ETV Bharat / state

मीटर स्लो करने के मामले में एसटीएफ के रडार पर बिजली विभाग के अफसर, हो सकती है पूछताछ

स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक दिन पहले रविवार को लखनऊ में एक ऐसे गिरोह के पांच सदस्यों को पकड़ा जो स्मार्ट मीटर स्लो करने में माहिर थे. उपभोक्ता से थोड़ा सा पैसा लेकर यह मीटर को इतना धीमा कर देते थे कि बिल का पता ही नहीं चलता था. इससे विभाग को बड़ा नुकसान हो रहा था.

Etv Bharat
Etv Bharat
author img

By

Published : Dec 13, 2022, 11:41 AM IST

लखनऊ : स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक दिन पहले रविवार को लखनऊ में एक ऐसे गिरोह के पांच सदस्यों को पकड़ा जो स्मार्ट मीटर स्लो करने में माहिर थे. उपभोक्ता से थोड़ा सा पैसा लेकर यह मीटर को इतना धीमा कर देते थे कि बिल का पता ही नहीं चलता था. इससे विभाग को बड़ा नुकसान हो रहा था. अब गिरोह के सदस्यों से पूछताछ की जा रही है कि उनके इस काले कारनामे में बिजली विभाग के अधिकारी या कर्मचारी तो संलिप्त नहीं हैं. सूत्रों की मानें तो स्पेशल टास्क फोर्स तकरीबन दर्जन भर अभियंताओं से इस मामले को लेकर पूछताछ कर सकती है. उधर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंधन निदेशक ने भी इसकी जांच के लिए एक समिति गठित की है.


चंद रुपयों में स्मार्ट मीटर स्लो करने का यह खेल लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में काफी समय से चल रहा है. लखनऊ में तो बाकायदा दो लोगों ने बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता को ही मीटर स्लो करने के लिए फोन कर दिया था, जिस पर अधिशासी अभियंता ने उन दोनों को अपने घर पर बुला भी लिया था. मौके पर पुलिस को भी बुलाया, जिसके बाद दोनों पकड़ में आए थे. सामने आया था कि यह पहले बिलिंग एजेंसी में काम कर चुके हैं. बावजूद इसके बिजली विभाग के अधिकारियों ने कोई जांच पड़ताल नहीं की और इस मामले को यहीं पर खत्म कर दिया. इसी का नतीजा है कि अब इतने बड़े स्तर पर यह मामला सामने आया है. अब तक स्लो मीटर से बिजली विभाग को लाखों का नुकसान हो चुका है.

एसटीएफ के बिजली मीटर को धीमा करके ऊर्जा विभाग को आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले पांच लोगों को गिरफ्तार करने के बाद मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी भवानी सिंह खंगरौत ने एक समिति गठित की है. गैंग द्वारा कैसे मीटर को धीमा किया जा रहा था, क्या निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों की जानकारी के मिलीभगत से यह कार्य हो रहा था और भविष्य में इस तरह की चोरी को कैसे रोका जा सकता है, जैसे बिन्दुओं पर जांच करने के लिए कमेटी बनाई है. बताया जा रहा है कि मध्यांचल के 100 से अधिक ऐसे डिवीजन हैं जहां पर मीटर में रीडिंग अधिक और बिजली बिल कम बनाया गया है. अब मामले की गंभीरता को देखते हुए एमडी ने ऐसे डिवीजन में बिल को संशोधन करने के मामले में जांच कराने का निर्देश दिया है. लेसा के ठाकुरगंज, चौक, चिनहट, और बीकेटी डिवीजन में ऐसे मामले ज्यादा आए हैं जिसे लेकर जांच कमेटी बीते एक वर्ष में हुए बिल रीविजन के मामले की संघन जांच करेगी.

इस डिवीजन में होगी संघन जांच : बाराबंकी, लेसा, ठाकुरगंज, बीकेटी, चिनहट, मोहनलालगंज, मलिहाबाद, काकोरी, इन्दिरानगर, रायबरेली, हुसैनगंज, अमीनाबाद.



बिजली विभाग के सूत्रों की मानें तो स्मार्ट मीटर स्लो करने के इस खेल में बिजली विभाग के दर्जनभर अभियंता एसटीएफ के रडार पर हैं. दरअसल, मीटर स्लो का खेल काफी पुराना है और यह बिना बिजली विभाग के कर्मचारियों की संलिप्तता से संभव ही नहीं है. बताया जा रहा है कि मीटर स्लो करने वाले गिरोह के सदस्य 70:30 के अनुपात में मीटर सेट कर देते थे. ऐसे में गर्मी में तो बिजली की खपत होने के चलते जिस उपभोक्ता ने मीटर स्लो कराया होता था उसका काफी कम बिल आता रहा, लेकिन जब सर्दी शुरू हुई तो इस अनुपात में बिल न के बराबर हो गया. लिहाजा, विभाग को भी कई कनेक्शनों पर संदेह हुआ. जिनका पहले बिल काफी ज्यादा आता था वह सर्दी में घटकर बहुत ही कम हो गया. यह भी एक बड़ा कारण मीटर स्लो करने वाले गैंग की पकड़ के बाद सामने आया है.



उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि मीटर को धीमा करके बिजली निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें निश्चित रूप से बिजली निगम के कुछ अभियंता और कार्मिक शामिल होंगे. तभी विभाग से 500 से ज्यादा मीटर बाहर किसी प्राइवेट व्यक्ति के घर पर पहुंचे. उसने अपनी प्राइवेट प्रयोगशाला बना रखी थी और जहां पर यह कृत्य चल रहा था. इस पूरे मामले की बिजली निगमों को गहन छानबीन करना चाहिए, इसके लिए जो भी दोषी मिले उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है.


उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ सभी मीटर निर्माता कंपनियां बोलती हैं कि उनके मीटर की एमआरआई उनके ही सॉफ्टवेयर से की जा सकती है. ऐसे में सभी मीटर जो अलग-अलग कंपनी के हैं उनकी चिप एक दूसरे में अदला-बदली कैसे होती रही? उन्होंने पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज व प्रबंध निदेशक पंकज कुमार से मुलाकात की और इस प्रकार की कार्रवाई में जो भी अभियंता कार्मिक लिप्त हैं उनका पता लगाकर कठोर कार्रवाई की मांग की. इस बात पर भी जोर दिया कि भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक मीटरों व स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की तकनीकी में जिस प्रकार से छेड़छाड़ आसानी से की गई है. उससे यह बात साफ हो गई है कि सभी मीटर निर्माता कंपनियों को बुलाकर उन्हें इस बात का भी निर्देश दिया जाना चाहिए कि इस प्रकार की घटना भविष्य में न हो. अगर जरूरत हो तो मैन्युफैक्चरिंग डिफरेंट को भी दूर कराया जाए.

यह भी पढ़ें : सोलर एनर्जी की सप्लाई के लिए बनाए जाएंगे ग्रीन कॉरिडोर, रोशन होंगे गांव

लखनऊ : स्पेशल टास्क फोर्स (STF) ने एक दिन पहले रविवार को लखनऊ में एक ऐसे गिरोह के पांच सदस्यों को पकड़ा जो स्मार्ट मीटर स्लो करने में माहिर थे. उपभोक्ता से थोड़ा सा पैसा लेकर यह मीटर को इतना धीमा कर देते थे कि बिल का पता ही नहीं चलता था. इससे विभाग को बड़ा नुकसान हो रहा था. अब गिरोह के सदस्यों से पूछताछ की जा रही है कि उनके इस काले कारनामे में बिजली विभाग के अधिकारी या कर्मचारी तो संलिप्त नहीं हैं. सूत्रों की मानें तो स्पेशल टास्क फोर्स तकरीबन दर्जन भर अभियंताओं से इस मामले को लेकर पूछताछ कर सकती है. उधर मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के प्रबंधन निदेशक ने भी इसकी जांच के लिए एक समिति गठित की है.


चंद रुपयों में स्मार्ट मीटर स्लो करने का यह खेल लखनऊ समेत उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में काफी समय से चल रहा है. लखनऊ में तो बाकायदा दो लोगों ने बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता को ही मीटर स्लो करने के लिए फोन कर दिया था, जिस पर अधिशासी अभियंता ने उन दोनों को अपने घर पर बुला भी लिया था. मौके पर पुलिस को भी बुलाया, जिसके बाद दोनों पकड़ में आए थे. सामने आया था कि यह पहले बिलिंग एजेंसी में काम कर चुके हैं. बावजूद इसके बिजली विभाग के अधिकारियों ने कोई जांच पड़ताल नहीं की और इस मामले को यहीं पर खत्म कर दिया. इसी का नतीजा है कि अब इतने बड़े स्तर पर यह मामला सामने आया है. अब तक स्लो मीटर से बिजली विभाग को लाखों का नुकसान हो चुका है.

एसटीएफ के बिजली मीटर को धीमा करके ऊर्जा विभाग को आर्थिक क्षति पहुंचाने वाले पांच लोगों को गिरफ्तार करने के बाद मध्यांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी भवानी सिंह खंगरौत ने एक समिति गठित की है. गैंग द्वारा कैसे मीटर को धीमा किया जा रहा था, क्या निगम के अधिकारियों, कर्मचारियों की जानकारी के मिलीभगत से यह कार्य हो रहा था और भविष्य में इस तरह की चोरी को कैसे रोका जा सकता है, जैसे बिन्दुओं पर जांच करने के लिए कमेटी बनाई है. बताया जा रहा है कि मध्यांचल के 100 से अधिक ऐसे डिवीजन हैं जहां पर मीटर में रीडिंग अधिक और बिजली बिल कम बनाया गया है. अब मामले की गंभीरता को देखते हुए एमडी ने ऐसे डिवीजन में बिल को संशोधन करने के मामले में जांच कराने का निर्देश दिया है. लेसा के ठाकुरगंज, चौक, चिनहट, और बीकेटी डिवीजन में ऐसे मामले ज्यादा आए हैं जिसे लेकर जांच कमेटी बीते एक वर्ष में हुए बिल रीविजन के मामले की संघन जांच करेगी.

इस डिवीजन में होगी संघन जांच : बाराबंकी, लेसा, ठाकुरगंज, बीकेटी, चिनहट, मोहनलालगंज, मलिहाबाद, काकोरी, इन्दिरानगर, रायबरेली, हुसैनगंज, अमीनाबाद.



बिजली विभाग के सूत्रों की मानें तो स्मार्ट मीटर स्लो करने के इस खेल में बिजली विभाग के दर्जनभर अभियंता एसटीएफ के रडार पर हैं. दरअसल, मीटर स्लो का खेल काफी पुराना है और यह बिना बिजली विभाग के कर्मचारियों की संलिप्तता से संभव ही नहीं है. बताया जा रहा है कि मीटर स्लो करने वाले गिरोह के सदस्य 70:30 के अनुपात में मीटर सेट कर देते थे. ऐसे में गर्मी में तो बिजली की खपत होने के चलते जिस उपभोक्ता ने मीटर स्लो कराया होता था उसका काफी कम बिल आता रहा, लेकिन जब सर्दी शुरू हुई तो इस अनुपात में बिल न के बराबर हो गया. लिहाजा, विभाग को भी कई कनेक्शनों पर संदेह हुआ. जिनका पहले बिल काफी ज्यादा आता था वह सर्दी में घटकर बहुत ही कम हो गया. यह भी एक बड़ा कारण मीटर स्लो करने वाले गैंग की पकड़ के बाद सामने आया है.



उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि मीटर को धीमा करके बिजली निगम को आर्थिक क्षति पहुंचाने का एक बड़ा मामला सामने आया है, जिसमें निश्चित रूप से बिजली निगम के कुछ अभियंता और कार्मिक शामिल होंगे. तभी विभाग से 500 से ज्यादा मीटर बाहर किसी प्राइवेट व्यक्ति के घर पर पहुंचे. उसने अपनी प्राइवेट प्रयोगशाला बना रखी थी और जहां पर यह कृत्य चल रहा था. इस पूरे मामले की बिजली निगमों को गहन छानबीन करना चाहिए, इसके लिए जो भी दोषी मिले उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की आवश्यकता है.


उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने बड़ा सवाल उठाते हुए कहा कि एक तरफ सभी मीटर निर्माता कंपनियां बोलती हैं कि उनके मीटर की एमआरआई उनके ही सॉफ्टवेयर से की जा सकती है. ऐसे में सभी मीटर जो अलग-अलग कंपनी के हैं उनकी चिप एक दूसरे में अदला-बदली कैसे होती रही? उन्होंने पावर काॅरपोरेशन के चेयरमैन एम देवराज व प्रबंध निदेशक पंकज कुमार से मुलाकात की और इस प्रकार की कार्रवाई में जो भी अभियंता कार्मिक लिप्त हैं उनका पता लगाकर कठोर कार्रवाई की मांग की. इस बात पर भी जोर दिया कि भविष्य में इलेक्ट्रॉनिक मीटरों व स्मार्ट प्रीपेड मीटरों की तकनीकी में जिस प्रकार से छेड़छाड़ आसानी से की गई है. उससे यह बात साफ हो गई है कि सभी मीटर निर्माता कंपनियों को बुलाकर उन्हें इस बात का भी निर्देश दिया जाना चाहिए कि इस प्रकार की घटना भविष्य में न हो. अगर जरूरत हो तो मैन्युफैक्चरिंग डिफरेंट को भी दूर कराया जाए.

यह भी पढ़ें : सोलर एनर्जी की सप्लाई के लिए बनाए जाएंगे ग्रीन कॉरिडोर, रोशन होंगे गांव

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.