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लखनऊ की डॉक्टर शारदा का निधन: फेफड़ा ट्रांसप्लांट के लिए हैदराबाद की गईं थी एयरलिफ्ट - लखनऊ की डॉक्टर शारदा का निधन

राजधानी लखनऊ से फेफड़ा ट्रांसप्लांट के लिए हैदराबाद भेजी गईं लोहिया संस्थान की महिला डॉक्टर का आज निधन हो गया. उन्हें यूपी सरकार ने एयर एम्बुलेंस से भेजा था. साथ ही फेफड़े के ट्रांसप्लांट के लिए भी धन की मंजूरी प्रदान की थी.

डाक्टर शारदा की मौत
डाक्टर शारदा की मौत
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Published : Sep 6, 2021, 9:13 PM IST

लखनऊ : राजधानी लखनऊ से एक दुखद खबर है. करीब साढ़े पांच महीने तक जिंदगी की जंग लड़ते हुए आखिर सोमवार को डॉ शारदा ने दम तोड़ दिया. लखनऊ से फेफड़ा ट्रांसप्लांट के लिए हैदराबाद भेजी गईं लोहिया संस्थान की महिला डॉक्टर शारदा का आज निधन हो गया. उन्हें यूपी सरकार ने एयर एम्बुलेंस से हैदराबाद भेजा था. साथ ही फेफड़े के ट्रांसप्लांट के लिए धन की भी मंजूरी प्रदान की थी.

दरअसल, राजधानी लखनऊ के लोहिया संस्थान के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में डॉ. शारदा सुमन जूनियर रेजिडेंट के पद पर थीं. वह संस्थान से डीएनबी कोर्स भी कर रही थीं. हाल में ही उनकी शादी भी हुई थी. पति भी बतौर रेजिडेंट कार्यरत हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, डॉ. शरादा गर्भवती थीं, बावजूद उन्होंने मेडिकल लीव नहीं ली थी. कोरोना की दूसरी लहर के बीच महिला इमरजेंसी में ड्यूटी करती रहीं. कई गर्भवती महिलाओं का इलाज किया. इस बीच उनका भी प्रसव कराया गया. 12 अप्रैल को शारदा को बुखार आ गया, इसके बाद जांच कराई. 14 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई.

वेंटिलेटर पर डॉक्टर का कराया गया था प्रसव

कोरोना पॉजिटिव आने के बाद डॉ शारदा को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. 14 अप्रैल को उन्हें लोहिया के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर भर्ती किया गया. एक मई को डॉक्टरों ने शिशु की जान बचाने का फैसला किया. ऐसे में वेंटिलेटर पर भर्ती गर्भवती रेजिडेंट डॉक्टर का प्रसव कराया गया. वहीं डॉक्टर की हालत गंभीर बनी रही.

इसे भी पढ़ें- युवक की आत्महत्या के 24 घंटे बाद मुर्दे पर दर्ज हुआ धोखाधड़ी व मारपीट का केस

डॉक्टर शारदा लोहिया में 50 दिनों तक ईकमो मशीन पर रहीं

डॉ. शारदा की 6 मई को कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ गई. मगर, इस दरम्यान उनका फेफड़ा पूरी तरह खराब हो गया. इसके बाद उन्हें नॉन कोविड आईसीयू में शिफ्ट कर ईकमो मशीन पर रखा गया. यह मशीन कृत्रिम हार्ट व फेफड़े का काम करती है. संस्थान के प्रवक्ता डॉ श्रीकेश सिंह के मुताबिक डॉक्टर व परिवारजनों के बीच संस्थान के चयन को लेकर चर्चा हुई थी. डॉक्टर की सलाह के बाद परिवारजनों ने किम्स में फेफड़ा प्रत्यारोपण की सहमति जताई थी. ट्रांसप्लांट के लिए डेढ़ करोड़ रुपए मुख्यमंत्री ने मंजूर किए थे. लेकिन डॉ शारदा का अब हैदराबाद के अस्पताल में निधन हो गया. लोहिया संस्थान में वह करीब 50 दिनों तक इकमो पर रहीं. इसके बाद उन्हें हैदराबाद शिफ्ट किया गया था. यहां 34 दिन लाइफ सपोर्ट पर रखा गया. साढ़े पांच माह तक डॉ शारदा जिंदगी के लिए जंग लड़ती रहीं. उनकी मौत के बाद परिजनों के यहां मातम पसरा हुआ है.

लखनऊ : राजधानी लखनऊ से एक दुखद खबर है. करीब साढ़े पांच महीने तक जिंदगी की जंग लड़ते हुए आखिर सोमवार को डॉ शारदा ने दम तोड़ दिया. लखनऊ से फेफड़ा ट्रांसप्लांट के लिए हैदराबाद भेजी गईं लोहिया संस्थान की महिला डॉक्टर शारदा का आज निधन हो गया. उन्हें यूपी सरकार ने एयर एम्बुलेंस से हैदराबाद भेजा था. साथ ही फेफड़े के ट्रांसप्लांट के लिए धन की भी मंजूरी प्रदान की थी.

दरअसल, राजधानी लखनऊ के लोहिया संस्थान के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में डॉ. शारदा सुमन जूनियर रेजिडेंट के पद पर थीं. वह संस्थान से डीएनबी कोर्स भी कर रही थीं. हाल में ही उनकी शादी भी हुई थी. पति भी बतौर रेजिडेंट कार्यरत हैं. मिली जानकारी के मुताबिक, डॉ. शरादा गर्भवती थीं, बावजूद उन्होंने मेडिकल लीव नहीं ली थी. कोरोना की दूसरी लहर के बीच महिला इमरजेंसी में ड्यूटी करती रहीं. कई गर्भवती महिलाओं का इलाज किया. इस बीच उनका भी प्रसव कराया गया. 12 अप्रैल को शारदा को बुखार आ गया, इसके बाद जांच कराई. 14 अप्रैल को उनकी रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आ गई.

वेंटिलेटर पर डॉक्टर का कराया गया था प्रसव

कोरोना पॉजिटिव आने के बाद डॉ शारदा को सांस लेने में तकलीफ होने लगी. 14 अप्रैल को उन्हें लोहिया के कोविड अस्पताल में भर्ती कराया गया. हालत बिगड़ने पर उन्हें वेंटिलेटर पर भर्ती किया गया. एक मई को डॉक्टरों ने शिशु की जान बचाने का फैसला किया. ऐसे में वेंटिलेटर पर भर्ती गर्भवती रेजिडेंट डॉक्टर का प्रसव कराया गया. वहीं डॉक्टर की हालत गंभीर बनी रही.

इसे भी पढ़ें- युवक की आत्महत्या के 24 घंटे बाद मुर्दे पर दर्ज हुआ धोखाधड़ी व मारपीट का केस

डॉक्टर शारदा लोहिया में 50 दिनों तक ईकमो मशीन पर रहीं

डॉ. शारदा की 6 मई को कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आ गई. मगर, इस दरम्यान उनका फेफड़ा पूरी तरह खराब हो गया. इसके बाद उन्हें नॉन कोविड आईसीयू में शिफ्ट कर ईकमो मशीन पर रखा गया. यह मशीन कृत्रिम हार्ट व फेफड़े का काम करती है. संस्थान के प्रवक्ता डॉ श्रीकेश सिंह के मुताबिक डॉक्टर व परिवारजनों के बीच संस्थान के चयन को लेकर चर्चा हुई थी. डॉक्टर की सलाह के बाद परिवारजनों ने किम्स में फेफड़ा प्रत्यारोपण की सहमति जताई थी. ट्रांसप्लांट के लिए डेढ़ करोड़ रुपए मुख्यमंत्री ने मंजूर किए थे. लेकिन डॉ शारदा का अब हैदराबाद के अस्पताल में निधन हो गया. लोहिया संस्थान में वह करीब 50 दिनों तक इकमो पर रहीं. इसके बाद उन्हें हैदराबाद शिफ्ट किया गया था. यहां 34 दिन लाइफ सपोर्ट पर रखा गया. साढ़े पांच माह तक डॉ शारदा जिंदगी के लिए जंग लड़ती रहीं. उनकी मौत के बाद परिजनों के यहां मातम पसरा हुआ है.

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