लखनऊ: उत्तर प्रदेश की बिजली कंपनियों की तरफ से पावर कारपोरेशन ने कॉस्ट डेटा बुक संशोधित प्रस्ताव विद्युत नियामक आयोग में दाखिल किया है. यूपीपीसीएल ने जो संशोधित कॉस्ट डेटा बुक विद्युत नियामक आयोग में दाखिल की है, उसमें बडे पैमाने पर उपभोक्ता सामग्री की दरों में बढ़ोतरी (Electricity connection rates may increase in Uttar Pradesh), उद्योगों व बड़े उपभोक्ताओं की सिक्योरिटी राशि में 100 प्रतिशत से ज्यादा तक की वृद्धि प्रस्तावित कर दी है. इससे पहले की डेटा बुक 2019 में जारी की गई थी, जो लागू है. वैसे कॉस्ट डेटा बुक दो से तीन साल के लिए बनाई जाती है लेकिन यूपी पावर कॉरपोरेशन (UP Power Corporation) ने कास्ट डाटा बुक समय से न दाखिल करने की वजह से इसमें देरी हुई.
उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा का कहना है कि पावर कारपोरेशन ने बड़ी चालाकी से देरी पर कोई बात न करते हुए लिख दिया कि अगले दो वर्ष बाद अगर कॉस्ट डेटा बुक समय से न बन पाए तो हर साल उसमें सात फीसद बढ़ोतरी मान ली जाए. येपूरी तरह गलत है. जब विद्युत नियामक आयोग की इलेक्ट्रिसिटी सप्लाई कोड रिव्यू पैनल सब कमेटी की बैठक नई कॉस्ट डेटा बुक के संबंध में होगी, तो उसमें प्रदेश के विद्युत उपभोक्ताओं की तरफ से उपभोक्ता परिषद सदस्य के रूप में हिस्सा लेकर अपने विधिक तथ्य रखेगा.
इस बढ़ोतरी को नहीं लागू होने देगा. कॉस्ट डेटा बुक में स्मार्ट प्रीपेड मीटर की दरें नहीं दी गई है जबकि टेंडर खुलने के बाद ज्यादातर कंपनियों में ऑर्डर भी जारी कर दिया गया. इसमें दो दिन पहले प्रस्तावित कॉस्ट डेटा बुक में दरों के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई. संशोधित कॉस्ट डेटा बुक में जिस प्रकार से उपभोक्ता सामग्रियों की दरों में आसंतुलन दिख रहा है. पावर कारपोरेशन में कॉस्ट डेटा बुक को मनमाने तरीके से जल्दबाजी में प्रस्तावित कर दिया है. िससे आने वाले समय में छोटे-बड़ो आम विद्युत उपभोक्ता की नए विद्युत कनेक्शन की दरों में बड़ी बढ़ोतरी होगी.
जहां उद्योगों के नए कनेक्शन की दरें 50 प्रतिशत से ऊपर बढ़ (Electricity connection rates may increase in UP) जाएंगी, वहीं छोटे विद्युत उपभोक्ताओं के नए कनेक्शन की दरों में भी 25 से 30 प्रतिशत तक बढोतरी हो जाएगी. पावर कारपोरेशन ने कॉस्ट डेटा बुक की उपभोक्ता सामग्री की दरों में जीएसटी को शामिल करके दरें बनाई, लेकिन आयोग को जब संशोधित प्रस्ताव सौंपा तो उसमें लिख दिया कि उपभोक्ता सामग्री की दरों में जीएसटी शामिल नहीं है जो अपने आप में उपभोक्ताओं के साथ बड़ी नाइंसाफी है.
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