लखनऊ: कानपुर के बहुचर्चित किडनी कांड में प्रवर्तन निदेशालय ने आरोपियों के खिलाफ मनी लांड्रिंग एक्ट के तहत केस दर्ज किया है. ईडी ने इस संबंध में कानपुर में दर्ज मुकदमे को आधार बनाया है. कानपुर के बहुचर्चित किडनी कांड में कानपुर पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर पिछले साल ही छानबीन शुरू की थी. पुलिस ने कई डॉक्टरों सहित 18 से ज्यादा आरोपियों को गिरफ्तार किया था. मानव अंगों की तस्करी के इस गंभीर मामले में कानपुर पुलिस ने दिल्ली के पुष्पावती सिंघानिया हॉस्पिटल एंड रिसर्च इंस्टीट्यूट के सीईओ डॉ. दीपक शुक्ला और फॉर्टिस फरीदाबाद की कोऑर्डिनेटर सोनिका सहित अन्य आरोपितों पर एक्शन लिया था. अब इन सभी की संपत्तियों का ब्यौरा जुटाने में प्रवर्तन निदेशालय जुट गया है.
किडनी कांड
किडनी रैकेट के तार लखनऊ, कानपुर, सुलतानपुर और लखीमपुर के अलावा देश की राजधानी दिल्ली, हरियाणा और पंजाब समेत कई अन्य राज्यों से भी जुड़े हुए हैं. गवर्नमेंट डिपार्टमेंट के कर्मचारियों की सहायता से डोनर के फर्जी दस्तावेज तैयार करा दिए जाते थे. पुलिस ने रैकेट के मास्टरमाइंड लखीमपुर निवासी गौरव को इस मामले में गिरफ्तार भी किया था. गौरव मिश्रा नेपाल समेत अन्य स्थानों से डोनर उपलब्ध कराता था.
ईडी ने शुरू की जांच
जरूरतमंदों को इलाज या अन्य किसी काम के बहाने दिल्ली समेत अन्य जगहों पर अस्पताल ले जाने और उनकी किडनी की खरीद-फरोख्त किए जाने सम्बंधी रैकेट का भंडाफोड़ पिछले साल फरवरी में हुआ था. कानपुर के बर्रा थाने में एक महिला ने इससे संबंधित एफआईआर दर्ज कराई थी. जब इस मामले की गंभीरता से जांच की गई थी तो सामने आया था कि इस किडनी कांड के तार कानपुर से लेकर लखनऊ, दिल्ली समेत प्रदेश के अन्य शहरों से जुड़े थे. हालांकि पुलिस की जांच ढीली पड़ने के बाद इस कांड में शामिल लोग खुद को सुरक्षित महसूस करने लगे थे, लेकिन अब प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है. ऐसे में इसमें जो भी लोग शामिल हैं उनकी दिक्कतें बढ़ना तय है.