लखनऊ: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री ने तीन जुलाई को देश के सभी राज्यों के ऊर्जा मंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए मीटिंग रखी है. बताया जा रहा है कि इस मीटिंग का फोकस इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल पर होगा. इसी को ध्यान में रखकर ही ऊर्जा मंत्री ने सभी ऊर्जा मंत्रियों को बैठक के लिए बुलाया है.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री की तरफ से बुलाई गई मीटिंग पर ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने साफ कहा है कि अगर इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल 2020 पर जल्दबाजी में फैसला लिया गया तो सभी बिजलीकर्मी इसका कड़ा विरोध करेंगे. फेडरेशन के पदाधिकारियों का कहना है कि तीन जुलाई को होने वाली मीटिंग में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 एक मुख्य मुद्दा है. इसके अलावा वितरण कंपनियों की वित्तीय स्थिति और सुधार आधारित नई वितरण योजना पर भी निर्णय लिया जाएगा.
बिल पर विचार करने के लिए सिर्फ 35 मिनट
ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि बैठक के एजेंडा में इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 पर विचार-विमर्श के लिए सिर्फ 35 मिनट का समय निर्धारित किया गया है. इससे केंद्र सरकार की मंशा का पता चलता है कि बिना किसी गंभीर विचार-विमर्श के केंद्र सरकार इस बिल पर राज्यों की राय लेने की औपचारिकता पूरी कर बिल को संसद के आगामी मानसून सत्र में पारित कराना चाहती है.
35 मिनट में 30 प्रांतों की बात
उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 के विरोध में देश के 11 प्रांतों के मुख्यमंत्री और ऊर्जा मंत्री ने प्रधानमंत्री और केंद्रीय विद्युत मंत्री को पत्र भेजकर कड़ी नाराजगी जाहिर की है. ऐसे में शुक्रवार को होने वाली मीटिंग में प्रत्येक राज्य के ऊर्जा मंत्री को अपना पक्ष रखने के लिए कम से कम 30-30 मिनट का समय चाहिए, लेकिन एजेंडा में महज 35 मिनट में सभी 30 प्रांतों की बात सुन ली जाएगी.
ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन के चेयरमैन शैलेन्द्र दुबे ने बताया कि इससे साफ है कि केंद्र सरकार मीटिंग कर मात्र औपचारिकता कर रही है. बहुमत के चलते संसद में बिल पारित कराने की तैयारी कर चुकी है, जो सही नहीं है.
फेडरेशन ने की अपील
ऑल इण्डिया पॉवर इंजीनियर्स फेडरेशन ने ऊर्जा मंत्रियों की मीटिंग के पहले देश के सभी प्रांतों के मुख्यमंत्रियों और ऊर्जा मंत्रियों को पत्र मेल कर अपील की है. इसके मद्देनजर तीन जुलाई को होने वाली मीटिंग में वे इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 पर जल्दबाजी में निर्णय लेने का विरोध करने को कहा है. इस अपील में यह भी कहा गया है कि पूर्व की तरह विस्तृत विचार-विमर्श के लिए बिल संसद की ऊर्जा मामलों की स्टैंडिंग कमेटी को भेजा जाए, जिससे सभी स्टेकहोल्डरों खासकर किसानों, उपभोक्ताओं और बिजलीकर्मियों को अपनी बात रखने का पूरा अवसर मिल सके.
देश में होगा इसका विरोध
बता दें कि इलेक्ट्रिसिटी अमेंडमेंट बिल 2020 के जरिये मुनाफे वाले क्षेत्र के विद्युत वितरण को फ्रेंचाइजी को देने, किसानों और गरीब उपभोक्ताओं को बिजली टैरिफ में मिलने वाली सब्सिडी समाप्त करने जैसे कई प्रमुख मुद्दे हैं. यहां पर बिजलीकर्मियों और उपभोक्ताओं समेत देश के 11 प्रांतों ने विरोध जताया है. फेडरेशन ने चेतावनी दी है कि उपभोक्ताओं और बिजली कर्मचारियों का पक्ष सुने बगैर जल्दबाजी में बिल को लोकसभा में न रखें. अगर ऐसा होता है तो देश के 15 लाख बिजली कर्मचारी और इंजीनियर इसका देशभर में जोरदार विरोध करेंगे.