लखनऊ: देश के एक निजी बड़े घराने की तरफ से म्युनिसिपल कारपोरेशन गाजियाबाद व गौतमबुद्धनगर के लिए समानांतर विद्युत वितरण लाइसेंस के लिए विद्युत नियामक आयोग में दाखिल याचिका की स्वीकार्यता को लेकर सोमवार को सुनवाई होगी. याचिका की स्वीकार्यता के खिलाफ उपभोक्ता परिषद अपने तर्क प्रस्तुत कर विद्युत नियामक आयोग से बड़े निजी घराने की इस याचिका को खारिज करने की मांग करेगा.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि पहले ही परिषद विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 88 में दिए गए प्रावधान नीति संबंधी मुख्य प्रश्न के तहत बड़े निजी ग्रुप की याचिका की स्वीकार्यता पर सार्वजनिक सुनवाई में विद्युत नियामक आयोग के सामने अपनी दलील पेश कर चुका है. ऐसे में सोमवार को फिर विद्युत नियामक आयोग जब बड़े ग्रुप की सुनवाई करेगा उसमें उपभोक्ता परिषद अपने विधिक तर्कों के आधार पर आयोग को बताएगा कि अडानी ग्रुप की याचिका स्वीकार करने योग्य नहीं है और ना ही जनहित में है.
इस ग्रुप की याचिका को खारिज किया जाना प्रदेश के उपभोक्ताओं के हित में होगा. परिषद अध्यक्ष ने कहा कि चूंकि विद्युत नियामक आयोग इस बड़े ग्रुप की याचिका की स्वीकार्यता पर पब्लिक डोमेन में नोटिस निकालकर सुनवाई करने जा रहा है, इसलिए उसे सभी पक्षों को सुनना चाहिए, क्योंकि भारत देश के लोकतंत्र में संवैधानिक व्यवस्था के तहत सभी को अपनी बात रखने का अधिकार है.
कोई भी उपभोक्ता या उसका प्रतिनिधि याचिका की स्वीकार्यता पर कोई भी संवैधानिक बात यदि रखता है और उसकी वजह से निर्णय और भी पारदर्शी हो जाता है तो यह आयोग की जिम्मेदारी होती है कि वह निर्णय की पारदर्शिता को निखारने के लिए सभी पक्षों को सुने. अवधेश वर्मा का कहना है कि विद्युत नियामक आयोग संवैधानिक प्रक्रिया के तहत हमेशा सभी पक्षों की बात सुनता रहा है और सभी को उम्मीद है कि संवैधानिक परिचर्चा के बाद आयोग जनहित में फैसला लेगा.
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