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Defence Expo: डीआरडीओ के सहयोग से तैयार हुआ सेना का योद्धा

डीआरडीओ के सहयोग से एक व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म तैयार किया गया है. यह वाहन पहाड़, बर्फ और गहरी खाई को पार करने में भी सक्षम है.

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डीआरडीओ के सहयोग से तैयार हुआ सेना का योद्धा
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Published : Feb 9, 2020, 9:31 PM IST

लखनऊ: भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं संगठन (डीआरडीओ) के सहयोग से भारतीय सेना के लिए एक व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म (डब्ल्यूएचएपी) विकसित किया गया है. ये एक नया युद्ध वाहन है. जिसका निर्माण सेना द्वारा बताई गई युद्ध की स्थितियों को देखते हुए किया गया है.

डीआरडीओ के सहयोग से तैयार हुआ सेना का योद्धा

आर्मर्ड प्लेटफॉर्म की ये है खासियत
सेना के लिए तैयार किए गए युद्ध वाहन कि खासियत है कि यह दुर्गम रास्तों पर दौड़ सकता है. पहाड़ों पर चढ़ सकता है और बर्फ पर भी चलने में सक्षम है. यह वाहन हर तरह से सेना की सहायता करने में सक्षम है. इस व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म को आने वाले दिनों में सेना, पुलिस बलों, एमएचए, वीआईपी और नागरिक सुरक्षा बलों की बख्तरबंद गाड़ियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

इस व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफार्म का ट्रायल पूरा हो चुका है. डीआरडीओ की इस तकनीक को लखनऊ में आयोजित डिफेंस एक्सपो में प्रदर्शित किया गया है. 'ईटीवी भारत' ने इस वाहन के बारे में इससे जुड़े वैज्ञानिकों से जानकारी ली.

ये भी पढ़ें: डिफेंस एक्सपो देखने पहुंचे दर्शक बोले: पीएम मोदी साकार कर रहे हैं देश का सपना

डीआरडीओ के सहयोग से तैयार हुआ सेना का योद्धा
भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं संगठन के साइंटिस्ट सेंथिल कुमार ने इस आर्मर्ड प्लेटफार्म की खासियत के बारे में बताते हुए कहा कि यह सोल्जर्स को बैटल पर ले जाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है. यह गाड़ी के ऊपर डिफरेंट व्हिकल बना सकता है, जिनमे एंबुलेंस, मिसाइल कैरियर जैसी गाड़ियां शामिल हैं. यह कॉमन प्लेटफॉर्म हमने तैयार किया है.

इंडियन आर्मी में इसे इस्तेमाल किया जाएगा. इसमें 10 लोग एक साथ बैठ सकते हैं. पीछे 6 लोग ट्रूप कंपार्टमेंट में बैठते हैं और ट्रक में 2 लोग रहते हैं. राइट साइड में ड्राइवर और उसके पीछे एक और व्यक्ति बैठ सकता है. ट्रूप्स कंपार्टमेंट में ब्लास्ट प्रोडक्शन दिया हुआ है. सीट भी ब्लास्ट प्रूफ है. हाई प्रोटेक्टेड व्हिकल है.

खाई को भी पार कर सकता है आर्मर्ड प्लेटफार्म
साइंटिस्ट कैंथिल ने बताया कि 70 हजार फुट के ऊपर ट्रायल हो चुका है. डेजर्ट में भी इसका ट्रायल हो चुका है. डिफरेंट ट्रायल हमने कंप्लीट कर लिए हैं. इनका मेन एडवांटेज ऑन रोड स्पीड है. टैंक में स्पीड लिमिट रहती है. यह व्हिकल गाड़ी 100 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ सकती है. ये गाड़ी नदी या कैनाल को भी आसानी से पार कर सकती है. इसको शिप या वोट की जरूरत नहीं पड़ती है. ये गाड़ी पानी में 10 किलोमीटर स्पीड से दौड़ सकती है. यह उबड़-खाबड़ रास्ते पर भी जा सकती है. यह वाहन खाई को भी पार करने में पूरी तरह से सक्षम है.

ये भी पढ़ें: Defence Expo: दुश्मनों के फाइटर प्लेन को हवा में ही मार गिराती है 'आकाश मिसाइल'

लखनऊ: भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं संगठन (डीआरडीओ) के सहयोग से भारतीय सेना के लिए एक व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म (डब्ल्यूएचएपी) विकसित किया गया है. ये एक नया युद्ध वाहन है. जिसका निर्माण सेना द्वारा बताई गई युद्ध की स्थितियों को देखते हुए किया गया है.

डीआरडीओ के सहयोग से तैयार हुआ सेना का योद्धा

आर्मर्ड प्लेटफॉर्म की ये है खासियत
सेना के लिए तैयार किए गए युद्ध वाहन कि खासियत है कि यह दुर्गम रास्तों पर दौड़ सकता है. पहाड़ों पर चढ़ सकता है और बर्फ पर भी चलने में सक्षम है. यह वाहन हर तरह से सेना की सहायता करने में सक्षम है. इस व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म को आने वाले दिनों में सेना, पुलिस बलों, एमएचए, वीआईपी और नागरिक सुरक्षा बलों की बख्तरबंद गाड़ियों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है.

इस व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफार्म का ट्रायल पूरा हो चुका है. डीआरडीओ की इस तकनीक को लखनऊ में आयोजित डिफेंस एक्सपो में प्रदर्शित किया गया है. 'ईटीवी भारत' ने इस वाहन के बारे में इससे जुड़े वैज्ञानिकों से जानकारी ली.

ये भी पढ़ें: डिफेंस एक्सपो देखने पहुंचे दर्शक बोले: पीएम मोदी साकार कर रहे हैं देश का सपना

डीआरडीओ के सहयोग से तैयार हुआ सेना का योद्धा
भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं संगठन के साइंटिस्ट सेंथिल कुमार ने इस आर्मर्ड प्लेटफार्म की खासियत के बारे में बताते हुए कहा कि यह सोल्जर्स को बैटल पर ले जाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है. यह गाड़ी के ऊपर डिफरेंट व्हिकल बना सकता है, जिनमे एंबुलेंस, मिसाइल कैरियर जैसी गाड़ियां शामिल हैं. यह कॉमन प्लेटफॉर्म हमने तैयार किया है.

इंडियन आर्मी में इसे इस्तेमाल किया जाएगा. इसमें 10 लोग एक साथ बैठ सकते हैं. पीछे 6 लोग ट्रूप कंपार्टमेंट में बैठते हैं और ट्रक में 2 लोग रहते हैं. राइट साइड में ड्राइवर और उसके पीछे एक और व्यक्ति बैठ सकता है. ट्रूप्स कंपार्टमेंट में ब्लास्ट प्रोडक्शन दिया हुआ है. सीट भी ब्लास्ट प्रूफ है. हाई प्रोटेक्टेड व्हिकल है.

खाई को भी पार कर सकता है आर्मर्ड प्लेटफार्म
साइंटिस्ट कैंथिल ने बताया कि 70 हजार फुट के ऊपर ट्रायल हो चुका है. डेजर्ट में भी इसका ट्रायल हो चुका है. डिफरेंट ट्रायल हमने कंप्लीट कर लिए हैं. इनका मेन एडवांटेज ऑन रोड स्पीड है. टैंक में स्पीड लिमिट रहती है. यह व्हिकल गाड़ी 100 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ सकती है. ये गाड़ी नदी या कैनाल को भी आसानी से पार कर सकती है. इसको शिप या वोट की जरूरत नहीं पड़ती है. ये गाड़ी पानी में 10 किलोमीटर स्पीड से दौड़ सकती है. यह उबड़-खाबड़ रास्ते पर भी जा सकती है. यह वाहन खाई को भी पार करने में पूरी तरह से सक्षम है.

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Intro:**स्पेशल**

नोट: फीड लाइव यू से भेजी गई है। आर्मर्ड प्लेटफॉर्म नाम से। धन्यवाद...

सेना में शामिल होने को तैयार पानी में तैर सकने वाला, बर्फ ओर दौड़ सकने वाला बुलेट प्रूफ व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म

लखनऊ। भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं संगठन के सहयोग से भारतीय सेना के लिए एक व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म (डब्ल्यूएचएपी) विकसित किया गया है। ये एक नया युद्ध वाहन है जिसका निर्माण सेना के द्वारा बताई गयी युद्ध की स्थितियों का सामना करने के लिए किया गया है। इसकी खासियत है कि यह दुर्गम रास्तों पर दौड़ सकता है। पहाड़ों पर चढ़ सकता है। बर्फ पर चल सकता है। यानी हर तरह से सेना की सहायता करने में सक्षम है यह वाहन। इस व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफॉर्म को आने वाले दिनों में सेना, पुलिस बलों, एमएचए, वीआईपी और नागरिक सुरक्षा बलों द्वारा प्रयुक्त किए जाने वाले किसी भी बख्तरबंद वाहन के लिए प्रयोग किया जा सकता है। इस व्हील्ड आर्मर्ड प्लेटफार्म का ट्रायल पूरा हो चुका है। डीआरडीओ की इस तकनीक को लखनऊ में आयोजित डिफेंस एक्सपो में प्रदर्शित किया गया। 'ईटीवी भारत' ने इस वाहन के बारे में इससे जुड़े वैज्ञानिकों से जानकारी ली।





Body:भारतीय रक्षा अनुसंधान एवं संगठन के साइंटिस्ट श्रीसेंथिल कुमार इस आर्मर्ड प्लेटफार्म की खासियत के बारे में बताते हैं कि यह सोल्जर्स को बैटल पर ले जाने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। यह गाड़ी के ऊपर डिफरेंट व्हीकल बना सकता है। जिनमे एंबुलेंस, मिसाइल कैरियर जैसी गाड़ियां शामिल हैं। यह कॉमन प्लेटफॉर्म हमने तैयार किया है। इंडियन आर्मी में इसे इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें 10 लोग एक साथ बैठ सकते हैं। पीछे 6 लोग ट्रूप कंपार्टमेंट में बैठते हैं और ट्रक में 2 लोग रहते हैं। राइट साइड में ड्राइवर और उसके पीछे एक और लोग बैठ सकता है। ट्रूप्स कंपार्टमेंट में ब्लास्ट प्रोडक्शन दिया हुआ है। सीट भी ब्लास्ट प्रूफ है। हाई प्रोटेक्टेड व्हीकल है। अभी डीआरडीओ इसके दो प्रोटोटाइप बना चुका है। 70000 फुट के ऊपर ट्रायल हो चुका है। डेजर्ट भी लेकर जा चुके हैं वहां भी ट्रायल हो चुका है। डिफरेंट ट्रायल हमने कंप्लीट कर लिए हैं। इनका मेन एडवांटेज ऑन रोड स्पीड है। टैंक में स्पीड लिमिट रहता है। यह व्हील गाड़ी है तो ये 100 किलोमीटर की स्पीड से दौड़ सकती है। बीच में रिवर या कोई कैनाल आ गई तो टैंक के लिए वोट या शिप की जरूरत पड़ती है लेकिन इसके लिए नहीं। यह पानी में तैर सकता है। 10 किलोमीटर स्पीड से दौड़ सकता है। यह उबड़-खाबड़ रास्ते पर भी जा सकता है। खाई क्रास कर सकता है। झाड़ियां क्रास कर सकता है। 35 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से यह नक्सल इलाकों में और ऊबड़-खाबड़ रास्ते में भी दौड़ सकता है। हाइड्रो गैस सस्पेंशन है तो कंट्रोल अच्छा मिलता है। अगर टायर में बुलेट लग गया है या टायर बर्स्ट हो गया है, पंक्चर हो गया है फिर भी इसे 40 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ाया जा सकता है।





Conclusion:साइंटिस्ट श्री सेंथिल कुमार बताते हैं कि अगर इस वाहन पर कोई अटैक करता है तो सामने वाले के पास कौन से हथियार हैं उसके मुताबिक हम इसे प्रोटेक्शन देते हैं। बोल्टेड पैनल से उसका थ्रेट लेवल देखकर हम इसे चेंज कर सकते हैं कि किस तरह का प्रोडक्शन चाहिए। इसकी थिकनेस बढ़ जाता है। इसमें प्रोटेक्शन मॉड्यूलर होता है थ्रेट देखकर इसे हम चेंज कर सकते हैं।

अखिल पाण्डेय, संवाददाता,
09336864096
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