लखनऊ. राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने सपा मुखिया अखिलेश यादव और रालोद मुखिया जयंत चौधरी को लिखा को खत लिखा. डाॅ. मसूद ने अखिलेश और जयंत चौधरी पर टिकट बेचने का गंभीर आरोप लगाया है. उन्होंने कहा कि डिक्टेटर की तरह अखिलेश और जयंत चौधरी काम कर रहे हैं. आरोप लगाते हुए कहा कि टिकट बेचने के चक्कर में तमाम प्रत्याशियों के टिकट बदले गए. डाॅ. मसूद ने कहा कि अखिलेश यादव ने गठबंधन का अपमान किया है. वहीं, जयंत ने भी अपने कार्यकर्ताओं की एक बात नहीं सुनी.
राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद अहमद ने चौधरी जयंत सिंह को लिखे खत में कहा है कि उत्तर प्रदेश के चुनाव में सफलता के लिए पार्टी की तरफ से चौधरी जयंत सिंह को अधिकृत किया गया. उन्होंने सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं को आश्वस्त किया था कि राष्ट्रीय लोकदल को पश्चिम, पूर्व, मध्य और बुंदेलखंड में सम्मानजनक सीटें मिलेंगी.
उन्होंने कहा, '12 जनवरी को अखिलेश यादव से आपके कहने पर मैंने मुलाकात की थी. उनसे वार्ता हुई जिसमें अखिलेश यादव ने गठबंधन के सभी घटकों से सीटों की चर्चा करने से सीधे तौर पर इंकार कर दिया था. इसकी सूचना भी मैंने आपको दी थी. इस अपमान के चलते मेरे और पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने आपसे चुनाव में अकेले उतरने का आह्वान भी किया था लेकिन आखिरी निर्णय आपके ऊपर छोड़ दिया था. आपकी तरफ से कई दौर की वार्ता के बाद पार्टी को आश्वस्त किया गया कि हमें 36 सीटों पर चुनाव लड़ना है. इसमें पूर्व क्षेत्र की 3 सीटें, एक सीट लखीमपुर और एक-एक सीट बुंदेलखंड और प्रयागराज मंडल की भी होंगी. आपने यह भी आश्वस्त किया था, कि कुछ सीटें हम एक-दूसरे के सिंबल पर भी लड़ेंगे'.
इस क्रम में 10 समाजवादी नेता रालोद के निशान पर लगाए गए जबकि समाजवादी पार्टी ने रालोद के एक नेता को भी अपने सिंबल पर चुनाव नहीं लड़ाया. उन्होंने लिखा, 'पश्चिम के चुनाव के बाद जब पूर्व के चुनाव शुरू हुए तो पार्टी संगठन द्वारा वादे के मुताबिक पूर्व में सीटों की अपेक्षा की गई. इस पर पूर्व के प्रत्याशियों से सपा कार्यालय में पैसे जमा करने को कहा गया. सपा कार्यालय ने पूर्व के नेताओं से तीन से पांच करोड़ की मांग की. मैंने आपसे कई बार गुहार लगाई लेकिन आपने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की. रुधौली, पलिया, चुनार, हाटा आदि सीटों पर अच्छी तैयारी के बाद भी सपा मुखिया अखिलेश यादव ने टिकट नहीं दिए जबकि पूर्व में इसका आश्वासन आपने और सपा मुखिया अखिलेश ने दिया था'.
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डॉ. मसूद ने जयंत चौधरी को भेजे खत में लिखा, 'मैंने मेरठ में आपको और अखिलेश यादव को चेतावनी दी थी कि मुबारकपुर, रुदौली सीटों पर पैसे न दिए जाने पर टिकट काटे जा रहे हैं जिससे बहुत नुकसान हो रहा है. आप दोनों ने कोई कार्रवाई नहीं की. मैंने आप दोनों नेताओं को यह भी बताया था कि ओमप्रकाश राजभर ओछी भाषा का प्रयोग कर चुनाव के ध्रुवीकरण का कारण बन रहे हैं, लेकिन आप दोनों ने इसकी कोई सुध नहीं ली. शिवपाल यादव को मन भर कर अपमानित किया गया. इससे अखिलेश के घमंडी होने का संदेश गया जिससे बदलाव के इच्छुक उदारवादी मत हमसे छूट गए'.
आगे उन्होंने पत्र में लिखा, 'गठबंधन के घटकों को इतना अपमानित किया गया कि वह चुनाव में सीटें वापस करने की घोषणा करने लगे. कृष्णा पटेल और उनकी पार्टी को खुल कर अपमानित किया गया. इसका नतीजा यह हुआ कि पटेल मत गठबंधन से छिटक गया. मेरी तरफ से कई बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद चंद्रशेखर रावण को अपमानित किया गया. इससे नाराज होकर दलित वोट गठबंधन से छिटककर बीजेपी में चला गया. गठबंधन को बहुत नुकसान हुआ.
पत्र में मसूद आगे कहते हैं, 'आपने और अखिलेश ने सुप्रीमो कल्चर को अपनाते हुए संगठन को दरकिनार कर दिया. रालोद और सपा के नेताओं का उपयोग प्रचार में नहीं किया गया. पार्टी के समर्पित पासी और वर्मा नेताओं का उपयोग नहीं हुआ जिससे चुनाव में यह वोट भी हमसे दूर हो गए'.
धन संकलन के चक्कर में देखने पड़े यह दिन
उन्होंने लिखा कि धन संकलन के चक्कर में प्रत्याशियों का एलान समय रहते नहीं हुआ. बिना तैयारी के चुनाव लड़ा गया. सभी सीटों पर लगभग आखिरी दिन पर्चा भरा गया. पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष उत्पन्न हुआ. वह चुनाव के दिन सुस्त रहे. सभी कार्यकर्ता दिल्ली और लखनऊ में आप और अखिलेश जी के चरणों में पड़े रहे और चुनाव की कोई तैयारी नहीं हो पाई.
अखिलेश यादव ने जिसको जहां मर्जी आई, धन संकलन करते हुए टिकट दिए. इससे गठबंधन बिना बूथ अध्यक्षों के चुनाव लड़ने पर मजबूर हुआ. उदाहरण के तौर पर स्वामी प्रसाद मौर्य को बिना सूचना के फाजिलनगर भेजा गया और वह चुनाव हार गए. अखिलेश यादव और आपने डिक्टेटर की तरह काम किया जिससे गठबंधन को हार का मुंह देखना पड़ा. मेरा आपको यह सुझाव है कि जब तक अखिलेश बराबर का सम्मान नहीं देते तब तक गठबंधन स्थगित कर दिया जाए.
पत्र में उन्होंने लिखा, 'चुनाव शुरू होते ही बाहरी लोगों को टिकट दिया जाने लगा और पार्टी के पुराने कार्यकर्ताओं ने इस पर आपत्ति व्यक्त की. मैं भी यह जानकर हैरान था कि पार्टी के प्रत्याशियों से दिल्ली कार्यालय में बैठे लोग करोड़ों की मांग कर रहे हैं. संगठन के दबाव में यह सब मैंने आपको भी बताया लेकिन आपने कोई कार्रवाई नहीं की. आपने इसे बिल्कुल दरकिनार कर दिया'.
उन्होंने कहा कि दिन में दो बजे पार्टी में आए गजराज सिंह को उसी दिन चार बजे हापुड़ विधानसभा का टिकट दे दिया गया जिससे पारी पार्टी कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट गया. हापुड़ विधानसभा में आठ करोड़ लेकर टिकट बेचे जाने के बाद से पार्टी कार्यकर्ताओं में रोष उत्पन्न हो गया. इसकी सूचना भी मैंने आपको दी थी. प्रदेश अध्यक्ष होने के नाते हापुड़ यूनिट के कार्यकर्ताओं ने मुझसे यह सवाल किया कि दो घंटे में गजराज सिंह ने कौन सी सेवा कर दी जिससे उन्हें यह टिकट दिया गया. मेरे पास कोई उत्तर नहीं था'.
उन्होंने कहा, पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मांट और सिवालखास जैसी सीटों को छोड़ने से इंकार कर दिया. आपके द्वारा सभी को आश्वासन दिया गया कि मांट पर अपनी पार्टी ही लड़ेगी. इसी क्रम में मांट पर हमने उम्मीदवार भी उतारा लेकिन संजय लाठर ने आपसे मुलाकात की और तत्काल आपके द्वारा मांट पर दावेदारी वापस ले ली गई. हमारे जाट भाइयों में संदेश गया कि आप अखिलेश के आगे कमजोर पड़ रहे हैं और सरेंडर कर रहे हैं.
अपनी गृह सीट बेच बदिए जाने पर जाट मत तत्काल आधे हो गए. मैंने आपको लगातार यह बताया कि जाट कौम अत्यंत संवेदनशील है और उसमें यह संदेश जा रहा है कि अखिलेश आपको और पार्टी को अपमानित कर रहे हैं लेकिन धन संकलन के आगे पार्टी बेच दी गई और नतीजा यह हुआ कि जाट मत नाराज होकर दो तिहाई से अधिक भारतीय जनता पार्टी में चले गए.
प्रदेश अध्यक्ष डॉ. मसूद ने यह भी लिखा कि आपके माध्यम से मेरा अखिलेश यादव को भी सुझाव है कि अहंकार छोड़कर पार्टी के नेताओं और गठबंधन को सम्मान दें. इमरान मसूद जैसे नेताओं को अपमानित कर आप अपनी छवि मुसलमानों में धूमिल कर रहे हैं. मुसलमान और अन्य वर्ग कब तक मजबूरी में हमें वोट देगा? जनता के बीच रहना ही मुलायम सिंह की कुंजी रही है. सिर्फ चुनाव के वक्त निकलना भी जनता को नागवार गुजरता है. चौधरी जयंत सिंह जी मैं फिर से आप पर पार्टी के नेतृत्व करते रहने के लिए अपनी निष्ठा व्यक्त करता हूं.
खुले पत्र में आपके और अखिलेश के नाम लिख रहा हूं ताकि आप दोनों इसका आकलन कर गठबंधन के अनेक कार्यकर्ताओं के मन में उठते सवालों का उत्तर दे सकें. उन्होंने सवाल किया कि टिकट पैसे लेकर क्यों बेचे गए? महागठबंधन की सीटों का एलान समय रहते क्यों नहीं किया गया? टिकट भी आखिरी समय पर क्यों बांटे गए? रालोद, अपना दल, आजाद समाज पार्टी और महान दल को क्यों अपमानित किया गया? आप दोनों ने मुस्लिम और दलित मुद्दों पर चुप्पी क्यों साध ली? आप दोनों द्वारा मनमाने तरीके से टिकट क्यों बांटे गए? रालोद के निशान पर 10 समाजवादी नेता चुनाव लड़े पर समाजवादी निशान पर एक भी रालोद नेता नहीं उतारा गया? जबकि आपके द्वारा इसकी घोषणा भी की गई थी. जीता हुआ चुनाव टिकट बेचने और अखिलेश के घमंड में चूर होने और आपके सुस्त रवैये से हम हार गए. उन्होंने पत्र में साफ लिखा है अगर आप दोनों इन प्रश्नों का उत्तर 21 मार्च तक नहीं देते हैं तो इस पत्र को मेरा पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र मान लिया जाए.
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