लखनऊ: लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड ऐसे गांवों के लिए काम कर रहा है जहां अभी तक इलेक्ट्रिक बसें नहीं पहुंची हैं. यात्रियों को बस सुविधा नहीं मिल पा रही है. कई गांव ऐसे हैं जहां पर प्रधान और विधायक ने पत्र भेजकर बस संचालन की मांग की पर इलेक्ट्रिक बस इन गांवों तक भी नहीं चली. लखनऊ के आसपास के ही लगभग 45 गांव में रहने वाले यात्री अभी भी "बे बस" हैं. उन्हें यात्रा करने के लिए परिवहन साधनों के अभाव में भटकना पड़ रहा है. अब लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड इन गांवों में इलेक्ट्रिक बस सेवा संचालित करने पर मंथन कर रहा है.
लखनऊ के बख्शी का तालाब से भारतीय जनता पार्टी के विधायक योगेश शुक्ला ने बीती नौ जनवरी को उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह को पत्र लिखा था. उन्होंने इलेक्ट्रिक बसों के विस्तार का अनुरोध किया था. यहीं नहीं पत्र में स्कूल और कोचिंग जाने वाले छात्र-छात्राओं के साथ ही सरकारी दफ्तरों, निजी कंपनियों में कार्यरत कर्मचारियों, रोगियों, कोर्ट-कचेहरी जाने वाले लोगों के लिए सिटी बसों की सुविधा मुहैया कराने का आग्रह किया था.
इसके बावजूद बसों का संचालन शुरू नहीं कराया गया. लखनऊ सिटी ट्रांसपोर्ट सर्विसेज लिमिटेड के प्रबंध निदेशक आरके त्रिपाठी का कहना है. हर गांव तक जहां सिटी बस पहुंच सकती है, वहां पर सिटी बस का संचालन जरूर शुरू होगा. लखनऊ के आसपास ऐसे जो भी गांव हैं जहां अब तक इलेक्ट्रिक बस नहीं पहुंची है जल्द ही वहां पर बसों का संचालन शुरू कराया जाएगा. अभी निकाय चुनाव हैं जैसे ही आचार संहिता समाप्त होगी, बसों का संचालन प्रारंभ करा दिया जाएगा.
नियमों का उल्लंघन कर रहीं दर्जनों बसें सीज: परिवहन विभाग के मानकों का उल्लंघन करने वाली बसों का प्रवर्तन अधिकारियों ने चालान करने के साथ ही सीज करने की कार्रवाई की. तय सवारियों से ज्यादा बिठाने, ओवरस्पीडिंग व नियमों का उल्लंघन करने के लिए 214 बसों के चालान किया गया और 41 बसें बंद की गई. अपर परिवहन आयुक्त निर्मल प्रसाद ने बताया कि लखनऊ परिक्षेत्र में एक से 18 अप्रैल तक चेकिंग अभियान चलाया गया. कुल 214 बसों का चालान किया गया व 41 बसें बन्द कराई गई. 1415 ट्रकों का चालान ओवरलोडिंग में किया गया और 508 ट्रक बंद की गई. कार, बाइक, आटो आदि 6412 अन्य वाहनों का चालान किया गया. इस कार्रवाई में कुल 8041 वाहनों का चालान हुआ और 1049 वाहन बंद किए गए. 4.30 करोड़ रुपये जुर्माना वसूल किया गया.
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