लखनऊ : ड्रग्स नेपाल से चरस भारत की सीमा में आती है, फिर यूपी होकर पंजाब, दिल्ली, हरियाणा समेत पूरे देश में सप्लाई की जाती है. जिसके बाद इन्हें बेच कर युवाओं को नशे के कुंए में धकेल दिया जाता है. जांच व सुरक्षा एजेंसियों की चौकसी के बाद भी अवैध ड्रग्स का ये व्यापार दशकों से चल रहा है, लेकिन अब यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने नशे के सौदागरों को मिट्टी में मिलाने की बात कही. ऐसे में यूपी एंट्री नारकोटिक्स टास्क फोर्स ने नेपाल भारत सीमा पर नशे का पूरा नेक्सस बर्बाद करने के लिए तैयारियां पूरी कर कर ली है.
उत्तर प्रदेश में चरस, गांजा, हिरोइन समेत अन्य मादक पदार्थों की सप्लाई कहां कहां से होती है. इसके लिए यूपी की एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) ने बीते कई माह से रूट मैपिंग को है. डीआईजी एएनटीएफ अब्दुल हमीद के मुताबिक भारत में अलग अलग तरह के ड्रग्स अलग अलग देशों से सप्लाई होते हैं. ऐसे में हमने हर देश से उत्तर प्रदेश के अंदर आने ड्रग्स की रूट पर काम किया था. इसके मद्देनजर अब उन रूट्स पर हमारी टीम सक्रिय हो चुकी है. हमारी कोशिश है कि अब उत्तर प्रदेश में एक भी अवैध मादक पदार्थ की खेप न आने पाए.
डीआईजी के मुताबिक हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती नेपाल भारत सीमा है. यूपी का एक बहुत बड़ा हिस्सा नेपाल सीमा से जुड़ता है. जहां से गोरखपुर, आजमगढ़, बलिया, मऊ, मिरजापुर, संत रविदासनगर, सोनभद्र, वाराणसी, चंदौली, गाजीपुर, जौनपुर, बस्ती, संतकबीरनगर, सिद्धार्थनगर, प्रयागराज, फतेहपुर, काैशांबी, प्रतापगढ़, देवरिया, कुशीनगर व महाराजगंज में अवैध मादक पदार्थों के सप्लाई सबसे अधिक होती है. हमारी टीम ने इन जिलों में सबसे अधिक सक्रिय की गई है. नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) के अलावा नाकोर्टिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी), डायरेक्ट्रेट आफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआइ), एसटीएफ, ईडी व अन्य एजेंसियां इन जिलों में अपनी नजर बनाए हुए है.