी.ओ- इस दौरान 108 एंबुलेंस के कॉल सेंटर और एंबुलेंस ड्राइवर के बीच बातचीत में यह मालूम चलता है। एंबुलेंस ड्राइवर अपने नए जॉइनिंग का हवाला देकर यह कहते हैं कि उन्हें मरीज तक पहुंचने के लिए रास्ता नहीं पता है। बातचीत यह भी मालूम चलता है इस आधुनिक समय में एंबुलेंस में जीपीएस ए.सी सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसके बाद करीब आधे घंटे से अधिक का समय एंबुलेंस ना आने के बाद हम इंतजार करते रहते हैं। उसके 108 नंबर पर कॉल करके यह पुरी जानकारी फिर से देते हैं, उसके बाद फिर से या आश्वासन ही मिलता है कि एंबुलेंस हम तक पहुंच रही है। इसके बाद 11:31 पर हमारे पास दूसरी एम्बुलेंस पहुंचती है। उसके बाद हम अपने साथियों की मदद से अपने डमी मरीज प्रशांत मिश्रा को एंबुलेंस में ले जाते हैं। एंबुलेंस में इस दौरान जीपीएस व एसी नहीं होता है। इसकी वजह से हमारी मरीज को एंबुलेंस में उलझन सी महसूस होती है। एम्बुलेंस मे चालक कृष्णपाल व ईएमटी कर्मचारी के रूप मे धर्मवीर मौजूद होते है। धर्मवीर से बातचीत में यह बात भी सामने आती है 108 एंबुलेंस में जीपीएस व मोबाइल जैसीसी सुविधाएं मिलने की सिर्फ बातें हो रही हैं। यह सुविधाएं एंबुलेंस कर्मचारी तक पहुंच नहीं रही है। बाइट- धर्मवीर, ईएमटी, एम्बुलेंस पीटीसी 2- अखिल पांडे, लारी से वी ओ- इन हालातों से या तो साफ हो जाता है कि एंबुलेंस सेवाएं पूरी तरह से लोगों तक समुचित तरीके से नहीं पहुंच पा रही। इसके बाद रास्ते में हम शहर के कई चौराहों पर जाम से निकलते हुए। लारी हॉस्पिटल 108 एंबुलेंस के माध्यम से 11:55 पर पहुंच पाते हैं। इस दौरान दिल के मरीज को 1 घंटे से अधिक का समय 108 एंबुलेंस के द्वारा लग जाता है। जो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के उस आदेश की भी धज्जियांबउड़ाता दिख रहा है। पीटीसी 3- शुभम पाण्डेय, बापू भवन से वी.ओ- इसके बाद जब हम लारी कार्डियोलॉजी की इमरजेंसी में मरीज को लेकर पहुंचते हैं। तो हम हर सरकारी अस्पताल की तरह यही सवाल सामने आता है कि पहले पर्चा लेकर आओ लेकिन हम किसी तरह अपने मरीज को 10 मिनट की मशक्कत के बाद अंदर ले जाते है। जहां डॉक्टर अपनी प्राथमिक जांच शुरू करते हैं। जिसमे सबसे पहले इसीजी की जांच करवाते ही उसकी रिपोर्ट को देखकर हमारे मरीज को बिना देखे वह हाल लिए वहां से जाने को बोल देते है। जब हम उनसे कहते हैं कि हमारे मरीज को एक बार देख लीजिये तो डॉक्टर तनवीर आक्रामक रूप में आकर हमसे वहां से चले जाने को बोल देते हैं। पीटीसी 4- शुभम सुमन पाण्डेय लारी से


Conclusion:वीओ- इस स्वास्थ्य विभाग व सेवाओं में इस तरह की लापरवाही उन सभी तमाम दावों और वादों की पोल खोलती है व उन सभी लोक लुभावने वादों की काली सच्चाई भी सामने आती है। इसे साफ हो जाता है कि सरकारी हुकमारान आम जनमानस की सेहत को लेकर कितने संजीदा हैं। एंड पीटीसी प्रशांत मिश्रा

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