लखनऊ: अयोध्या में हर साल दशहरा का पर्व धूमधाम से मनाया जाता है. हिन्दुओं का यह प्रमुख त्योहार असत्य पर सत्य की जीत और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में भी मनाया जाता है. मान्यता है कि राम भगवान ने लंकापति रावण का वध कर आज ही के दिन विजय प्राप्त की थी, इसलिए भी इस पर्व को विजयादशमी कहा जाता है.
मां भगवती की विजया स्वरूप होने पर भी इसे विजयादशमी कहा जाता है. देश भर में दशहरे की खूब रौनक है. इस साल 15 अक्टूबर को दशहरे का त्योहार मनाया जा रहा है. कोरोना महामारी के बीच मनाए जा रहे दशहरे के लिए तैयारियां लगभग पूरी हो गई हैं. दिल्ली, लखनऊ, कानपुर समेत कई शहरों में देशभर में विजयादशमी और दशहरे की धूम है. असत्य पर सत्य और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दशहरा का पर्व मनाया जाता है. इस मौके पर देश के अलग-अलग हिस्सों में रावण दहन करने की परंपरा है.
लखनऊ में रावण दहन का समय रात आठ बजे है. वहीं, कानपुर में नौ बजे का समय तय किया गया है.
अयोध्या में रावण दहन का समय शाम 5.30 बजे रखा गया है. लक्ष्मण किला दशहरा समिति की ओर से रावण दहन का कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा. यहां के रामलीला मैदान में शाम साढ़े पांच बजे रावण दहन होगा. हालांकि, समिति ने कोरोना के मद्देजनर इस कार्यक्रम में ज्यादा भीड़ नहीं जुटाने की अपील की है.
वहीं वाराणसी में दो जगहों पर पर पुतला दहन हुआ करता था, लेकिन कोविड-19 के चलते इस बार भी रावण दहन कार्यक्रम नहीं होगा.
दशहरा पर्व की धूम नवरात्रि पर्व के शुरू होने के साथ ही शुरू हो जाती है और इन नौ दिनों में विभिन्न जगहों पर रामलीलाओं का मंचन किया जाता है. दसवें दिन भव्य झांकियों और मेलों के आयोजन के पश्चात रावण के पुतले का दहन कर बुराई के खात्मे का संदेश दिया जाता है. रावण के पुतले के साथ मेघनाथ और कुम्भकरण के पुतले का ही दहन किया जाता है .
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