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निजीकरण के विरोध में 26 नवंबर को लाखों बिजलीकर्मी करेंगे प्रदर्शन

केंद्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मी 26 नवंबर को विरोध प्रदर्शन करेंगे. देश भर में बिजलीकर्मी निजीकरण के उद्देश्य से लाए गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को निरस्त करने की मांग करेंगे.

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी.
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के पदाधिकारी.
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Published : Nov 19, 2020, 2:02 AM IST

लखनऊः केंद्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मी 26 नवंबर को विरोध प्रदर्शन करेंगे. 26 नवंबर को देशभर में बिजलीकर्मी निजीकरण के उद्देश्य से लाए गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को निरस्त करने की मांग करेंगे.

मांगें नहीं मानी तो राष्ट्रव्यापी संघर्ष का संकल्प लेंगे
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि कोविड-19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर तुली हैं. इससे देश के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है. उन्होंने कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी संघर्ष का संकल्प लेंगे. बिजलीकर्मी किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से सहयोग करने की अपील कर रहे हैं, जिन्हें निजीकरण के बाद सबसे अधिक नुकसान होने जा रहा है.

उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार लागत से कम मूल्य पर किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी और सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी. वर्तमान में बिजली की लागत लगभग 7.90 रुये प्रति यूनिट है. नए कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनियों को कम से कम 16% मुनाफा लेने का अधिकार होगा जिससे 10 रुपये प्रति यूनिट से कम दाम पर किसी भी उपभोक्ता को बिजली नहीं मिलेगी.

  • डिस्कॉम को बेचने पर तुली सरकार
    शैलेंद्र दुबे के अनुसार स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार निजी कंपनियों को डिस्कॉम की परिसंपत्तियां कौड़ियों के दाम सौंपी जानी है. इतना ही नहीं सरकार डिस्कॉम की सभी देनदारियों व घाटे को खुद अपने ऊपर ले लेंगी और निजी कंपनियों को डिस्कॉम दे देगी. नई नीति के अनुसार डिस्कॉम के 100% शेयर बेंचे जाने है और सरकार का निजीकरण के बाद कर्मचारियों के प्रति कोई दायित्व नहीं रहेगा. कर्मचारियों को निजी क्षेत्र के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा.

    ये हैं प्रमुख मांगें
  • बिजली कंपनियों का एकीकरण कर केरल केईएसईबी लिमिटेड की तरह सभी प्रांतों में एसईबी लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाये. जिसमे उत्पादन, पारेषण और वितरण एक साथ हों.
  • निजीकरण और फ्रेंचाइजी की सभी प्रक्रिया निरस्त की जाये और चल रहे निजीकरण व फ्रेंचाइजी को रद किया जाए.
  • सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए.
  • तेलंगाना सरकार की तरह बिजली सेक्टर में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए.

लखनऊः केंद्र और राज्य सरकारों की निजीकरण की नीति के विरोध में देश के 15 लाख बिजली कर्मियों के साथ उत्तर प्रदेश के बिजलीकर्मी 26 नवंबर को विरोध प्रदर्शन करेंगे. 26 नवंबर को देशभर में बिजलीकर्मी निजीकरण के उद्देश्य से लाए गए इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट) बिल और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट को निरस्त करने की मांग करेंगे.

मांगें नहीं मानी तो राष्ट्रव्यापी संघर्ष का संकल्प लेंगे
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि कोविड-19 महामारी के बीच केन्द्र सरकार और कुछ राज्य सरकारें बिजली वितरण का निजीकरण करने पर तुली हैं. इससे देश के बिजली कर्मियों में भारी गुस्सा है. उन्होंने कहा कि निजीकरण की प्रक्रिया पूरी तरह वापस न की गई तो राष्ट्रव्यापी संघर्ष का संकल्प लेंगे. बिजलीकर्मी किसानों और घरेलू उपभोक्ताओं से सहयोग करने की अपील कर रहे हैं, जिन्हें निजीकरण के बाद सबसे अधिक नुकसान होने जा रहा है.

उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा आर्थिक बोझ
संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे ने बताया कि इलेक्ट्रिसिटी (अमेंडमेंट ) बिल 2020 और बिजली वितरण के निजीकरण के स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार लागत से कम मूल्य पर किसी को भी बिजली नहीं दी जाएगी और सब्सिडी समाप्त कर दी जाएगी. वर्तमान में बिजली की लागत लगभग 7.90 रुये प्रति यूनिट है. नए कंपनी एक्ट के अनुसार निजी कंपनियों को कम से कम 16% मुनाफा लेने का अधिकार होगा जिससे 10 रुपये प्रति यूनिट से कम दाम पर किसी भी उपभोक्ता को बिजली नहीं मिलेगी.

  • डिस्कॉम को बेचने पर तुली सरकार
    शैलेंद्र दुबे के अनुसार स्टैण्डर्ड बिडिंग डॉक्यूमेंट के अनुसार निजी कंपनियों को डिस्कॉम की परिसंपत्तियां कौड़ियों के दाम सौंपी जानी है. इतना ही नहीं सरकार डिस्कॉम की सभी देनदारियों व घाटे को खुद अपने ऊपर ले लेंगी और निजी कंपनियों को डिस्कॉम दे देगी. नई नीति के अनुसार डिस्कॉम के 100% शेयर बेंचे जाने है और सरकार का निजीकरण के बाद कर्मचारियों के प्रति कोई दायित्व नहीं रहेगा. कर्मचारियों को निजी क्षेत्र के रहमोकरम पर छोड़ दिया जाएगा.

    ये हैं प्रमुख मांगें
  • बिजली कंपनियों का एकीकरण कर केरल केईएसईबी लिमिटेड की तरह सभी प्रांतों में एसईबी लिमिटेड का पुनर्गठन किया जाये. जिसमे उत्पादन, पारेषण और वितरण एक साथ हों.
  • निजीकरण और फ्रेंचाइजी की सभी प्रक्रिया निरस्त की जाये और चल रहे निजीकरण व फ्रेंचाइजी को रद किया जाए.
  • सभी बिजली कर्मियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू की जाए.
  • तेलंगाना सरकार की तरह बिजली सेक्टर में कार्यरत सभी संविदा कर्मचारियों को नियमित किया जाए.

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