लखनऊ. उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम (Uttar Pradesh State Road Transport Corporation) में तैनात चालक परिचालकों के लिए अपर प्रबंध निदेशक का एक आदेश गले की फांस बन गया है. इस आदेश से पुरुष चालक परिचालकों को तो कम दिक्कत है, लेकिन जो महिला परिचालक हैं उन्हें समस्या है.
दरअसल, रोडवेज की अपर प्रबंध निदेशक अन्नपूर्णा गर्ग ने एक आदेश जारी किया है, जिसके तहत अब रूट पर बस संचालन के दौरान चालक परिचालकों के मोबाइल की जांच टीएस/टीआई करेंगे. महिला परिचालकों का कहना है कि रोडवेज की तरफ से कोई सीयूजी नंबर तो दिया नहीं गया है. वहीं पर्सनल मोबाइल चेक करने का अधिकार किसी को नहीं होता है. ये निजता का हनन है.
परिवहन निगम की अपर प्रबंध निदेशक अन्नपूर्णा गर्ग ने आदेश जारी कर कहा है कि कुछ ड्राइवर-कंडक्टरों ने ड्यूटी पर अपने आसपास के रूटों पर चलने वाले साथियों के साथ मिलकर वॉट्सएप ग्रुप बनाया है. जब प्रवर्तन दल जांच करने पहुंचता है, तो इसकी सूचना अपने अन्य साथियों को देते हैं. इस पर रोक लगाने के लिए अब चालक परिचालकों को अपना फोन अनलॉक करना होगा.
प्रवर्तन दल के अधिकारी इस तरह की कोई गतिविधि करते हुए पाये जाते हैं, तो उसकी सूचना मुख्यालय को भेजेंगे. साथ ही अगर कोई ड्राइवर कंडक्टर मोबाइल दिखाने में सहयोग नहीं करता है, तो उनके खिलाफ कार्रवाई होगी. इस पूरी प्रक्रिया की वीडियोग्राफी भी करने के आदेश दिए हैं.
परिवहन मंत्री ने भी दिया आदेश: उत्तर प्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह ने भी गुरुवार को आदेश (Driver-Conductor phone will be checked in UP Roadways buses) जारी किया कि सभी अधिकारी इस निर्देश का कड़ाई से पालन करें. रिपोर्ट में दोषी पाये जाने पर ड्राइवरों और कंडक्टरों के निलंबन व संविदा समाप्ति का नियमानुसार फैसला लें.
ड्राइवर और कंडक्टर कर रहे विरोध: परिवहन मंत्री के सख्त रुख और अपर प्रबंध निदेशक के आदेश पर ड्राइवरों व कंडक्टरों ने विरोध जाहिर किया है. उन्होंने कहा कि हमारा पर्सनल मोबाइल है.परिवहन निगम ने सीयूजी नंबर या मोबाइल उपलब्ध नहीं कराया है. मोबाइल में हमारी बहुत सी पर्सनल चीजें होती हैं, इस पर ध्यान कौन देगा. इस तरह के आदेश से कर्मचारियों का शोषण और बढ़ेगा. यूपी रोडवेज इम्प्लाइज यूनियन के शाखा अध्यक्ष प्रदीप कुमार पांडेय का कहना है कि मोबाइल चेक करने से हमारी पर्सनल चीजें लीक नहीं होंगी?
इसकी क्या गारंटी है? कड़ाई के नाम पर प्रताड़ना को बढ़ावा न दिया जाए, बेहतर होगा कि आप और प्रबंध निदेशक एक बार फिर से अपने इस आदेश पर विचार करें. बस की चेकिंग से हमें कोई विरोध नहीं है, लेकिन पर्सनल फोन ना चेक किया जाए. यूपी रोडवेज इम्प्लाइज यूनियन की शाखा कोषाध्यक्ष नीलम भारद्वाज का कहना है कि कई महिला परिचालक भी रोडवेज में काम कर रही हैं. आने वाले दिनों में अब महिला ड्राइवर भी बस संचालन में आ रही हैं. उनकी भी निजता का ख्याल रखा जाना चाहिए. आखिर निजता का अधिकार हमारा मूल अधिकार है. इससे छेड़छाड़ ठीक नहीं है.
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