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बिजली आपूर्ति के दावों और हकीकत में है बड़ा अंतर, करना होगा और काम

उत्तर प्रदेश में बीते कुछ वर्षों में बिजली की आपूर्ति में काफी सुधार देखने को मिला है. वहीं ग्रामीण इलाकों की बात करें तो भीषण गर्मी में बिजली की मांग ज्यादा होती है. पढ़ें यूपी के ब्यूरो चीफ आलोक त्रिपाठी का विश्लेषण.

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Published : Jun 2, 2023, 5:06 PM IST

लखनऊ : प्रदेश सरकार विद्युत आपूर्ति को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन इन दावों और हकीकत में बड़ा फासला है. दावा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 18 से 20 घंटे बिजली की सप्लाई की जा रही है, जबकि तहसील मुख्यालयों को 20 से 22 घंटे और जिला मुख्यालय को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति की जा रही है, हालांकि स्थिति इससे काफी भिन्न है. अपवाद छोड़ दें, तो ग्रामीण क्षेत्रों को बमुश्किल 10-12 घंटे ही बिजली मिल पा रही है. तहसील मुख्यालयों और जिला मुख्यालयों में भी खूब अघोषित कटौती होती है.


बिजली की आपूर्ति में काफी सुधार
बिजली की आपूर्ति में काफी सुधार

इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले कुछ वर्षों में बिजली की आपूर्ति में काफी सुधार हुआ है. बावजूद इसके लिए अभी इस दिशा में बहुत काम किए जाने की जरूरत है. मई-जून के महीने में भीषण गर्मी के दौरान प्रदेश में बिजली की मांग चरम पर होती है. ऐसे में विद्युत सप्लाई का तंत्र चरमराने लगता है. बिजली आपूर्ति के दावे और रोस्टर कुछ भी हो, कभी लाइन दुरुस्त करने के नाम पर, तो कभी अन्य कारणों से बिजली की कटौती की जाती है. दूरस्थ क्षेत्रों की बात को छोड़ भी दें तो राजधानी लखनऊ के ग्रामीण अंचलों में भी खूब बिजली कटौती होती है. निश्चित रूप से सरकार को स्थिति सुधारने के लिए और काम करने की जरूरत है.


यदि सरकारी दावों की बात करें, तो भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में 1,21,324 मजरों का विद्युतीकरण किया है और एक करोड़ 58 लाख घरों का विद्युत कनेक्शन भी उपलब्ध कराए हैं. प्रदेश में 33/11 केवी के 749 नए विद्युत उपकेंद्र स्थापित एवं 1503 विद्युत उपकेंद्रों की क्षमता वृद्धि की गई है. 1000 से अधिक आबादी वाले 19031 गांवों में 26805 किलो मीटर एबी केबल लगाए गए हैं. 8.60 लाख अनमीटर्ड विद्युत उपभोक्ताओं के परिसर में मीटर लगाने का काम भी किया गया है. कुल विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़कर 30,462 मेगावाट हो गई है. निजी पूंजी निवेश से 2035 मेगावाट क्षमता की तथा रूफटॉप सोलर पावर प्लांट की 256 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाओं की स्थापना भी की गई है. सार्वजनिक पथ प्रकाश के लिए 21,197 सोलर स्ट्रीट लाइट संयंत्रों की स्थापना भी की गई है.


प्रदेश में बिजली आपूर्ति
प्रदेश में बिजली आपूर्ति

इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक अतुल गुप्ता कहते हैं 'सरकार के दावे और आंकड़े भले ही बहुत आकर्षक दिखते हों, लेकिन बिजली के क्षेत्र में अभी बहुत काम होना बाकी है. बिजली चोरी पर अंकुश लगने से तमाम समस्याओं का समाधान हो सकता है. वहीं जर्जर लाइनों को बदलने, ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ाने और प्रदेश में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति करने के लिए सरकार को अभी काफी वक्त लगेगा. यह कोई छोटा काम भी नहीं है. संभव है कि 24 घंटे विद्युत आपूर्ति देने में कुछ वर्ष और लगें, लेकिन इसके बिना न विकास संभव है और न ही जनता की खुशहाली.'

यह भी पढ़ें : यूपी में आगरा से 'मिशन-2024' का चुनावी बिगुल फूकेंगे जेपी नड्डा, कार्यकर्ताओं से करेंगे 'टिफिन पर चर्चा'

लखनऊ : प्रदेश सरकार विद्युत आपूर्ति को लेकर बड़े-बड़े दावे करती है, लेकिन इन दावों और हकीकत में बड़ा फासला है. दावा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में 18 से 20 घंटे बिजली की सप्लाई की जा रही है, जबकि तहसील मुख्यालयों को 20 से 22 घंटे और जिला मुख्यालय को 24 घंटे विद्युत आपूर्ति की जा रही है, हालांकि स्थिति इससे काफी भिन्न है. अपवाद छोड़ दें, तो ग्रामीण क्षेत्रों को बमुश्किल 10-12 घंटे ही बिजली मिल पा रही है. तहसील मुख्यालयों और जिला मुख्यालयों में भी खूब अघोषित कटौती होती है.


बिजली की आपूर्ति में काफी सुधार
बिजली की आपूर्ति में काफी सुधार

इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले कुछ वर्षों में बिजली की आपूर्ति में काफी सुधार हुआ है. बावजूद इसके लिए अभी इस दिशा में बहुत काम किए जाने की जरूरत है. मई-जून के महीने में भीषण गर्मी के दौरान प्रदेश में बिजली की मांग चरम पर होती है. ऐसे में विद्युत सप्लाई का तंत्र चरमराने लगता है. बिजली आपूर्ति के दावे और रोस्टर कुछ भी हो, कभी लाइन दुरुस्त करने के नाम पर, तो कभी अन्य कारणों से बिजली की कटौती की जाती है. दूरस्थ क्षेत्रों की बात को छोड़ भी दें तो राजधानी लखनऊ के ग्रामीण अंचलों में भी खूब बिजली कटौती होती है. निश्चित रूप से सरकार को स्थिति सुधारने के लिए और काम करने की जरूरत है.


यदि सरकारी दावों की बात करें, तो भाजपा सरकार ने अपने कार्यकाल में 1,21,324 मजरों का विद्युतीकरण किया है और एक करोड़ 58 लाख घरों का विद्युत कनेक्शन भी उपलब्ध कराए हैं. प्रदेश में 33/11 केवी के 749 नए विद्युत उपकेंद्र स्थापित एवं 1503 विद्युत उपकेंद्रों की क्षमता वृद्धि की गई है. 1000 से अधिक आबादी वाले 19031 गांवों में 26805 किलो मीटर एबी केबल लगाए गए हैं. 8.60 लाख अनमीटर्ड विद्युत उपभोक्ताओं के परिसर में मीटर लगाने का काम भी किया गया है. कुल विद्युत उत्पादन क्षमता बढ़कर 30,462 मेगावाट हो गई है. निजी पूंजी निवेश से 2035 मेगावाट क्षमता की तथा रूफटॉप सोलर पावर प्लांट की 256 मेगावाट क्षमता की सौर परियोजनाओं की स्थापना भी की गई है. सार्वजनिक पथ प्रकाश के लिए 21,197 सोलर स्ट्रीट लाइट संयंत्रों की स्थापना भी की गई है.


प्रदेश में बिजली आपूर्ति
प्रदेश में बिजली आपूर्ति

इस संबंध में राजनीतिक विश्लेषक अतुल गुप्ता कहते हैं 'सरकार के दावे और आंकड़े भले ही बहुत आकर्षक दिखते हों, लेकिन बिजली के क्षेत्र में अभी बहुत काम होना बाकी है. बिजली चोरी पर अंकुश लगने से तमाम समस्याओं का समाधान हो सकता है. वहीं जर्जर लाइनों को बदलने, ट्रांसफार्मरों की क्षमता बढ़ाने और प्रदेश में 24 घंटे बिजली की आपूर्ति करने के लिए सरकार को अभी काफी वक्त लगेगा. यह कोई छोटा काम भी नहीं है. संभव है कि 24 घंटे विद्युत आपूर्ति देने में कुछ वर्ष और लगें, लेकिन इसके बिना न विकास संभव है और न ही जनता की खुशहाली.'

यह भी पढ़ें : यूपी में आगरा से 'मिशन-2024' का चुनावी बिगुल फूकेंगे जेपी नड्डा, कार्यकर्ताओं से करेंगे 'टिफिन पर चर्चा'

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