लखनऊ : उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां बिजली के खंभों पर लगने वाले दूरसंचार कंपनियों और केबल ऑपरेटर के तार से बिजली विभाग हर साल 500 करोड़ रुपए कमाएगा. विद्युत नियामक आयोग की तरफ से पहली बार दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियमावली 2022 कानून बनाया गया था. इससे संबंधी अधिसूचना राज्य सरकार ने जारी कर दी है. यानी अब बिजली के खंभों का प्रयोग करने पर दूरसंचार कंपनियों और केबल ऑपरेटर को भारी-भरकम भुगतान करना होगा. नियमावली लागू होने से बिजली कंपनियों को हर साल तकरीबन 500 करोड़ रुपए की कमाई का अनुमान है.
अभी तक बिजली के खंभों का इस्तेमाल दूरसंचार कंपनी अपने तारों और केबल ऑपरेटर अपने वायर फैलाने के लिए मुफ्त में इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे बिजली के खंभों पर तारों का मकड़जाल फैल जाता है. आने वाले दिनों में अब 5G का नेटवर्क आ रहा है. लिहाजा और भी ज्यादा तार बिजली के खंभों पर ही लटकेंगे. इसी को देखते हुए बिजली विभाग ने विद्युत नियामक आयोग से एक कानून बनाने की मांग की थी. इसके बाद नियामक आयोग की तरफ से दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियमावली 2022 नाम से नवंबर में नया कानून बना दिया था. राज्य सरकार को इसके लिए अधिसूचना जारी करने का प्रस्ताव भेजा था. अब सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है. टैरिफ इनकम के तौर पर बिजली कंपनियों को खंभों से होने वाली आय का 70 फीसद बिजली दर तय करने में शामिल किया जाएगा, जबकि 30 फीसद बिजली कंपनियों के लिए होगा. ऐसे में खंभों से बिजली विभाग की आय बढ़ेगी, जिससे बिजली दरों में भी कुछ कमी हो सकती है.
इस बारे में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि 'प्रदेश में लगभग एक करोड़ के करीब बिजली के पोल हैं. इनसे हर वर्ष करीब 500 करोड़ रुपए की बिजली विभाग की कमाई होने की उम्मीद है.' उन्होंने बताया कि 'विनियमावली के अनुसार, बिजली कंपनियां खंभों का इस्तेमाल होने पर सेफ्टी फीचर्स का भी पूरा ख्याल करेंगी. 33 केवी लाइन के टॉवर्स का प्रयोग करने की छूट किसी को भी नहीं मिलेगी. यह कानून बनने से बिजली विभाग का घाटा भी कुछ कम होगा, वहीं अतिरिक्त आय होने से बिजली की दरों में भी कमी करने के रास्ते खुलेंगे.
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Lucknow News : अब खंभों से बिजली विभाग कमाएगा हर साल 500 करोड़ रुपये, अधिसूचना जारी
दूर संचार कंपनियां व केबल आपरेटर अपने नेटवर्क का तार उपभोक्ताओं (Lucknow News) तक पहुंचाने के लिए बिजली के खंभों का इस्तेमाल करते हैं. ऐसे में विद्युत नियामक आयोग की तरफ से विनियमावली कानून बनाया गया था.
लखनऊ : उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बन जाएगा जहां बिजली के खंभों पर लगने वाले दूरसंचार कंपनियों और केबल ऑपरेटर के तार से बिजली विभाग हर साल 500 करोड़ रुपए कमाएगा. विद्युत नियामक आयोग की तरफ से पहली बार दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियमावली 2022 कानून बनाया गया था. इससे संबंधी अधिसूचना राज्य सरकार ने जारी कर दी है. यानी अब बिजली के खंभों का प्रयोग करने पर दूरसंचार कंपनियों और केबल ऑपरेटर को भारी-भरकम भुगतान करना होगा. नियमावली लागू होने से बिजली कंपनियों को हर साल तकरीबन 500 करोड़ रुपए की कमाई का अनुमान है.
अभी तक बिजली के खंभों का इस्तेमाल दूरसंचार कंपनी अपने तारों और केबल ऑपरेटर अपने वायर फैलाने के लिए मुफ्त में इस्तेमाल कर रहे हैं. इससे बिजली के खंभों पर तारों का मकड़जाल फैल जाता है. आने वाले दिनों में अब 5G का नेटवर्क आ रहा है. लिहाजा और भी ज्यादा तार बिजली के खंभों पर ही लटकेंगे. इसी को देखते हुए बिजली विभाग ने विद्युत नियामक आयोग से एक कानून बनाने की मांग की थी. इसके बाद नियामक आयोग की तरफ से दूरसंचार नेटवर्क सुविधा विनियमावली 2022 नाम से नवंबर में नया कानून बना दिया था. राज्य सरकार को इसके लिए अधिसूचना जारी करने का प्रस्ताव भेजा था. अब सरकार ने इस संबंध में अधिसूचना जारी कर दी है. टैरिफ इनकम के तौर पर बिजली कंपनियों को खंभों से होने वाली आय का 70 फीसद बिजली दर तय करने में शामिल किया जाएगा, जबकि 30 फीसद बिजली कंपनियों के लिए होगा. ऐसे में खंभों से बिजली विभाग की आय बढ़ेगी, जिससे बिजली दरों में भी कुछ कमी हो सकती है.
इस बारे में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि 'प्रदेश में लगभग एक करोड़ के करीब बिजली के पोल हैं. इनसे हर वर्ष करीब 500 करोड़ रुपए की बिजली विभाग की कमाई होने की उम्मीद है.' उन्होंने बताया कि 'विनियमावली के अनुसार, बिजली कंपनियां खंभों का इस्तेमाल होने पर सेफ्टी फीचर्स का भी पूरा ख्याल करेंगी. 33 केवी लाइन के टॉवर्स का प्रयोग करने की छूट किसी को भी नहीं मिलेगी. यह कानून बनने से बिजली विभाग का घाटा भी कुछ कम होगा, वहीं अतिरिक्त आय होने से बिजली की दरों में भी कमी करने के रास्ते खुलेंगे.
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