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नाटक 'चंद्रमुखी' ने हंसाया और समस्या भी उजागर की - लखनऊ में चंद्रमुखी नाटक

यूपी के लखनऊ में 'चंद्रमुखी' नाटक का मंचन किया गया. इस दौरान सभी ने नाटक का लुत्फ उठाया. नाटक का लेखन अमृत कश्यप और निर्देशन संगम बहुगुणा ने किया. नाटक ने लोगों को खूब ही हंसाया.

चंद्रमुखी नाटक
चंद्रमुखी नाटक
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Published : Mar 5, 2021, 5:08 AM IST

लखनऊ: बड़े शहरों में किराये पर मकान लेने के लिए लोगों को क्या-क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं, इसकी एक झलक नाटक 'चंद्रमुखी' में दिखाई गई. नाटक के लेखक अमृत कश्यप हैं और निर्देशन वरिष्ठ कलाकार संगम बहुगुणा ने किया. संगम ने नाटक में लीड रोल चंद्रमुखी का किरदार भी निभाया. हालांकि इस विषय पर राजधानी में अभी हाल ही में 2-3 नाटक मंचित हो चुके हैं लेकिन 'चंद्रमुखी' ने जहां दर्शकों को हंसाया नहीं शहरों की इस समस्या को भी उजागर भी किया.

दर्शकों ने नाटक का उठाया लुत्फ
किराये पर मकान लेने गये अविवाहित प्रकाश को मकान मालकिन इस शर्त पर मकान देती है कि वह शादीशुदा है. तब उसका दोस्त वृजभूषण प्रकाश की पत्नी बनकर उसके पास आ जाता है और उसे मकान मिल जाता है. नाटक में कई जगहों पर ऐसी परिस्थितियां बनती हैं कि हास्य उभरता है. दर्शकों को खूब मजा आता है. अंत में सबकी पोल खुल जाती है और एक सुखद दृश्य के साथ नाटक का द् एंड हो जाता है.

नाटक में अंकुर सक्सेना, ममता प्रवीण, रविकांत शुक्ला, सुमित श्रीवास्तव, हर्षिता श्रीवास्तव के अलावा अन्य कलाकारों विभिन्न भूमिकाएं निभाईं. पर्दे के पीछे के कलाकारों में प्रकाश संयोजन गोपाल सिन्हा का था, संगीत आशुतोष विश्वकर्मा ने दिया. सेट निर्माण शिव रतन एंड पार्टी ने और मेकअप शहीर अहमद एंड पार्टी ने किया.

लखनऊ: बड़े शहरों में किराये पर मकान लेने के लिए लोगों को क्या-क्या पापड़ बेलने पड़ते हैं, इसकी एक झलक नाटक 'चंद्रमुखी' में दिखाई गई. नाटक के लेखक अमृत कश्यप हैं और निर्देशन वरिष्ठ कलाकार संगम बहुगुणा ने किया. संगम ने नाटक में लीड रोल चंद्रमुखी का किरदार भी निभाया. हालांकि इस विषय पर राजधानी में अभी हाल ही में 2-3 नाटक मंचित हो चुके हैं लेकिन 'चंद्रमुखी' ने जहां दर्शकों को हंसाया नहीं शहरों की इस समस्या को भी उजागर भी किया.

दर्शकों ने नाटक का उठाया लुत्फ
किराये पर मकान लेने गये अविवाहित प्रकाश को मकान मालकिन इस शर्त पर मकान देती है कि वह शादीशुदा है. तब उसका दोस्त वृजभूषण प्रकाश की पत्नी बनकर उसके पास आ जाता है और उसे मकान मिल जाता है. नाटक में कई जगहों पर ऐसी परिस्थितियां बनती हैं कि हास्य उभरता है. दर्शकों को खूब मजा आता है. अंत में सबकी पोल खुल जाती है और एक सुखद दृश्य के साथ नाटक का द् एंड हो जाता है.

नाटक में अंकुर सक्सेना, ममता प्रवीण, रविकांत शुक्ला, सुमित श्रीवास्तव, हर्षिता श्रीवास्तव के अलावा अन्य कलाकारों विभिन्न भूमिकाएं निभाईं. पर्दे के पीछे के कलाकारों में प्रकाश संयोजन गोपाल सिन्हा का था, संगीत आशुतोष विश्वकर्मा ने दिया. सेट निर्माण शिव रतन एंड पार्टी ने और मेकअप शहीर अहमद एंड पार्टी ने किया.

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