लखनऊ: एलयू संयुक्त महाविद्यालय शिक्षक संघ के अध्यक्ष विधि विभाग डॉ. मनोज पांडे और महामंत्री डॉ. अंशु केडिया ने प्रदेश के उच्च शिक्षा संस्थानों में तैनात शिक्षकों के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों की जांच को लेकर उप मुख्यमंत्री दिनेश शर्मा को पत्र लिखा है. अपने पत्र में उन्होंने कहा है कि क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी कार्यालय, लखनऊ द्वारा जारी पत्र पत्रांक जिसके द्वारा कुलसचिव राम मनोहर लोहिया अवध विश्वविद्यालय, अयोध्या, कुलसचिव लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ एव प्राचार्य समस्त अशासकीय सहायता प्राप्त अनुदानित महाविद्यालय को इस आशय से पत्र निर्गत किया गया है, कि वे अपने शैक्षणिक संस्थानों में कार्यरत शिक्षकों के शैक्षणिक अभिलेखो की जांच संबंधित बोर्ड, विश्वविद्यालय द्वारा करा कर क्षेत्रीय कार्यालय को उपलब्ध कराने का कष्ट करें.
आपको अवगत कराना है कि शिक्षकों की नियुक्तियों के जांच के संबंध में शासन द्वारा शासनादेश जारी किया गया था, कोरोना के दृष्टिगत इसे स्थगित करने का लुआक्टा द्वारा आग्रह किया गया था. अपर मुख्य सचिव उच्च शिक्षा द्वारा लुआक्टा से वार्ता के समय यह भी अवगत कराया गया था कि विभाग द्वारा मुख्यमंत्री से यह तिथि 30-9-2020 किए जाने का आग्रह किया गया था. जिसे उन्होंने अस्वीकार कर दिया था. शासनादेश मे कही भी शैक्षणिक अभिलेखो की जांच संबंधित संस्थान द्वारा कराए जाने का कोई उल्लेख नहीं किया गया है. क्षेत्रीय उच्च शिक्षा अधिकारी द्वारा शासनादेश के निर्देशों का उल्लंघन किया जा रहा है. साथ ही साथ यह भी अवगत कराया है कि अभिलेखों के जांच हेतु शुल्क की अदायगी करनी पड़ती है. जिसके लिए महाविद्यालयों के पास किसी तरह का कोई कोष नहीं है. जिससे अभिलेखों के प्रेषण एवं जांच हेतु शुल्क जमा कर सके. डॉ. मनोज पांडे ने कहा कि संघ के संज्ञान में यह भी तथ्य आया है कि कतिपय महाविद्यालयों द्वारा शिक्षकों से शैक्षणिक अभिलेखों की जांच के नाम पर धन की उगाही की जा रही है. एवं धन न देने पर उनके विरुद्ध कार्रवाई की धमकी दी जाती है.
उन्होंने कहा कि संघ सरकार और क्षेत्रीय कार्यालय की इस कार्रवाई के विरुद्ध आंदोलन करने करेगा. सरकार द्वारा जांच के नाम पर शिक्षकों को कलेक्ट्रेट में लाइन लगाने के लिए बाध्य कर उत्पीड़ित किया गया. जिसे मुख्यमंत्री के संज्ञान में लाने के बाद उत्पीड़न बन्द हुआ है. पुनः 31 जुलाई 2020 की तिथि समाप्त हो जाने के बाद भी उत्पीड़ित किया जा रहा है. अंत में उन्होंने अपने पत्र में कहा है कि जब उच्च शिक्षा विभाग द्वारा मुख्यमंत्री के आदेशों की अवहेलना की गई है. जांच के लिए निर्धारित 31 जुलाई 2020 की तिथि तक जांच कार्य पूर्ण नहीं की गई है, तो अब जांच कार्य स्थगित कर दिया जाना चाहिए, तथा शासनादेश के विपरीत क्षेत्रीय कार्यालय के उक्त पत्र को तत्काल प्रभाव से निरस्त करने की बात कही है.