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नौकरी से निकाले जाने पर कर्मचारियों ने कांग्रेस प्रदेश कार्यालय पर जड़ा ताला, नेताओं को अंदर जाने नहीं दिया

नौकरी से निकाले जाने पर कर्मचारियों ने उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय पर ताला लगाकर धरने पर बैठ गए. इस दौरान कर्मचारियों ने किसी अंदर जाने नहीं दिया.

उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय पर हंगामा
उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय पर हंगामा
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Published : Mar 20, 2023, 3:26 PM IST

लखनऊः उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में सोमवार की सुबह नाराज पूर्व कर्मचारियों ने कार्यालय गेट पर ताला जड़ दिया. ताला लगाने वाले कर्मचारियों का आरोप है कि पार्टी ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए उन्हें अचानक से बाहर कर दिया है. ऐसे में वह अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे, यह उनके लिए चिंता का विषय बन गया है. हालांकि कांग्रेस पार्टी की ओर से इस पूरे मामले पर कुछ भी कहने से साफ तौर पर इंकार कर दिया गया है. वहीं, पार्टी सूत्रों का कहना है कि कर्मचारी रिटायरमेंट उम्र तक पहुंच गए थे, इसलिए इन्हें हटाया गया है.


गौरतलब है कि शनिवार को प्रदेश कार्यालय में तैनात चपरासी अजय कुमार, ड्राइवर संतोष सिंह, परिवहन इंचार्ज लाल बिहार पुरी को काम से निकाल दिया है. जबकि स्टोर इंचार्ज राकेश कुमार को सीतापुर जिला कांग्रेस कमेटी का काम सौंप दिया है. निकाले गए कर्मचारियों ने सोमवार को प्रदेश कार्यालय के मेन गेट पर ताला बंद कर सभी नेताओं के कार्यालय में प्रवेश पर रोक लगा दिया. घंटो चले हंगामे के बाद दूसरे कर्मचारियों व वनेताओं के समझाने पर निकाले गए कर्मचारियों ने गेट का ताला खोला. हालांकि वह पार्टी कार्यालय के अंदर ही धरना प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं.

बता दें कि इससे पहले वर्ष नवंबर 2020 में कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश कार्यालय में रह रहे अपने कुछ कर्मचारियों को नौकरी से निकाला था. साथ ही उन कर्मचारियों को परिसर में अवैध रूप से बनाए अपने मकानों को खाली करने का आदेश दिया था. जिसके बाद नाराज कर्मचारियों ने उस समय भी मुख्यालय की गेट पर ताला जड़ कट जमकर हंगामा किया था. उस समय भी कर्मचारियों ने इसका जमकर विरोध किया था. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने संपत्तियों पर कब्जा खाली कराने का हवाला देते हुए इस कदम को सही ठहराया था.

लखनऊः उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यालय में सोमवार की सुबह नाराज पूर्व कर्मचारियों ने कार्यालय गेट पर ताला जड़ दिया. ताला लगाने वाले कर्मचारियों का आरोप है कि पार्टी ने तुगलकी फरमान सुनाते हुए उन्हें अचानक से बाहर कर दिया है. ऐसे में वह अपने परिवार का भरण पोषण कैसे करेंगे, यह उनके लिए चिंता का विषय बन गया है. हालांकि कांग्रेस पार्टी की ओर से इस पूरे मामले पर कुछ भी कहने से साफ तौर पर इंकार कर दिया गया है. वहीं, पार्टी सूत्रों का कहना है कि कर्मचारी रिटायरमेंट उम्र तक पहुंच गए थे, इसलिए इन्हें हटाया गया है.


गौरतलब है कि शनिवार को प्रदेश कार्यालय में तैनात चपरासी अजय कुमार, ड्राइवर संतोष सिंह, परिवहन इंचार्ज लाल बिहार पुरी को काम से निकाल दिया है. जबकि स्टोर इंचार्ज राकेश कुमार को सीतापुर जिला कांग्रेस कमेटी का काम सौंप दिया है. निकाले गए कर्मचारियों ने सोमवार को प्रदेश कार्यालय के मेन गेट पर ताला बंद कर सभी नेताओं के कार्यालय में प्रवेश पर रोक लगा दिया. घंटो चले हंगामे के बाद दूसरे कर्मचारियों व वनेताओं के समझाने पर निकाले गए कर्मचारियों ने गेट का ताला खोला. हालांकि वह पार्टी कार्यालय के अंदर ही धरना प्रदर्शन जारी रखे हुए हैं.

बता दें कि इससे पहले वर्ष नवंबर 2020 में कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश कार्यालय में रह रहे अपने कुछ कर्मचारियों को नौकरी से निकाला था. साथ ही उन कर्मचारियों को परिसर में अवैध रूप से बनाए अपने मकानों को खाली करने का आदेश दिया था. जिसके बाद नाराज कर्मचारियों ने उस समय भी मुख्यालय की गेट पर ताला जड़ कट जमकर हंगामा किया था. उस समय भी कर्मचारियों ने इसका जमकर विरोध किया था. लेकिन कांग्रेस पार्टी ने संपत्तियों पर कब्जा खाली कराने का हवाला देते हुए इस कदम को सही ठहराया था.

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