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UP MLC ELECTION: 11 सीटों के लिए बिछ गई बिसात, सपा उम्मीदवारों ने दाखिल किया नामांकन

यूपी विधान परिषद में शिक्षक और स्नातक कोटे की खाली हुई 11 सीटों के लिए बिसात बिछ गई है. मई को रिक्त हुई इन सीटों पर कोरोना के चलते चुनाव करीब छह माह बाद हो रहे हैं. इसके लिए भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपनी कमर कस ली है.

यूपी में विधान परिषद की 11 सीटों पर चुनाव.
यूपी में विधान परिषद की 11 सीटों पर चुनाव.
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Published : Nov 5, 2020, 6:53 PM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में शिक्षक और स्नातक कोटे की खाली हुई 11 सीटों पर गुरुवार से नामांकन शुरू हो गया है. 12 नवंबर को दोपहर तीन बजे तक नामांकन किया जा सकेगा. गत छह मई को रिक्त हुई इन सीटों पर कोरोना के चलते चुनाव करीब छह माह बाद हो रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपनी कमर कस ली है. सपा और कांग्रेस ने तो अपने उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं. काफी पहले से तैयारी में जुटी भाजपा के उम्मीदवार खबर लिखे जाने तक घोषित नहीं हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक प्रत्याशियों की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है.

भाजपा ने बनाई रणनीति
विधान परिषद के चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी काफी पहले से तैयारी में जुटी है. पार्टी नेतृत्व ने प्रदेश स्तर पर चुनाव लड़ाने के लिए प्रभारी नियुक्त किया है. पार्टी ने इस चुनाव में विधायकों, सांसदों, मंत्रियों व अन्य जनप्रतिनिधियों को अपने उम्मीदवारों को जीत दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल सभी क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों के साथ अलग-अलग बैठक करने वाले हैं. प्रत्याशियों के नाम तय करने को लेकर पार्टी में मंथन चल रहा है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि केंद्र की मोहर लगने के बाद जल्द ही उम्मीदवार भी घोषित कर दिए जाएंगे.

पिछली बार परिणाम की रही स्थिति
विधान परिषद में स्नातक कोटे की पांच और शिक्षक कोटे की छह सीटें खाली हुई हैं. रिक्त हुई सीटों में से दो पर भाजपा, दो पर सपा, चार पर शिक्षक दल शर्मा गुट व तीन पर निर्दलीय का कब्जा था. इस बार शिक्षक कोटे की सीटों पर भी राजनीतिक दलों के सीधे कूदने से समीकरण काफी बदल सकता है. शिक्षक कोटे की सीटों पर आमतौर पर शिक्षक दल ही प्रत्याशी उतार रहे थे, लेकिन इस बार राजनीतिक दलों ने भी अपने-अपने प्रत्याशी उतारने की का फैसला किया है. राजनीतिक दलों के सीधे कूदने से चुनाव दिलचस्प हो गया है। वहीं राजनीतिक दलों के इस निर्णय से शिक्षकों में नाराजगी है.

राजनीतिक दलों के चुनाव में कूदने पर सवाल
शिक्षक नेता आरपी मिश्र कहते हैं कि संविधान में यह व्यवस्था है कि विधान परिषद का 1/12 भाग शिक्षकों के प्रतिनिधियों से और 1/12 भाग बुद्धिजीवियों के प्रतिनिधियों से भरा जाएगा. माध्यमिक और उच्च शिक्षा के शिक्षक ही इसमें शामिल होंगे, इसमें ग्रेजुएट मतदाता होंगे. सरकार ने इस बार व्यवस्था को तोड़ने का संकल्प किया है. इसका राजनीतिकरण करने जा रही है, सरकार अब खुद चुनाव लड़ाएगी.

शिक्षकों की आवाज दबाना चाहती है सरकार
मिश्र कहते हैं कि अगर राजनीतिक दल इसमें कूदेंगे तो वह साम-दाम-दंड-भेद सब अपनाएंगे. वे अपना प्रत्याशी जिताना चाहेंगे. ऐसे में शिक्षकों का नुकसान होगा. सदन में शिक्षकों की आवाज जब उनका प्रतिनिधि उठाता है तो वह ज्यादा प्रभावी ढंग से उठाता है. वहीं जब सरकार के प्रतिनिधि उसमें होंगे तो वे शिक्षकों की आवाज मुखर होकर नहीं उठाएंगे, सरकार के दबाव में होंगे. लिहाजा शिक्षकों को नुकसान भुगतना पड़ेगा. इससे स्पष्ट है कि सरकार शिक्षकों और बुद्धिजीवियों की आवाज दबाना चाहती है. इस कारण हम लोग इसका विरोध कर रहे हैं.

सपा उम्मीदवार ने दाखिल किया नामांकन
समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद खंड स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उम्मीदवार उतार दिए हैं. स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के लिए आगरा से डॉ. असीम, मेरठ से शमशाद अली, लखनऊ से राम सिंह राणा, वाराणसी से आशुतोष सिन्हा और इलाहाबाद-झांसी से डॉक्टर मान सिंह को पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए लखनऊ से उमाशंकर चौधरी पटेल, बरेली-मुरादाबाद से संजय कुमार मिश्रा, वाराणसी से लाल बिहारी, मेरठ से धर्मेंद्र कुमार, आगरा से हेमेंद्र सिंह चौधरी और गोरखपुर-फैजाबाद से अवधेश कुमार सपा के प्रत्याशी होंगे. शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र बरेली-मुरादाबाद सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी संजय कुमार मिश्रा ने गुरुवार को नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद में शिक्षक और स्नातक कोटे की खाली हुई 11 सीटों पर गुरुवार से नामांकन शुरू हो गया है. 12 नवंबर को दोपहर तीन बजे तक नामांकन किया जा सकेगा. गत छह मई को रिक्त हुई इन सीटों पर कोरोना के चलते चुनाव करीब छह माह बाद हो रहे हैं. भारतीय जनता पार्टी, समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने अपनी कमर कस ली है. सपा और कांग्रेस ने तो अपने उम्मीदवार भी घोषित कर दिए हैं. काफी पहले से तैयारी में जुटी भाजपा के उम्मीदवार खबर लिखे जाने तक घोषित नहीं हुए हैं. सूत्रों के मुताबिक प्रत्याशियों की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है.

भाजपा ने बनाई रणनीति
विधान परिषद के चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी काफी पहले से तैयारी में जुटी है. पार्टी नेतृत्व ने प्रदेश स्तर पर चुनाव लड़ाने के लिए प्रभारी नियुक्त किया है. पार्टी ने इस चुनाव में विधायकों, सांसदों, मंत्रियों व अन्य जनप्रतिनिधियों को अपने उम्मीदवारों को जीत दिलाने की जिम्मेदारी सौंपी है. प्रदेश भाजपा अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और प्रदेश महामंत्री संगठन सुनील बंसल सभी क्षेत्रों के जनप्रतिनिधियों के साथ अलग-अलग बैठक करने वाले हैं. प्रत्याशियों के नाम तय करने को लेकर पार्टी में मंथन चल रहा है. पार्टी सूत्रों का कहना है कि केंद्र की मोहर लगने के बाद जल्द ही उम्मीदवार भी घोषित कर दिए जाएंगे.

पिछली बार परिणाम की रही स्थिति
विधान परिषद में स्नातक कोटे की पांच और शिक्षक कोटे की छह सीटें खाली हुई हैं. रिक्त हुई सीटों में से दो पर भाजपा, दो पर सपा, चार पर शिक्षक दल शर्मा गुट व तीन पर निर्दलीय का कब्जा था. इस बार शिक्षक कोटे की सीटों पर भी राजनीतिक दलों के सीधे कूदने से समीकरण काफी बदल सकता है. शिक्षक कोटे की सीटों पर आमतौर पर शिक्षक दल ही प्रत्याशी उतार रहे थे, लेकिन इस बार राजनीतिक दलों ने भी अपने-अपने प्रत्याशी उतारने की का फैसला किया है. राजनीतिक दलों के सीधे कूदने से चुनाव दिलचस्प हो गया है। वहीं राजनीतिक दलों के इस निर्णय से शिक्षकों में नाराजगी है.

राजनीतिक दलों के चुनाव में कूदने पर सवाल
शिक्षक नेता आरपी मिश्र कहते हैं कि संविधान में यह व्यवस्था है कि विधान परिषद का 1/12 भाग शिक्षकों के प्रतिनिधियों से और 1/12 भाग बुद्धिजीवियों के प्रतिनिधियों से भरा जाएगा. माध्यमिक और उच्च शिक्षा के शिक्षक ही इसमें शामिल होंगे, इसमें ग्रेजुएट मतदाता होंगे. सरकार ने इस बार व्यवस्था को तोड़ने का संकल्प किया है. इसका राजनीतिकरण करने जा रही है, सरकार अब खुद चुनाव लड़ाएगी.

शिक्षकों की आवाज दबाना चाहती है सरकार
मिश्र कहते हैं कि अगर राजनीतिक दल इसमें कूदेंगे तो वह साम-दाम-दंड-भेद सब अपनाएंगे. वे अपना प्रत्याशी जिताना चाहेंगे. ऐसे में शिक्षकों का नुकसान होगा. सदन में शिक्षकों की आवाज जब उनका प्रतिनिधि उठाता है तो वह ज्यादा प्रभावी ढंग से उठाता है. वहीं जब सरकार के प्रतिनिधि उसमें होंगे तो वे शिक्षकों की आवाज मुखर होकर नहीं उठाएंगे, सरकार के दबाव में होंगे. लिहाजा शिक्षकों को नुकसान भुगतना पड़ेगा. इससे स्पष्ट है कि सरकार शिक्षकों और बुद्धिजीवियों की आवाज दबाना चाहती है. इस कारण हम लोग इसका विरोध कर रहे हैं.

सपा उम्मीदवार ने दाखिल किया नामांकन
समाजवादी पार्टी ने विधान परिषद खंड स्नातक और शिक्षक निर्वाचन क्षेत्रों के लिए उम्मीदवार उतार दिए हैं. स्नातक निर्वाचन क्षेत्र के लिए आगरा से डॉ. असीम, मेरठ से शमशाद अली, लखनऊ से राम सिंह राणा, वाराणसी से आशुतोष सिन्हा और इलाहाबाद-झांसी से डॉक्टर मान सिंह को पार्टी का प्रत्याशी बनाया गया है. वहीं शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र के लिए लखनऊ से उमाशंकर चौधरी पटेल, बरेली-मुरादाबाद से संजय कुमार मिश्रा, वाराणसी से लाल बिहारी, मेरठ से धर्मेंद्र कुमार, आगरा से हेमेंद्र सिंह चौधरी और गोरखपुर-फैजाबाद से अवधेश कुमार सपा के प्रत्याशी होंगे. शिक्षक निर्वाचन क्षेत्र बरेली-मुरादाबाद सीट पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी संजय कुमार मिश्रा ने गुरुवार को नामांकन पत्र दाखिल कर दिया है.

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