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यूपी की स्मार्ट सिटी का हाल, 15 लाख की आबादी पीने के पानी के लिए तरस रही

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में नागरिकों को अच्छी सुविधाएं देने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं. लेकिन, हालत बद से बदतर हैं. आलम यह कि राजधानी की 15 लाख से ज्यादा आबादी पीने के साफ पानी के लिए तरस रही है. शिकायतों के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है. लखनऊ नगर निगम सदन की बैठक में पार्षदों ने इस मुद्दे पर जमकर हंगामा किया.

यूपी की स्मार्ट सिटी का हाल
यूपी की स्मार्ट सिटी का हाल
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Published : Jul 27, 2021, 4:07 AM IST

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्मार्ट सिटी में शुमार होती है. यहां के नागरिकों को अच्छी सुविधाएं देने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन हालत यह है कि यहां की 15 लाख से ज्यादा आबादी पीने के साफ पानी के लिए तरस रही है. उनके घरों में गंदे और बदबूदार पानी की आपूर्ति हो रही है. लखनऊ नगर निगम सदन की बैठक में पार्षदों ने इस मुद्दे पर जमकर हंगामा किया. पार्षदों की शिकायतों के बाद ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई. पुराने लखनऊ में रहने वाले लोगों की हालत खराब है. सदर, चौक, हजरतगंज जैसे पुराने लखनऊ के इलाकों में रहने वाले 15 लाख से ज्यादा लोग इस समस्या से परेशान हैं. उदय गंज के रहने वाले बंटी ने बताया कि उनके घरों में आने वाले पानी में बदबू आती है. पानी का रंग पीला होता है. पीने के पानी के लिए उन्हें सरकारी टंकी तक जाना होता है.

विधानसभा, बापू भवन इलाके के यह हालात

महात्मा गांधी वार्ड में विधानसभा, बापू भवन का इलाका केवल राजधानी ही नहीं बल्कि प्रदेश का सबसे पॉश इलाका माना जाता है. यहां के पार्षद अमित कुमार चौधरी ने बताया कि उनके इलाके में पानी की समस्या बहुत ज्यादा है. क्षेत्र में करीब 35,000 लोग रहते हैं. पहले पानी की समस्या थी तो ट्यूबवेल लगवाए गए, लेकिन, यहां सबसे ज्यादा पीने के पानी की समस्या है. लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है. पुराने लखनऊ के करीब 50 वार्ड हैं. इनमें, सदर, गढ़ी कनौरा, मालवीय नगर, बालागंज, हजरतगंज जैसे कई इलाके शामिल हैं. प्रत्येक वार्ड में औसतन 30 से 35000 लोग हैं. इन इलाकों में पीने के बाद साफ पानी की सबसे ज्यादा समस्या है. इन इलाकों की वाटर लाइन और सीवर लाइन बेहद पुरानी है. लाइन के जर्जर होने के कारण साफ पानी की आपूर्ति घरों में प्रभावित हो रही है.

यूपी की स्मार्ट सिटी का हाल.
सदन में आई शिकायतों का नहीं हो रहा समाधान
अयोध्या दास द्वितीय वार्ड की पार्षद कुमकुम राजपूत ने बताया कि उनके इलाकों में घरों में सीवर का पानी आ रहा है. शिकायत करने के बावजूद अधिकारी कोई जवाब नहीं देते. वहीं सरोजिनी नगर प्रथम वार्ड के पार्षद राम नरेश रावत का कहना है कि उनके वार्ड में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. वाटर लेवल नीचे चला गया है. वार्ड में लगे हैंडपंप खराब हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में भारतेंदु चंद्र वार्ड में बनी पानी की टंकी खराब मिली. इस वार्ड की पार्षद रानी कनौजिया इसके बारे में बताती हैं कि उनके वार्ड में 15 साल से टंकी खराब है. कहने के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है. वहीं कांग्रेस के पार्षद गिरीश मिश्रा ने बताया कि वह 4 साल से पीने के पानी और सीवर की समस्या उठा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.

लखनऊ: उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ स्मार्ट सिटी में शुमार होती है. यहां के नागरिकों को अच्छी सुविधाएं देने के नाम पर करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, लेकिन हालत यह है कि यहां की 15 लाख से ज्यादा आबादी पीने के साफ पानी के लिए तरस रही है. उनके घरों में गंदे और बदबूदार पानी की आपूर्ति हो रही है. लखनऊ नगर निगम सदन की बैठक में पार्षदों ने इस मुद्दे पर जमकर हंगामा किया. पार्षदों की शिकायतों के बाद ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की तो चौंकाने वाली तस्वीर सामने आई. पुराने लखनऊ में रहने वाले लोगों की हालत खराब है. सदर, चौक, हजरतगंज जैसे पुराने लखनऊ के इलाकों में रहने वाले 15 लाख से ज्यादा लोग इस समस्या से परेशान हैं. उदय गंज के रहने वाले बंटी ने बताया कि उनके घरों में आने वाले पानी में बदबू आती है. पानी का रंग पीला होता है. पीने के पानी के लिए उन्हें सरकारी टंकी तक जाना होता है.

विधानसभा, बापू भवन इलाके के यह हालात

महात्मा गांधी वार्ड में विधानसभा, बापू भवन का इलाका केवल राजधानी ही नहीं बल्कि प्रदेश का सबसे पॉश इलाका माना जाता है. यहां के पार्षद अमित कुमार चौधरी ने बताया कि उनके इलाके में पानी की समस्या बहुत ज्यादा है. क्षेत्र में करीब 35,000 लोग रहते हैं. पहले पानी की समस्या थी तो ट्यूबवेल लगवाए गए, लेकिन, यहां सबसे ज्यादा पीने के पानी की समस्या है. लोगों को पानी के लिए परेशान होना पड़ रहा है. पुराने लखनऊ के करीब 50 वार्ड हैं. इनमें, सदर, गढ़ी कनौरा, मालवीय नगर, बालागंज, हजरतगंज जैसे कई इलाके शामिल हैं. प्रत्येक वार्ड में औसतन 30 से 35000 लोग हैं. इन इलाकों में पीने के बाद साफ पानी की सबसे ज्यादा समस्या है. इन इलाकों की वाटर लाइन और सीवर लाइन बेहद पुरानी है. लाइन के जर्जर होने के कारण साफ पानी की आपूर्ति घरों में प्रभावित हो रही है.

यूपी की स्मार्ट सिटी का हाल.
सदन में आई शिकायतों का नहीं हो रहा समाधान
अयोध्या दास द्वितीय वार्ड की पार्षद कुमकुम राजपूत ने बताया कि उनके इलाकों में घरों में सीवर का पानी आ रहा है. शिकायत करने के बावजूद अधिकारी कोई जवाब नहीं देते. वहीं सरोजिनी नगर प्रथम वार्ड के पार्षद राम नरेश रावत का कहना है कि उनके वार्ड में पीने के पानी की कोई व्यवस्था नहीं है. वाटर लेवल नीचे चला गया है. वार्ड में लगे हैंडपंप खराब हैं. ईटीवी भारत की पड़ताल में भारतेंदु चंद्र वार्ड में बनी पानी की टंकी खराब मिली. इस वार्ड की पार्षद रानी कनौजिया इसके बारे में बताती हैं कि उनके वार्ड में 15 साल से टंकी खराब है. कहने के बाद भी कोई सुनने वाला नहीं है. वहीं कांग्रेस के पार्षद गिरीश मिश्रा ने बताया कि वह 4 साल से पीने के पानी और सीवर की समस्या उठा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है.
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