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युवाओं के दिमाग को बर्बाद कर रहा नशा, बढ़ रही अपराध करने की प्रवृत्ति, विशेषज्ञ दे रहे यह सुझाव - Drugs

जिस युवा के हाथ में देश की तश्वीर व तकदीर बदलने की जिम्मेदारी है. आज वे युवा बेबस और लाचार होने के साथ ही अपने दायित्वों से निरंतर भटकता जा रहा है. ऐसा युवा पीढ़ी के नशे की लत में डूबने की वजह से है. नशे की लत युवाओं का मानसिक संतुलन खराब कर रही है.

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Published : Oct 22, 2022, 10:20 AM IST

Updated : Oct 22, 2022, 11:26 AM IST

लखनऊ: जिस युवा के हाथ में देश की तश्वीर व तकदीर बदलने की जिम्मेदारी है. आज वे युवा बेबस और लाचार होने के साथ ही अपने दायित्वों से निरंतर भटकता जा रहा है. ऐसा युवा पीढ़ी के नशे की लत में डूबने की वजह से है. नशे की लत युवाओं का मानसिक संतुलन खराब कर रही है. राजधानी के बलरामपुर अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में आने वाले मरीजों पर हुए शोध से यह पता चला है कि नशे की लत से बड़ी संख्या में युवा मानसिक रोग से ग्रसित हो रहे हैं. इससे उनका व्यवहार हिंसक हो रहा है और वे अपराध की मुड़ रहे हैं.

जानकारी देते मानसिक रोग विशेषज्ञ, डॉ. सौरभ अहलावत


बलरामपुर अस्पताल में तैनात मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ अहलावत बताते हैं कि विभाग में रोजाना 25 से 30 मरीज आते हैं. इन मरीजों में सबसे अधिक युवा होते हैं, जिनकी उम्र 25 से 35 वर्ष की होती है. एक अध्ययन के अनुसार 90 प्रतिशत युवा मरीज ऐसे हैं जो नशे के आदी होने की वजह से मानसिक रोग से ग्रसित हो चुके हैं.

डॉ. सौरभ के अनुसार नशा करने से डिप्रेशन, मानसिक एकाग्रता में कमी, मानसिक उन्माद , उग्रता व साइकोशिस जैसे बीमारियां घर कर लेती हैं. उनके पास मानसिक रोग का इलाज कराने आने वाले अधिकतर युवा नशे के आदी हो चुके होते हैं. कई बार कुछ मरीज बताते हैं कि कभी-कभी उनका दिमाग इतना खराब हो जाता है कि किसी की जान लेने का भी दिल करता है.



बलरामपुर में ही तैनात वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर देवाशीष शुक्ल के मुताबिक जब कोई नशा करता है तो उसके बाद मस्तिक में डोपामिन हार्मोन (dopamine hormone) निकलता है. यह डोपामिन उन्हें खुशी का एहसास दिलाता है. हालांकी यह खुशी युवक के लिए निगेटिव है या पॉजिटिव यह दिमाग नहीं पहचान पाता है. ऐसे में जब युवा नशा छोड़ने की कोशिश करता है तो डोपामिन का स्तर कम हो जाता है. जिससे उसमें विड्रावल सिम्टम्स (withdrawal symptoms) डेवलप होते हैं जिससे बेचैनी बढ़ती है.

यह भी पढ़ें : डेंगू कंट्रोल रूम में चकबंदी अफसर की ड्यूटी लगाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट नाराज

लखनऊ: जिस युवा के हाथ में देश की तश्वीर व तकदीर बदलने की जिम्मेदारी है. आज वे युवा बेबस और लाचार होने के साथ ही अपने दायित्वों से निरंतर भटकता जा रहा है. ऐसा युवा पीढ़ी के नशे की लत में डूबने की वजह से है. नशे की लत युवाओं का मानसिक संतुलन खराब कर रही है. राजधानी के बलरामपुर अस्पताल के मानसिक रोग विभाग में आने वाले मरीजों पर हुए शोध से यह पता चला है कि नशे की लत से बड़ी संख्या में युवा मानसिक रोग से ग्रसित हो रहे हैं. इससे उनका व्यवहार हिंसक हो रहा है और वे अपराध की मुड़ रहे हैं.

जानकारी देते मानसिक रोग विशेषज्ञ, डॉ. सौरभ अहलावत


बलरामपुर अस्पताल में तैनात मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉ. सौरभ अहलावत बताते हैं कि विभाग में रोजाना 25 से 30 मरीज आते हैं. इन मरीजों में सबसे अधिक युवा होते हैं, जिनकी उम्र 25 से 35 वर्ष की होती है. एक अध्ययन के अनुसार 90 प्रतिशत युवा मरीज ऐसे हैं जो नशे के आदी होने की वजह से मानसिक रोग से ग्रसित हो चुके हैं.

डॉ. सौरभ के अनुसार नशा करने से डिप्रेशन, मानसिक एकाग्रता में कमी, मानसिक उन्माद , उग्रता व साइकोशिस जैसे बीमारियां घर कर लेती हैं. उनके पास मानसिक रोग का इलाज कराने आने वाले अधिकतर युवा नशे के आदी हो चुके होते हैं. कई बार कुछ मरीज बताते हैं कि कभी-कभी उनका दिमाग इतना खराब हो जाता है कि किसी की जान लेने का भी दिल करता है.



बलरामपुर में ही तैनात वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर देवाशीष शुक्ल के मुताबिक जब कोई नशा करता है तो उसके बाद मस्तिक में डोपामिन हार्मोन (dopamine hormone) निकलता है. यह डोपामिन उन्हें खुशी का एहसास दिलाता है. हालांकी यह खुशी युवक के लिए निगेटिव है या पॉजिटिव यह दिमाग नहीं पहचान पाता है. ऐसे में जब युवा नशा छोड़ने की कोशिश करता है तो डोपामिन का स्तर कम हो जाता है. जिससे उसमें विड्रावल सिम्टम्स (withdrawal symptoms) डेवलप होते हैं जिससे बेचैनी बढ़ती है.

यह भी पढ़ें : डेंगू कंट्रोल रूम में चकबंदी अफसर की ड्यूटी लगाने पर इलाहाबाद हाईकोर्ट नाराज

Last Updated : Oct 22, 2022, 11:26 AM IST
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