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उत्तर प्रदेश के अस्पतालों में जरूरत की दवाइयां नहीं, मरीजों की बढ़ीं तकलीफें

उत्तर प्रदेश के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में दवाइयों का संकट इन दिनों काफी गहराता चला जा रहा है, जिसकी वजह से मरीजों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है. वहीं स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों को दवाइयां उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है.

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अस्पतालों में जरूरत की दवाइयां नहीं
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Published : Dec 15, 2019, 9:28 AM IST

लखनऊ: इन दिनों स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर प्रदेश के अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं, जिसका सीधा खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है. प्रदेश के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में इन दिनों दवाइयों की कमी है, जिससे मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं. दवाइयों में ज्यादातर दवाइयां अस्पतालों की तरफ से डिमांड की जाती है. उसमें भी आधी दवाइयां भी ड्रग कॉपरेशन की तरफ से भेजी जा रही है, जिससे स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कॉपरेशन की सभी नीतियां पूरी तरीके से ध्वस्त हो चुकी है.

अस्पतालों में जरूरत की दवाइयां नहीं

लापरवाह अधिकारियों के चलते स्वास्थ्य विभाग पर संकट

  • सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की कमी ने चिंता बढ़ा दी है.
  • दवाइयों की कमी से मरीजों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है.
  • मरीज बाहर से दवाइयां खरीदने को मजबूर है.
  • स्वास्थ्य विभाग ने दवाइयां उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है.
  • सरकार ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं.


    इसे भी पढ़ें: लखनऊ: हाई वोल्टेज करंट की चपेट में आने से दो मजदूरों की दर्दनाक मौत

अस्पतालों में दवाइयों की कमी को ध्यान में लिया गया है. जल्द ही इन दवाइयों की कमी को पूरा किया जाएगा.
- जय प्रताप सिंह, स्वास्थ्य मंत्री

लखनऊ: इन दिनों स्वास्थ्य व्यवस्था को लेकर प्रदेश के अधिकारी लापरवाही बरत रहे हैं, जिसका सीधा खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है. प्रदेश के लगभग सभी सरकारी अस्पतालों में इन दिनों दवाइयों की कमी है, जिससे मरीजों को बाहर से दवाइयां खरीदनी पड़ रही हैं. दवाइयों में ज्यादातर दवाइयां अस्पतालों की तरफ से डिमांड की जाती है. उसमें भी आधी दवाइयां भी ड्रग कॉपरेशन की तरफ से भेजी जा रही है, जिससे स्वास्थ्य विभाग और ड्रग कॉपरेशन की सभी नीतियां पूरी तरीके से ध्वस्त हो चुकी है.

अस्पतालों में जरूरत की दवाइयां नहीं

लापरवाह अधिकारियों के चलते स्वास्थ्य विभाग पर संकट

  • सरकारी अस्पतालों में दवाइयों की कमी ने चिंता बढ़ा दी है.
  • दवाइयों की कमी से मरीजों को काफी तकलीफों का सामना करना पड़ रहा है.
  • मरीज बाहर से दवाइयां खरीदने को मजबूर है.
  • स्वास्थ्य विभाग ने दवाइयां उपलब्ध कराने का आश्वासन दिया है.
  • सरकार ने मामले में जांच के आदेश दिए हैं.


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अस्पतालों में दवाइयों की कमी को ध्यान में लिया गया है. जल्द ही इन दवाइयों की कमी को पूरा किया जाएगा.
- जय प्रताप सिंह, स्वास्थ्य मंत्री

Intro:उत्तर प्रदेश के सभी जिला अस्पताल , सीएचसी व पीएससी में दवाइयों की संकट गहराता जा रहा है। दरअसल अस्पतालों में जरूरत की दवाइयां भी उपलब्ध नहीं हो पा रही हैं इसकी वजह से मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। हालात ऐसे हो चले हैं कि अस्पतालों में दमा ,बीपी ,हार्ट से संबंधित बीमारियों की भी दवाइयां उपलब्ध नहीं हो पा रही हो। इसकी वजह से मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। तो वहीं स्वास्थ्य विभाग ने सभी अस्पतालों को एलपी के भरोसे दवाइयां देने के लिए कहा है।



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उत्तर प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में दवाइयों का संकट गहराता जा रहा है।आलम यह है कि तनाव और दमा की कई महत्वपूर्ण दवाइयां भी नहीं मिल पा रही हैं। मरीजों को निजी मेडिकल स्टोर से इसकी वजह से दवाइयां खरीदनी पड़ रहे हैं।ड्रग ऑपरेशन की ओर से दवाइयों की सप्लाई समय पर नहीं की जा रही है। हालात ऐसे हो चले हैं कि करीब 180 दवाइयों में आधी से ज्यादा दवाइयां अस्पतालों में समय पर उपलब्ध नहीं कराई जा रही।जिसके बाद मरीजों को तमाम दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है। इन दवाइयों में जो दवाइयां अस्पतालों की तरफ से डिमांड की जाती है उसमें भी आधी दवाइयां ही ड्रग कॉपरेशन की तरफ से भेजी जा रही हैं।जिसकी वजह से स्वास्थ्य विभाग व ड्रग कॉपरेशन की सभी नीतियां पूरी तरीके से ध्वस्त हो चुकी है।

दवाइयों का अस्पतालों में संकट

उत्तर प्रदेश के जिला अस्पतालों में राजधानी के सिविल बलरामपुर, लोकबंधु समेत कई बड़े अस्पतालों में जहां रोजाना करीब 10000 से अधिक मरीज इलाज कराने आते हैं।मौसम बदलने के साथ-साथ अस्पतालों में मरीजों की संख्या भी दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है। लेकिन इन मरीजों को यहां से दवाइयां नहीं मिल पा रहे हैं।इसकी वजह से मरीजों को भटकना पड़ रहा है।अस्पतालों का हाल ऐसा है कि ड्रग ऑपरेशन द्वारा अस्पतालों को सर्जरी समेत जरूरी दवाइयां भी अस्पतालों को उपलब्ध नहीं करवा पा रहे। जिसकी वजह से अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था बिगड़ती जा रही है।

इन दवाओं का संकट

डेरीफिलिन- सांस रोगियों के लिए
सेट्रोलीन-तनाव रोगियों के लिए
सेरिनेस-तनाव रोगियों के लिए
यूलीन डूडी कार्ड रेस्पिरेट्री सलूशन- दमा रोगियों के लिए

इसके साथ-साथ अस्पतालों में हार्ट व कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों की दवाइयों का भी संकट गहराया हुआ है ।हालात ऐसे हैं कि अस्पतालों की तरफ से मरीजों के हिसाब से दवाइयों की डिमांड भी ली जा रही है। लेकिन ड्रग कॉपरेशन द्वारा उनकी कि गई डिमांड के आधार पर दवाइयों की सप्लाई नहीं की जा रही है।उसमें से सिर्फ 20 से 30% दवाइयां ही अस्पतालों को दी जा रही हैं।

लोकल परचेज के भरोसे प्रदेश के अस्पताल

स्वास्थ्य मंत्री से जब हमने इस पूरे मामले पर बातचीत करें तो उन्होंने कहा कि अस्पतालों मे कुछ दिनों तक दवाइयों का संकट बना रहेगा। सभी अस्पतालों को एलपी से दवाइयां देने की भी बात कही गई है। जल्द ही व्यवस्था को दुरुस्त किया जाएगा और सभी अस्पतालों में समय पर डक ऑपरेशन द्वारा दवाइयां उपलब्ध करने सुनिश्चित करने की व्यवस्था की जा रही है।

लोकल परचेज का बजट आधा कैसे मिलेगी बेहतर सेवा?

राजधानी लखनऊ के जिला अस्पतालों में जब हमने अस्पतालों निदेशक से आपसी बातचीत करी तो दवाइयों की कमी के साथ-साथ लोकल परचेज से दवाइयां उपलब्ध कराने की बात कही तो निदेशकों का बातचीत में कहना था कि कि पहले से जो लोकल परचेज का बजट दिया जाता था वह भी आधा कर दिया गया है। जिसकी वजह से साल के 3 से 4 महीने से ज्यादा लोकल परचेज का बजट नहीं चल पाता।

बाइट-मरीज
बाइट-मरीज
बाइट- जय प्रताप सिंह, स्वास्थ्य मंत्री,उत्तर प्रदेश सरकार




Conclusion:एन्ड
शुभम पाण्डेय
7054605976

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