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लखनऊ: ऊर्जा क्षेत्र को रास नहीं आया बजट, कहा- भविष्य में निजीकरण के रास्ते होगा यह बजट - budget for energy power

शनिवार को संसद में पेश बजट 2020 ऊर्जा क्षेत्र के लोगों को रास नहीं आया है. राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने कहा कि यह बजट आने वाले समय में निजीकरण के रास्ते पर होने वाला है.

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ऊर्जा क्षेत्र के लोगों को रास नहीं आया बजट
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Published : Feb 2, 2020, 4:15 AM IST

लखनऊ: ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े लोगों को केंद्र सरकार का बजट रास नहीं आया है. उनका मानना है कि ऊर्जा क्षेत्र के लिहाज से यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक है और भविष्य में निजीकरण के रास्ते पर अग्रसर करने वाला है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीन साल में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की जो बात कही है, इससे सीधे तौर पर देश को आर्थिक नुकसान ही होना है.

ऊर्जा क्षेत्र के लोगों को रास नहीं आया बजट.

मीटर बदलने से अरबों रुपये का होता है नुकसान
वर्ल्ड एनर्जी काउंसिल के सदस्य और राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा क्षेत्र के लिए आए बजट पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे देश में समय-समय पर मीटर बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है, जो देश को अरबों रुपये का नुकसान कराती है. उत्तर प्रदेश में साल भर में ही कई बार मीटर बदल लिया जाता हैं, इससे मीटर से जुड़ी कंपनियों को तो फायदा होता है, लेकिन देश और प्रदेश को बड़ा नुकसान होता है.

पावर एनर्जी के लिए 22,000 करोड़ रुपये का ऐलान
इस बजट में पावर एनर्जी के लिए 22,000 करोड़ रुपये का ऐलान किया गया है, इससे कुछ भी होने वाला नहीं है. उनका कहना है कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि सौभाग्य योजना के तहत लगभग 2 करोड़ 47 लाख घरों को पूरे देश में बिजली दी गई, लेकिन मोदी सरकार को इस बजट में यह भी सोचना चाहिए था कि कनेक्शन देने मात्र से उनके घरों में उजाला नहीं होगा. गरीब परिवारों के घरों में लगातार उजाला तभी संभव है, जब उनकी बिजली दरें कम हों.

भविष्य में निजीकरण के रास्ते पर होगा यह बजट
उदय स्कीम लागू होने के बाद भी पूरे देश में डिस्कॉम के घाटे बढ़ गए. सौभाग्य योजना के तहत पूरे देश में कुछ गिनी चुनी कंपनियों ने घटिया सामग्री लगाकर उपभोक्ताओं को बेवकूफ बनाया, उस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. कुल मिलाकर उर्जा क्षेत्र के लिए यह बजट अच्छा नहीं कहा जाएगा. यह बजट भविष्य में निजीकरण के रास्ते पर बढ़ने वाला है.

इसे भी पढ़ें:- युवा अर्थशास्त्रियों को उम्मीद, बोले- बजट संतुलित और खास

लखनऊ: ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े लोगों को केंद्र सरकार का बजट रास नहीं आया है. उनका मानना है कि ऊर्जा क्षेत्र के लिहाज से यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक है और भविष्य में निजीकरण के रास्ते पर अग्रसर करने वाला है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीन साल में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की जो बात कही है, इससे सीधे तौर पर देश को आर्थिक नुकसान ही होना है.

ऊर्जा क्षेत्र के लोगों को रास नहीं आया बजट.

मीटर बदलने से अरबों रुपये का होता है नुकसान
वर्ल्ड एनर्जी काउंसिल के सदस्य और राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने ऊर्जा क्षेत्र के लिए आए बजट पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे देश में समय-समय पर मीटर बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है, जो देश को अरबों रुपये का नुकसान कराती है. उत्तर प्रदेश में साल भर में ही कई बार मीटर बदल लिया जाता हैं, इससे मीटर से जुड़ी कंपनियों को तो फायदा होता है, लेकिन देश और प्रदेश को बड़ा नुकसान होता है.

पावर एनर्जी के लिए 22,000 करोड़ रुपये का ऐलान
इस बजट में पावर एनर्जी के लिए 22,000 करोड़ रुपये का ऐलान किया गया है, इससे कुछ भी होने वाला नहीं है. उनका कहना है कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि सौभाग्य योजना के तहत लगभग 2 करोड़ 47 लाख घरों को पूरे देश में बिजली दी गई, लेकिन मोदी सरकार को इस बजट में यह भी सोचना चाहिए था कि कनेक्शन देने मात्र से उनके घरों में उजाला नहीं होगा. गरीब परिवारों के घरों में लगातार उजाला तभी संभव है, जब उनकी बिजली दरें कम हों.

भविष्य में निजीकरण के रास्ते पर होगा यह बजट
उदय स्कीम लागू होने के बाद भी पूरे देश में डिस्कॉम के घाटे बढ़ गए. सौभाग्य योजना के तहत पूरे देश में कुछ गिनी चुनी कंपनियों ने घटिया सामग्री लगाकर उपभोक्ताओं को बेवकूफ बनाया, उस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है. कुल मिलाकर उर्जा क्षेत्र के लिए यह बजट अच्छा नहीं कहा जाएगा. यह बजट भविष्य में निजीकरण के रास्ते पर बढ़ने वाला है.

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Intro:बार-बार मीटर बदलने से होगा आर्थिक नुकसान, ऊर्जा क्षेत्र के लिए निराशाजनक है बजट

लखनऊ। ऊर्जा क्षेत्र से जुड़े लोगों को केंद्र सरकार का बजट रास नहीं आया है। उनका मानना है कि ऊर्जा क्षेत्र के लिहाज से यह बजट पूरी तरह से निराशाजनक है और भविष्य में निजीकरण के रास्ते पर अग्रसर करने वाला है। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने तीन साल में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की जो बात कही है इससे सीधे तौर पर देश को आर्थिक नुकसान ही होना है। इसका कोई फायदा होने वाला नहीं है। पहले तकनीकी में सुधार करना चाहिए उसके बाद कोई फैसला लेना चाहिए।


Body:वर्ल्ड एनर्जी काउंसिल के सदस्य और राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने 'ईटीवी भारत' से ऊर्जा क्षेत्र के लिए आए बजट पर अपनी राय व्यक्त करते हुए कहा कि हमारे देश में समय-समय पर मीटर बदलने की प्रक्रिया शुरू कर दी जाती है जो देश को अरबों रुपए का नुकसान कराती है उत्तर प्रदेश में साल भर में ही कई बार मीटर बदल लिया जाते हैं इससे मीटर से जुड़ी कंपनियों को तो फायदा होता है लेकिन देश और प्रदेश को बड़ा नुकसान इस तरह के कदम उठाने से पहले जरूर सोचना चाहिए। इस बजट में पावर एनर्जी के लिए 22000 करोड रुपए का ऐलान किया गया है इससे कुछ भी होने वाला नहीं है। उनका कहना है कि सबसे बड़ा मुद्दा यह है कि सौभाग्य योजना के तहत लगभग 2 करोड 47 लाख घरों को पूरे देश में बिजली दी गई, लेकिन केंद्र की मोदी सरकार को इस बजट में यह भी सोचना चाहिए था कि कनेक्शन देने मात्र से उनके घरों में उजाला नहीं होगा। गरीब परिवारों के घरों में लगातार उजाला तभी संभव है जब उनकी बिजली दरें कम हों। इस बजट में पूरे देश का सौभाग्य योजना के तहत जगमग परिवार इस आस में था कि उनकी बिजली दरों के लिए मोदी सरकार कोई नई योजना लाकर उन्हें सस्ती दरों पर बिजली का इंतजाम करेगी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ।


Conclusion:उन्होंने कहा कि उदय स्कीम लागू होने के बाद भी पूरे देश में डिस्कॉम के घाटे बढ़ गए। इस योजना के बदलाव पर क्यों ध्यान नहीं दिया गया। सौभाग्य योजना के तहत पूरे देश में कुछ गिनी चुनी कंपनियों ने घटिया सामग्री लगाकर उपभोक्ताओं को बेवकूफ बनाया उस ओर भी कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है। सबसे बड़ा सवाल किसानों को राहत देने का है तो शायद यह सभी सरकारों को पता होगा कि सही मायने में किसानों को राहत तभी होगी जब उनकी बिजली दरों में कमी के इंतजाम हों। कुल मिलाकर उर्जा क्षेत्र के लिए यह बजट अच्छा नहीं कहा जाएगा। भविष्य में निजीकरण के रास्ते पर बढ़ने वाला ही बजट है।


अखिल पांडेय, लखनऊ 93668 64096
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