लखनऊ : राजधानी समेत उत्तर प्रदेश भर में बिजली विभाग में लाखों की संख्या में ऐसे उपभोक्ता हैं जिन्होंने बिजली का भरपूर उपभोग किया, लेकिन बिल कभी जमा नहीं किया. ऐसे नेवर पेड़ उपभोक्ताओं पर बिजली विभाग बड़ी कार्रवाई की तैयारी में है. इन सभी से वसूली की जाएगी. कई करोड़ रुपए इन उपभोक्ताओं के पास बिजली विभाग का फंसा है. ऐसे नेवर पेड उपभोक्ताओं की वजह से नए कनेक्शन धारक भी परेशान हो रहे हैं.
उत्तर प्रदेश में पांच लाख से ज्यादा नेवर पेड उपभोक्ता हैं. राजधानी लखनऊ में भी ऐसे हजारों उपभोक्ता हैं. जिन्होंने बिजली का कनेक्शन लिया, खूब बिजली इस्तेमाल की, लेकिन जब बिल भरने का समय आया तो उन्होंने कभी बिलिंग केंद्र की तरफ रुख ही नहीं किया. लेसा ट्रांस गोमती और सिस गोमती को मिलाकर शहर में तकरीबन 50,000 ऐसे उपभोक्ता हैं, जिन पर बिजली विभाग का 40 करोड़ रुपये से भी ज्यादा बकाया है. इनसे बिल वसूल पाना भी विभाग को मुश्किल हो रहा है.
शहरभर में बिजली विभाग (electricity department) की तरफ से बिजली चोरों और बकायेदारों के खिलाफ लगातार अभियान चलाया जाता है. जो छोटे बकायेदार होते हैं उनका बिजली विभाग के अधिकारी कम बिजली का बिल होने पर भी कनेक्शन काटने पहुंच जाते हैं. बड़े उपभोक्ता जिन पर लाखों का बकाया होता है, उन पर हाथ डालने से भी अधिकारी हिचकिचाते हैं. यही वजह है कि 50 हजार से ज्यादा ऐसे उपभोक्ता हैं. जिनसे बिजली का बिल 2017-18 के बाद से अब तक विभाग वसूल नहीं पाया है. ऐसे बकायेदारों से अब बिजली का बिल वसूलेगा या फिर कुर्की करेगा.
आंकड़ों के मुताबिक लेसा सिस गोमती में करीब 40 हजार और ट्रांस गोमती में 12 हजार नेवर पेड उपभोक्ता हैं. इन्होंने 2020 के बाद से कभी बिजली का बिल जमा ही नहीं किया. इतना ही नहीं इन उपभोक्ताओं ने 'एकमुश्त समाधान योजना' में भी कभी रजिस्ट्रेशन नहीं कराया. अब ऐसे उपभोक्ताओं पर कड़ी कार्रवाई कर बिजली बिल वसूल किया जाएगा. नेवर पेड उपभोक्ताओं की संख्या बढ़ने से नए कनेक्शन लेने वाले कनेक्शन धारकों को भी विभाग नेवर पेड की श्रेणी में शामिल कर दे रहा है. किसी ने 10 दिन पहले भी अगर कनेक्शन लिया है तो वह भी नेवर पेड की श्रेणी में आ रहा है.
उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा (Consumer Council President Awadhesh Kumar Verma) का कहना है कि तीन माह, छह माह, एक साल, दो साल या फिर कभी भी कनेक्शन लेकर बिल न जमा करने वाले उपभोक्ता नेवर पेड की श्रेणी में आते हैं. इनमें ऐसे उपभोक्ताओं की संख्या काफी ज्यादा है जो गरीब हैं. ग्रामीण इलाकों में रहते है जिन्हें सौभाग्य योजना के तहत जबरदस्ती झोपड़पट्टी में भी कनेक्शन दे दिया गया. ऐसे उपभोक्ताओं को नेवर पेड की श्रेणी में रखा गया है. तमाम उपभोक्ताओं के गलत बिल बना दिए गए उनका बिल ही संशोधित नहीं हो पाता तो उन्हें नेवर पेड की श्रेणी में रख दिया जाता है.
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