लखनऊ : चेहलुम इस वर्ष 28 सितंबर दिन मंगलवार को मनाया जाएगा. इसको लेकर कर्बला और इबादतगाहों में तैयारियां पूरी कर ली गई है. हालांकि कोरोना को देखते हुए सरकार ने इस वर्ष भी चेहलुम के जुलूस पर प्रदेश भर में रोक लगा दी है. सिर्फ 100 लोगों के साथ ही धार्मिक आयोजन करने की अनुमति दी गई है. वहीं घरों से निकलकर कर्बला और कब्रिस्तानों में ताजिया दफन करने के लिए सिर्फ पांच लोग ही एक साथ जा सकेंगे.
दरअसल, इमाम हुसैन की शहादत के चालीसवें दिन हर वर्ष चेहलुम मनाया जाता है. आपको बता दें, मोहर्रम महीने की 10 तारीख को कर्बला में भूखे प्यासे इमाम हुसैन और उनके 71 साथियों को बादशाह यजीद द्वारा शहीद कर दिया गया था, जिसकी याद में मोहर्रम का गम हर वर्ष मनाया जाता है. इस्लामिक महीने सफर की 20 तारीख को चेहलुम का दिन मनाया जाता है.
कर्बला तालकटोरा में जायरीन के लिए किए गए विशेष प्रबंध
उत्तर प्रदेश शिया सेंट्रल वक्फ बोर्ड के सदस्य और कर्बला तालकटोरा के मुतवल्ली सय्यद फैजी ने बताया कि इस वर्ष कर्बला में जुलूस नहीं लाया जाएगा. एक बार में 100 जायरीन को ही जियारत कराई जाएगी. सय्यद फैजी ने कहा कि चेहलुम को लेकर कर्बला की साफ-सफाई, रोड बनवाने से लेकर लाइट की व्यवस्था करवा ली गई है. वहीं कोविड प्रोटोकाल को देखते हुए बाहर से आ रहे जायरीनों के लिए मास्क अनिवार्य कर दिया गया है, साथ ही कर्बला में सैनिटाइजर मशीन भी लगवा दी गई है.
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पीस मीटिंग के तहत चेहलुम सकुशल मनाने में जुटा प्रशासन
चुनावी माहौल के बीच गम के दिन चेहलुम को सकुशल निपटाने के लिए यूपी पुलिस ने भी कमर कस ली है. चेहलुम के मौके पर असामाजिक तत्व किसी भी प्रकार से माहौल न बिगाड़ने पाएं, इसको लेकर पुलिस ने पीस मीटिंग कर सभी जिम्मेदारों संग बैठक की. पुराने लखनऊ में कर्बला जाने वाले रास्तों और कई इलाकों पर प्रशासन द्वारा एहतियात के तौर पर बैरिकेडिंग भी कर दी गई है. बड़े पैमाने पर होने वाली मजलिसों और मातम को भी केवल 100 लोगों के साथ ही करने की अनुमति दी गई है. घरों से निकलकर कर्बला और कब्रिस्तानों में ताजिया दफन करने के लिए सिर्फ पांच लोग ही एक साथ जा सकेंगे.