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डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज की बढ़ी मुश्किले, भवन में लटका ताला - अस्पताल में मजदूर बंधक

डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज व उससे संबद्ध कॉलेजों पर सीएमओ जिला प्रशासन की टीम ने छापेमारी की. दरअसल, इन कॉलेजों में मान्यता को लेकर मजदूरों को बंधक बनाया गया था. इसके बाद सीएमओ जिला प्रशासन की टीम ने अस्पताल को बंद कर दिया और भवन में ताला लटका दिया गया.

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डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज में जिला प्रशासन की गाज
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Published : Feb 17, 2022, 12:45 PM IST

लखनऊ: डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज व उससे संबद्ध कॉलेज की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. यहां से संबद्ध डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल में छापामारी कर खुलासा किया गया. बताया गया है कि डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज में मान्यता को लेकर मजदूरों को बंधक बनाया गया. सीएमओ जिला प्रशासन की टीम ने अस्पताल को बंद कर दिया और साथ ही भवन में ताला लगाकर सील कर दिया गया.

दरअसल गत मंगलवार को डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल में मजदूरों को जबरन मरीज बनाकर इलाज करने का खुलासा हुआ था. स्वास्थ्य विभाग ने हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द कर दिया है. वहीं अभी पुलिस और स्वास्थ्य विभाग मामले की जांच कर रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक अस्पताल ने 40 से अधिक एजेंट तैनात कर रखे थे. ये गांव में चिकित्सा शिविर लगाते थे. शिविर में आने वाले मरीजों को ओपीडी में पंजीकरण किया जाता है. इससे अस्पताल में ओपीडी की संख्या को बढ़ाया जा रहा था. इसके अलावा अस्पताल में भर्ती मरीजों को 12 से 24 घंटे के लिए भर्ती किया जाता था. इन्हें तीन वक्त का भोजन, चाय, नाश्ता और साथ ही डिस्चार्ज के वक्त मजदूरी भी दी जाती थी. इस संबंध में एसीएमओ डॉ एपी सिंह ने कहा कि बुधवार शाम को मौके पर कोई मरीज भर्ती नहीं मिला. अस्पताल को बंद कर दिया गया।

125 से ज्यादा मजदूर बनाए गए थे बंधक
गत मंगलवार को दुबग्गा स्थित डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल में मान्यता के लिए 125 से ज्यादा दिहाड़ी मजदूरों को बंधक बनाया गया था और साथ ही मजदूरों को भर्ती कर मरीज दर्शाया
गया था. इनमें 13 से ज्यादा मजदूरों को वीगो व इंजेक्शन लगाए गए थे। मामला पकड़ में आने पर स्वास्थ्य विभाग ने हॉस्पिटल प्रशासन को नोटिस भेजकर जवाब-तलब किया था। इसमें घटना के वक्त भर्ती मरीज, इलाज का ब्यौरा तलब किया है। कई दिन का वक्त बीतने के बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन का कोई जवाब नहीं आया है।

बैंक ऑफ इंडिया ने अस्पताल गेट पर नोटिस चस्पा की
गौरतलब है कि बैंक ऑफ इंडिया से कॉलेज ने 19 करोड़ 27 लाख 23 हजार 827 रुपये का लोन ले रखा है। वही मजदूरों को जबरन मरीज बनाए जाने की घटना सामने आई. इतना ही नहीं बल्कि इस दौरान कई खुलासे भी हुए. जिसके बाद अब बैंक ऑफ इंडिया ने डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज व उससे संबद्ध कॉलेज पर शिकंजा कस दिया है। बैंक ने सोमवार को हॉस्पिटल गेट पर नोटिस चस्पा कर लोन का भुगतान करने को कहा है।

यह भी पढ़ें- Lakhimpur Kheri Case:जेल से बाहर आएंगे केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के बेटे आशीष मिश्रा, हाईकोर्ट ने दिया आदेश

हॉस्पिटल गेट से हटा शुगर फ्री आलू की बिक्री का बोर्ड
अस्पताल में इलाज के साथ ही शुगर फ्री आलू की बिक्री की धंधा भी जोरों से चल रहा था. इसके लिए बाकायदा अस्पताल प्रशासन ने गेट पर बोर्ड लटका रखा था. जिसके दम पर अस्पताल प्रशासन को हर महीने हजारों रुपये का कारोबार सिर्फ आलू से होता है. पांच किलो आलू की कीमत 60 रुपये तय थी. लेकिन हॉस्पिटल में अब आलू की बिक्री नहीं होगी. अस्पताल प्रशासन ने शुगर फ्री बिक्री का बोर्ड हटा लिया है. सोमवार को चार से पांच सुरक्षा गार्ड अस्पताल गेट पर मुस्तैद रहे.

यूं हुआ था खेल का भंडाफोड़
आपको बता दें कि जब मान्यता के लिए मजदूरों को पैसा देकर मरीज दर्शाया गया मजदूरों और वीगो व इंजेक्शन लगाया गया. जिसके बाद मजदूर घबरा गए और उन्होंने हंगामा शुरु कर दिया था. एक मजदूर किसी तरह जान बचाकर भागने में कामयाब हुआ। उसने पुलिस को सूचना दी।

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लखनऊ: डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज व उससे संबद्ध कॉलेज की मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. यहां से संबद्ध डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल में छापामारी कर खुलासा किया गया. बताया गया है कि डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज में मान्यता को लेकर मजदूरों को बंधक बनाया गया. सीएमओ जिला प्रशासन की टीम ने अस्पताल को बंद कर दिया और साथ ही भवन में ताला लगाकर सील कर दिया गया.

दरअसल गत मंगलवार को डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल में मजदूरों को जबरन मरीज बनाकर इलाज करने का खुलासा हुआ था. स्वास्थ्य विभाग ने हॉस्पिटल का लाइसेंस रद्द कर दिया है. वहीं अभी पुलिस और स्वास्थ्य विभाग मामले की जांच कर रहे हैं. अधिकारियों के मुताबिक अस्पताल ने 40 से अधिक एजेंट तैनात कर रखे थे. ये गांव में चिकित्सा शिविर लगाते थे. शिविर में आने वाले मरीजों को ओपीडी में पंजीकरण किया जाता है. इससे अस्पताल में ओपीडी की संख्या को बढ़ाया जा रहा था. इसके अलावा अस्पताल में भर्ती मरीजों को 12 से 24 घंटे के लिए भर्ती किया जाता था. इन्हें तीन वक्त का भोजन, चाय, नाश्ता और साथ ही डिस्चार्ज के वक्त मजदूरी भी दी जाती थी. इस संबंध में एसीएमओ डॉ एपी सिंह ने कहा कि बुधवार शाम को मौके पर कोई मरीज भर्ती नहीं मिला. अस्पताल को बंद कर दिया गया।

125 से ज्यादा मजदूर बनाए गए थे बंधक
गत मंगलवार को दुबग्गा स्थित डॉ. आरआर सिन्हा मेमोरियल हॉस्पिटल में मान्यता के लिए 125 से ज्यादा दिहाड़ी मजदूरों को बंधक बनाया गया था और साथ ही मजदूरों को भर्ती कर मरीज दर्शाया
गया था. इनमें 13 से ज्यादा मजदूरों को वीगो व इंजेक्शन लगाए गए थे। मामला पकड़ में आने पर स्वास्थ्य विभाग ने हॉस्पिटल प्रशासन को नोटिस भेजकर जवाब-तलब किया था। इसमें घटना के वक्त भर्ती मरीज, इलाज का ब्यौरा तलब किया है। कई दिन का वक्त बीतने के बाद भी हॉस्पिटल प्रशासन का कोई जवाब नहीं आया है।

बैंक ऑफ इंडिया ने अस्पताल गेट पर नोटिस चस्पा की
गौरतलब है कि बैंक ऑफ इंडिया से कॉलेज ने 19 करोड़ 27 लाख 23 हजार 827 रुपये का लोन ले रखा है। वही मजदूरों को जबरन मरीज बनाए जाने की घटना सामने आई. इतना ही नहीं बल्कि इस दौरान कई खुलासे भी हुए. जिसके बाद अब बैंक ऑफ इंडिया ने डॉ. एमसी सक्सेना मेडिकल कॉलेज व उससे संबद्ध कॉलेज पर शिकंजा कस दिया है। बैंक ने सोमवार को हॉस्पिटल गेट पर नोटिस चस्पा कर लोन का भुगतान करने को कहा है।

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हॉस्पिटल गेट से हटा शुगर फ्री आलू की बिक्री का बोर्ड
अस्पताल में इलाज के साथ ही शुगर फ्री आलू की बिक्री की धंधा भी जोरों से चल रहा था. इसके लिए बाकायदा अस्पताल प्रशासन ने गेट पर बोर्ड लटका रखा था. जिसके दम पर अस्पताल प्रशासन को हर महीने हजारों रुपये का कारोबार सिर्फ आलू से होता है. पांच किलो आलू की कीमत 60 रुपये तय थी. लेकिन हॉस्पिटल में अब आलू की बिक्री नहीं होगी. अस्पताल प्रशासन ने शुगर फ्री बिक्री का बोर्ड हटा लिया है. सोमवार को चार से पांच सुरक्षा गार्ड अस्पताल गेट पर मुस्तैद रहे.

यूं हुआ था खेल का भंडाफोड़
आपको बता दें कि जब मान्यता के लिए मजदूरों को पैसा देकर मरीज दर्शाया गया मजदूरों और वीगो व इंजेक्शन लगाया गया. जिसके बाद मजदूर घबरा गए और उन्होंने हंगामा शुरु कर दिया था. एक मजदूर किसी तरह जान बचाकर भागने में कामयाब हुआ। उसने पुलिस को सूचना दी।

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