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Dream of house : गरीबों के आवास बनाने में बिल्डरों ने किया खेल, जानिये क्या करते रहे जिम्मेदार

आवास विभाग के अफसरों और बिल्डरों के खेल से गरीबों को मिलने वाली आवास सुविधा (Dream of house) पर पानी फिर रहा है. आलम यह है कि बीते दो साल में आवास विकास गरीबों की श्रेणी वाला एक भी मकान नहीं बना सका है.

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Published : Jan 18, 2023, 2:56 PM IST

लखनऊ : आवास विभाग के अफसरों की बिल्डरों से मिलीभगत का आलम यह है कि पिछले 24 महीने में उत्तर प्रदेश में हाईटेक व इंटीग्रेटेड टाउनशिप और अफोर्डेबल हाउसिंग नीति होने के बावजूद बिल्डरों ने गरीबों के लिए एक भी आवास नहीं बनाया. जहां शासन सत्ता का पूरा अमला बैठता है, उस लखनऊ का भी यही हाल है. दो साल बाद समीक्षा में यह बात सामने आई है. इसके बाद में बिल्डरों पर शिकंजा कसने की तैयारी की बात कही जा रही है. सवाल यह है कि जो अफसर पिछले दो साल में बिल्डरों पर कार्रवाई नहीं कर सके उनसे आगे क्या उम्मीद की जा सकती है. इतना बुरा हाल तब है जब आवास विभाग के मंत्री खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं.

बिल्डरों के रुचि न लेने से गरीबों के अपने आशियाने के अरमान पर पानी फिर रहा है. आलम यह है कि दो साल से हाईटेक व इंटीग्रेटेड टाउनशिप के साथ अफोर्डेबल हाउसिंग नीति के तहत 24 विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में एक भी मकान उनके लिए नहीं बनाए गए हैं. शासन अब ऐसे बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. हाईटेक और इंटीग्रेटेड टाउनशिप बनाने वाले प्रत्येक बिल्डर के लिए जरूरी है कि वह अपने कुल आवासों में 20% गरीबों के लिए आवासों का निर्माण करे. जिनको शासन की ईडब्ल्यूएस और एलआईजी नीति के तहत कम दामों में गरीबों को आवंटित किया जाता है, मगर बिल्डरों ने इन योजनाओं में गरीबों के मकान बनाने में कोई रुचि ही नहीं ली. प्रत्येक प्राधिकरण को गरीबों को मकान लिए ईडब्ल्यूएस और एलआईजी वित्तीय वर्ष में आवास विकास बनाने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन बिल्डरों ने दो साल में कुछ भी नहीं किया.

Ews के तहत लखनऊ, आगरा, मेरठ, अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, बांदा, बुलंदशहर, अयोध्या, फिरोजाबाद, झांसी, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, उन्नाव, रामपुर, उरई, खुर्जा, आजमगढ़ व बागपत विकास प्राधिकरण, कुशीनगर, शक्तिनगर, चित्रकूट, कपिलवस्तु व मिर्जापुर विशेष प्राधिकरण ने एक भी आवास नहीं बनाए हैं. LIG श्रेणी में गाजियाबाद, लखनऊ, मुरादाबाद, अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, बांदा, बुलंदशहर, अयोध्या, फिरोजाबाद, झांसी, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, उन्नाव, रामपुर, उरई, आजमगढ़ व बागपत विकास प्राधिकरण व कुशीनगर, शक्तिनगर, चित्रकूट, कपिलवस्तु व मिर्जापुर विशेष प्राधिकरण ने भी कोई आवास नहीं बनाया. उत्तर प्रदेश में ईडब्ल्यूएस के 41 हजार बनाने थे, लेकिन बने सिर्फ 4178 मकान. यह लक्ष्य का सिर्फ 10.19 प्रतिशत है. इसी तरह एलआईजी के 22 हजार मकान बनाने केलक्ष्य की तुलना में सिर्फ 5265 आवास बने. जो लक्ष्य का 23.93 प्रतिशत है. चालू वित्तीय वर्ष में तो दोनों श्रेणी के आवास बनाने की स्थिति पहले से भी खराब है. इस साल अब तक ईडब्ल्यूएस के 54,348 व एलआईजी श्रेणी के 31,854 मकान बनाने का लक्ष्य है. लेकिन अब तक ईडब्ल्यूएस के मात्र 754 मकान ही बन सके हैं.

लखनऊ : आवास विभाग के अफसरों की बिल्डरों से मिलीभगत का आलम यह है कि पिछले 24 महीने में उत्तर प्रदेश में हाईटेक व इंटीग्रेटेड टाउनशिप और अफोर्डेबल हाउसिंग नीति होने के बावजूद बिल्डरों ने गरीबों के लिए एक भी आवास नहीं बनाया. जहां शासन सत्ता का पूरा अमला बैठता है, उस लखनऊ का भी यही हाल है. दो साल बाद समीक्षा में यह बात सामने आई है. इसके बाद में बिल्डरों पर शिकंजा कसने की तैयारी की बात कही जा रही है. सवाल यह है कि जो अफसर पिछले दो साल में बिल्डरों पर कार्रवाई नहीं कर सके उनसे आगे क्या उम्मीद की जा सकती है. इतना बुरा हाल तब है जब आवास विभाग के मंत्री खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ हैं.

बिल्डरों के रुचि न लेने से गरीबों के अपने आशियाने के अरमान पर पानी फिर रहा है. आलम यह है कि दो साल से हाईटेक व इंटीग्रेटेड टाउनशिप के साथ अफोर्डेबल हाउसिंग नीति के तहत 24 विकास प्राधिकरण क्षेत्रों में एक भी मकान उनके लिए नहीं बनाए गए हैं. शासन अब ऐसे बिल्डरों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी कर रहा है. हाईटेक और इंटीग्रेटेड टाउनशिप बनाने वाले प्रत्येक बिल्डर के लिए जरूरी है कि वह अपने कुल आवासों में 20% गरीबों के लिए आवासों का निर्माण करे. जिनको शासन की ईडब्ल्यूएस और एलआईजी नीति के तहत कम दामों में गरीबों को आवंटित किया जाता है, मगर बिल्डरों ने इन योजनाओं में गरीबों के मकान बनाने में कोई रुचि ही नहीं ली. प्रत्येक प्राधिकरण को गरीबों को मकान लिए ईडब्ल्यूएस और एलआईजी वित्तीय वर्ष में आवास विकास बनाने का लक्ष्य दिया गया था, लेकिन बिल्डरों ने दो साल में कुछ भी नहीं किया.

Ews के तहत लखनऊ, आगरा, मेरठ, अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, बांदा, बुलंदशहर, अयोध्या, फिरोजाबाद, झांसी, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, उन्नाव, रामपुर, उरई, खुर्जा, आजमगढ़ व बागपत विकास प्राधिकरण, कुशीनगर, शक्तिनगर, चित्रकूट, कपिलवस्तु व मिर्जापुर विशेष प्राधिकरण ने एक भी आवास नहीं बनाए हैं. LIG श्रेणी में गाजियाबाद, लखनऊ, मुरादाबाद, अलीगढ़, गोरखपुर, वाराणसी, बांदा, बुलंदशहर, अयोध्या, फिरोजाबाद, झांसी, मुजफ्फरनगर, सहारनपुर, उन्नाव, रामपुर, उरई, आजमगढ़ व बागपत विकास प्राधिकरण व कुशीनगर, शक्तिनगर, चित्रकूट, कपिलवस्तु व मिर्जापुर विशेष प्राधिकरण ने भी कोई आवास नहीं बनाया. उत्तर प्रदेश में ईडब्ल्यूएस के 41 हजार बनाने थे, लेकिन बने सिर्फ 4178 मकान. यह लक्ष्य का सिर्फ 10.19 प्रतिशत है. इसी तरह एलआईजी के 22 हजार मकान बनाने केलक्ष्य की तुलना में सिर्फ 5265 आवास बने. जो लक्ष्य का 23.93 प्रतिशत है. चालू वित्तीय वर्ष में तो दोनों श्रेणी के आवास बनाने की स्थिति पहले से भी खराब है. इस साल अब तक ईडब्ल्यूएस के 54,348 व एलआईजी श्रेणी के 31,854 मकान बनाने का लक्ष्य है. लेकिन अब तक ईडब्ल्यूएस के मात्र 754 मकान ही बन सके हैं.

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