लखनऊ: कोरोना के चलते इस बार सीमित संख्या में दुर्गा पूजा के पंडाल बनाए गए हैं. वहीं बंगाली समुदाय ने गुरुवार को बोधन के साथ दुर्गा पूजा की शुरुआत कर दी है. बंगाली मान्यता के अनुसार, बोधन की पूजा होने के बाद माता दुर्गा पंडालों में विराजती हैं. शहर की सबसे पुरानी दुर्गा पूजा समिति बंगाली क्लब इस बार सीमित दायरे में दुर्गा पूजा का आयोजन कर रहा है. इस दौरान कोरोना प्रोटोकॉल का पूरी तरह पालन किया जाएगा.
बोधन पूजा के साथ शुरू हुई दुर्गा पूजा
राजधानी में बोधन पूजा के साथ दुर्गा पूजा का आगाज हो चुका है. दुर्गा पंडालों में माता की प्रतिमा को स्थापित किया जा चुका है. दरअसल, बंगाली समुदाय बोधन की पूजा करता है, जिसमें भगवान महादेव की पूजा-अर्चना की जाती है. इसके बाद दुर्गा पूजा पंडालों में दुर्गा प्रतिमाएं रखी जाती हैं. शहर के 106 साल पुराने बंगाली क्लब ने भी गुरुवार को बोधन पूजा की. इसलिए आज से दुर्गा पूजा की शुरुआत की गई. वहीं आज दुर्गा पूजा के छठे दिन माता के हाथों में अस्त्र देने की परंपरा भी निभाई गई.
कोविड के चलते फीका है दुर्गा पूजा आयोजन
कोरोना के चलते इस बार दुर्गा पूजा के आयोजन को नियमों के दायरों में बांधा गया है. पंडाल में 200 से ज्यादा लोगों की भीड़ की अनुमति नहीं है. बिना मास्क लगाए पंडाल में प्रवेश करना वर्जित है. दुर्गा पूजा पंडालों में बच्चों और बुजुर्ग व्यक्तियों के प्रवेश पर भी रोक रहेगी. वहीं इस बार मूर्तियों का आकार भी पहले से काफी छोटा है.
बंगाली समुदाय के द्वारा भोग लगाने की परंपरा भी नहीं निभाई जाएगी, क्योंकि इसमें भीड़ जुटती है. बंगाली क्लब की असिस्टेंट जनरल सेक्रेटरी तृषा सिन्हा बताती हैं कि 106 सालों से समिति द्वारा दुर्गा पूजा का आयोजन किया जा रहा है, लेकिन इस बार कोरोना के चलते सारे कार्यक्रम सीमित दायरे में होंगे. जो भी कार्यक्रम हो, उसमें भी सरकार के कोविड गाइडलाइन का पालन करना अनिवार्य होगा.