लखनऊ : कानपुर देहात में अतिक्रमण हटाने के नाम पर मां बेटी की जान चली गई, लेकिन राजधानी लखनऊ में पुलिस प्रशासन और नगर निगम के अफसरों ने हर तरफ अतिक्रमण को संरक्षण देने का काम किया है. यह कहना भी गलत नहीं होगा कि अफसरों ने राजधानी लखनऊ में फुटपाथ और सड़कों को बेच कर उन पर अतिक्रमण करवा दिया है. मुख्यमंत्री कार्यालय के आसपास के क्षेत्र हो या अन्य कोई इलाका, हर तरफ सड़क और फुटपाथ पर कब्जा साफ-साफ दिखता है. लालबाग हजरतगंज विक्रमादित्य मार्ग महानगर आलमबाग सहित कोई भी इलाका हो सड़क और फुटपाथ पर अतिक्रमण है. दुकानदारों से लेकर कार बाजार वालों ने हर तरफ कब्जा किया हुआ है और बकायदा पुलिस और नगर निगम के अफसरों का महीने का रेट बंधा हुआ है.
दरअसल राजधानी लखनऊ का कोई भी इलाका हो सड़कों के किनारे और फुटपाथ पर अतिक्रमण है. नगर निगम मुख्यालय के ठीक बगल में कार बाजार लगती है और यहां पर सड़क पर गाड़ियां दिनभर पार्क रहती हैं. फुटपाथ पर ही बाइक की पार्किंग है. तमाम दुकानें फुटपाथ पर संचालित होती हैं. लालबाग में हजरतगंज पुलिस थाने के सामने कार बाजार संचालकों की मनमानी दिखती है. ऐसा लगता है कि व्यापारियों के सामने पुलिस पूरी तरह से नतमस्तक है. नगर निगम के अधिकारियों का कहना है कि हम अतिक्रमण हटा आते हैं और फिर से हो जाता है. इसके पीछे की जिम्मेदार पुलिस होती है. पुलिस के संरक्षण के बिना अतिक्रमण नहीं हो सकता है.
भारतीय जनता पार्टी के पार्षद दिलीप श्रीवास्तव ने कहा कि राजधानी लखनऊ में जहां पर भी अतिक्रमण है उसके पीछे के जिम्मेदार नगर निगम और पुलिस प्रशासन के अफसर हैं. बिना अधिकारियों के संरक्षण के कहीं पर भी अतिक्रमण संभव नहीं है. तमाम बड़े व्यवसायियों ने अपने प्रतिष्ठानों के सामने फुटपाथ और सड़क पर कब्जा कर रखा है. यह सब समाजवादी पार्टी मानसिकता वाले व्यापारी हैं जो अव्यवस्था उत्पन्न करते हैं. प्रशासन को चाहिए कि कठोर कार्रवाई करे और अतिक्रमण बिल्कुल भी नहीं होना चाहिए.
नगर निगम के मुख्य कर निर्धारण अधिकारी अशोक सिंह कहते हैं कि यह कहना ठीक नहीं है कि लखनऊ नगर निगम पूरी तरह से अतिक्रमण हटाने में फ्लॉप साबित हो रहा है. हम लोग प्रतिदिन अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई करते हैं. जोनल स्तर पर प्रवर्तन की टीम कार्रवाई करती है, लेकिन पुलिस की वजह से अतिक्रमण पूरी तरह से समाप्त नहीं हो पाता है. हम लोग अतिक्रमण हटा देते हैं, लेकिन पुलिस के संरक्षण की वजह से अतिक्रमण फिर से हो जाता है. इसके लिए सीधे तौर पर पुलिस के अधिकारी जिम्मेदार हैं. लखनऊ पुलिस कमिश्नरेट के जेसीपी पीयूष मोर्डिया का कहना है कि हम लोग समय-समय पर के खिलाफ कार्रवाई करते हैं. सिर्फ पुलिस जिम्मेदार है अतिक्रमण के पीछे ऐसा बिल्कुल नहीं है. अतिक्रमण के खिलाफ अभियान चलाकर कठोर कार्रवाई की जाती है.