लखनऊ : उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन एक लाख करोड़ रुपए के घाटे में चल रहा है, जबकि विभाग ने 26000 करोड़ से ज्यादा पैसा उपभोक्ताओं का भी खा लिया है. पॉवर कॉरपोरेशन की तमाम योजनाओं में उपभोक्ताओं को ठगा गया. जब उपभोक्ताओं से हुई ज्यादा वसूली को लेकर नियामक आयोग का दरवाजा खटखटाया गया तो विद्युत नियामक आयोग (Electricity Regulatory Commission) ने सख्ती दिखाते हुए पाॅवर काॅरपोरेशन को उपभोक्ताओं का पैसा वापस करने का आदेश दिया. अभी भी तमाम योजनाओं में उपभोक्ताओं का पैसा पाॅवर काॅरपोरेशन के पास है, जबकि कुछ योजनाओं में जो ज्यादा वसूली की गई उसका पैसा लौटाया जा रहा है.
उत्तर प्रदेश पाॅवर काॅरपोरेशन (Uttar Pradesh Power Corporation) ने सौभाग्य योजना में लोगों को फ्री बिजली देने के वादे के साथ कनेक्शन बांट दिए और उसके बदले में उनसे ₹3 35 पैसे प्रति यूनिट की दर से वसूली कर ली. 35 पैसे प्रति यूनिट ज्यादा वसूल किया गया. इसके बाद पाॅवर काॅरपोरेशन की इस कारस्तानी की शिकायत विद्युत नियामक आयोग में दाखिल की गई और अब आयोग की तरफ से लाइफलाइन उपभोक्ताओं का पैसा वापस करने की हिदायत दी गई. उदय और ट्रू अप का बिजली विभाग पर 25,143 करोड़ रुपए, इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी का 526 करोड रुपये, कॉस्ट डाटा बुक का 100 करोड़ रुपये, डबल जीएसटी का 100 करोड़ रुपये, सौभाग्य योजना का 1455 करोड़ रुपये और लाइफ लाइन कैटेगरी के उपभोक्ताओं का भी तकरीबन 300 करोड रुपये बिजली विभाग ने हजम कर लिया है. अब नियामक आयोग में इसे लेकर भी पावर कारपोरेशन पर वसूली का दबाव बन रहा है. नियामक आयोग की सख्ती के बाद उपभोक्ताओं को अब अपने ही पैसे की वापसी की उम्मीद है.
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