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लखनऊ: 36 वर्षों से लग रहा हैं यहां दुर्गा पूजा का पंडाल

उत्तर प्रदेश की राजधानी में नवरात्रि की एक अलग ही धूम देखने को मिल रही है. वहीं, इन सबके बीच रविंद्र पल्ली में पिछले 36 वर्षों से सज रही दुर्गा पूजा पंडाल में अलग ही रौनक देखने को मिल रही है.

36 वर्षों से सज रहा दुर्गा पंडाल.
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Published : Oct 7, 2019, 10:07 AM IST

लखनऊ: नवरात्रि में पूजा-पाठ, व्रत-उपवास का अलग महत्व होता है. जिले में पिछले कई सालों से अलग-अलग तरह से दुर्गा पूजा के पंडाल सजाए जाते हैं. वहीं जिले के रविंद्र पल्ली में पिछले 36 वर्षों से दुर्गा पूजा पंडाल लगाया जाता है. हजारों की संख्या में लोग दुर्गा मां के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं.

36 वर्षों से सज रहा दुर्गा पंडाल.

रविन्द्र पल्ली दुर्गा पूजा कमेटी के जनरल सेक्रेटरी मीतू दास कहते हैं कि

  • यह पंडाल बंगाली समाज द्वारा बनाया जाता है.
  • इसे बनाने के लिए हर साल कोलकाता से कारीगर आते हैं.
  • इसे पूरी तरह सजाने में लगभग एक महीने का समय लग जाता है.

इस पंडाल की खास बात यह है कि

  • इसे हर साल अलग-अलग थीम पर बनाया जाता है.
  • इस वर्ष की थीम है राजस्थानी महल, वहीं मां दुर्गा को ग्रामीण अंचल के थीम पर सजाया गया है.


इस दुर्गा पूजा के पंडाल को पंचमी के दिन से शुरू किया जाता है और दशहरे तक यहां पर लोग आते रहते हैं और मां दुर्गा के दर्शन करते हैं. मीतू दास ने बताया कि सबसे पहले दुर्गा पूजा यहां पर 1984 में शुरू की गई थी. पहले यह कार्यक्रम हमारी कॉलोनी के ही रविंद्र भवन में आयोजित किया जाता था पर जैसे-जैसे साल दर साल भीड़ बढ़ती गई वैसे-वैसे इसकी भव्यता भी हमने बढ़ानी शुरू कर दी. साल 1990 से हमने इसे काफी बड़े स्तर पर सजाना शुरू किया.

बंगाली समाज से जुड़े लोग नवरात्रि को बड़े फेस्टिव सीजन के रूप में देखते हैं. यहां पर लगे पंडाल की भव्यता सिर्फ थीम पर ही नहीं बल्कि यहां होने वाले कार्यक्रमों पर भी आधारित होती है.

लखनऊ: नवरात्रि में पूजा-पाठ, व्रत-उपवास का अलग महत्व होता है. जिले में पिछले कई सालों से अलग-अलग तरह से दुर्गा पूजा के पंडाल सजाए जाते हैं. वहीं जिले के रविंद्र पल्ली में पिछले 36 वर्षों से दुर्गा पूजा पंडाल लगाया जाता है. हजारों की संख्या में लोग दुर्गा मां के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं.

36 वर्षों से सज रहा दुर्गा पंडाल.

रविन्द्र पल्ली दुर्गा पूजा कमेटी के जनरल सेक्रेटरी मीतू दास कहते हैं कि

  • यह पंडाल बंगाली समाज द्वारा बनाया जाता है.
  • इसे बनाने के लिए हर साल कोलकाता से कारीगर आते हैं.
  • इसे पूरी तरह सजाने में लगभग एक महीने का समय लग जाता है.

इस पंडाल की खास बात यह है कि

  • इसे हर साल अलग-अलग थीम पर बनाया जाता है.
  • इस वर्ष की थीम है राजस्थानी महल, वहीं मां दुर्गा को ग्रामीण अंचल के थीम पर सजाया गया है.


इस दुर्गा पूजा के पंडाल को पंचमी के दिन से शुरू किया जाता है और दशहरे तक यहां पर लोग आते रहते हैं और मां दुर्गा के दर्शन करते हैं. मीतू दास ने बताया कि सबसे पहले दुर्गा पूजा यहां पर 1984 में शुरू की गई थी. पहले यह कार्यक्रम हमारी कॉलोनी के ही रविंद्र भवन में आयोजित किया जाता था पर जैसे-जैसे साल दर साल भीड़ बढ़ती गई वैसे-वैसे इसकी भव्यता भी हमने बढ़ानी शुरू कर दी. साल 1990 से हमने इसे काफी बड़े स्तर पर सजाना शुरू किया.

बंगाली समाज से जुड़े लोग नवरात्रि को बड़े फेस्टिव सीजन के रूप में देखते हैं. यहां पर लगे पंडाल की भव्यता सिर्फ थीम पर ही नहीं बल्कि यहां होने वाले कार्यक्रमों पर भी आधारित होती है.

Intro:स्पेशल।

लखनऊ। नवरात्रों में जहां एक तरफ व्रत त्योहार का पवित्रता होती है वहीं इसे एक बड़े स्तर पर हर्षोल्लास के साथ कई समाज अपने अपने तरह से मनाते हैं। लखनऊ में पिछले कई वर्षों से अलग-अलग स्थानों पर अलग-अलग तरह से दुर्गा पूजा, रामलीला और नवरात्रों के पंडाल सजाए जाते हैं। राजधानी के रविंद्र पल्ली में पिछले 36 वर्षों से दुर्गा पूजा पंडाल लगाया जाता है। हजारों की संख्या में लोग दुर्गा मां के दर्शन करने के लिए यहां आते हैं। दुर्गा पूजा के पंडाल की कई खासियत हैं। इनके बारे में समय रविंद्र पल्ली दुर्गा पूजा कमेटी से जुड़े लोगों ने बताई कुछ खास बातें--


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रविन्द्र पल्ली दुर्गा पूजा कमेटी के जनरल सेक्रेटरी मीतू दास कहते हैं कि यह पण्डाल मुख्यतः बंगाली समाज द्वारा बनाया जाता है। इसे बनाने के लिए हर साल कोलकाता से कारीगर आते हैं। वह कहते हैं कि इसे पूरी तरह सजाने में लगभग 1 महीने का समय लग जाता है। इस पंडाल की खास बात यह है कि इसे हर साल अलग-अलग थीम पर बनाया जाता है जिसकी वजह से इसकी भव्यता और अधिक बढ़ जाती है। थीम पर आधारित पंडाल बनाने के विषय में मीतू कहते हैं कि इससे न केवल एक सकारात्मक संदेश आता है पर साथ ही लोग रचनात्मकता भी देखते हैं। इससे पहले हमने अलग-अलग देशों जैसे नारी सशक्तिकरण, स्वच्छता अभियान और कई अन्य सामाजिक मुद्दों पर आधारित थीम पर पंडाल सजाया है। हमारी इस वर्ष की थीम राजस्थानी महल जैसा भव्य द्वार है वहीं मां दुर्गा को हमने ग्रामीण अंचल के थीम पर सजाया है।

दुर्गा पूजा के पंडाल को पंचमी के दिन से शुरू किया जाता है और दशहरे तक यहां पर लोग आते हैं और मां दुर्गा के दर्शन करते हैं। मीतू कहते हैं कि सबसे पहले दुर्गा पूजा यहां पर 1984 में शुरू की गई थी। पहले यह कार्यक्रम हमारी कॉलोनी के ही रविंद्र भवन में आयोजित किया जाता था पर जैसे-जैसे साल दर साल भीड़ बढ़ती गई वैसे-वैसे इसकी भव्यता भी हमने बढ़ानी शुरू की। साल 1990 से हमें इसे काफी बड़े स्तर पर सजाना शुरू किया।

मीतू कहते हैं कि यह लखनऊ का एकमात्र ऐसा दुर्गा पूजा का पंडाल है जहां शहर भर से सबसे ज्यादा लोग आते हैं। वह कहते हैं कि दुर्गा पूजा की आरती और इस पंडाल को देखने के लिए हर रोज लगभग 15000 लोग यहां पर आते हैं। आलम यह हो जाता है कि शाम से ही भीड़ जुटने शुरू हो जाती है और रात होते-होते यहां पैर रखने की भी जगह नहीं होती। इसके अलावा नवमी के दिन यहां भीड़ इससे भी अधिक बढ़ जाती है।

मीतू कहते हैं कि बंगाली समाज से जुड़े लोग नवरात्रों को बड़े फेस्टिव सीजन के रूप में देखते हैं। यहां पर लगे पंडाल की भव्यता सिर्फ थीम पर ही नही बल्कि यहां होने वाले कार्यक्रमों पर भी आधारित होती है। धुनुची नृत्य और बंगाली लोकगीतों से हम मां दुर्गा का स्वागत और उनकी अर्चना करते हैं।


Conclusion:इस वर्ष की थी हमसे दुर्गा पूजा पंडाल में मां दुर्गा के साथ मां सरस्वती मां लक्ष्मी भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश जी की मूर्ति को भी स्थापित किया गया है। एक और राजस्थानी महल के थीम पर सजे मुख्य द्वार की भव्यता देखने लायक है वही मां दुर्गा और अन्य मूर्तियों की सजावट भी बेहतरीन की गई है।


बाइट- मीतू दास, जनरल सेक्रेट्री, रविंद्र पल्ली दुर्गा पूजा कमेटी

वॉक थ्रू- रामांशी मिश्रा
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