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100 साल बेमिसाल: डॉ. कुमार विश्वास ने अटल बिहारी वाजपेयी की यादों को युवाओं से जोड़ा

लखनऊ विश्वविद्यालय के 100 वें स्थापना दिवस के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में प्रसिद्ध कवि डॉ. कुमार विश्वास ने अपनी कविताओं से समां बांध दिया. इस मौके पर मंत्री नीलकंठ तिवारी व कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने दीप प्रज्ज्वलित कर कार्यक्रम की शुरुआत की.

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डॉ. कुमार विश्वास
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Published : Nov 24, 2020, 3:58 PM IST

लखनऊ विश्वविद्यालय में इतिहास के 100 वर्ष धूमधाम से मना रहा है. सोमवार को प्रख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास ने कविताओं के साथ पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की यादों से युवाओं को जोड़ा. जैसे ही डॉ. कुमार ने किसी के दिल की मायूसी जहां से होकर गुजरी है, हमारी सारी चालाकी वहीं पर खोकर गुजरी है. तुम्हारी और मेरी रात में बस फर्क इतना है, तुम्हारी सो कर गुजरी है हमारी रोकर गुजरी है, कविता सुनाया तो दर्शक झूम उठे.

डॉ. कुमार विश्वास की कविता पर झूम उठे लोग
कोई दीवाना कहता है कोई...

डॉ. कुमार ने गोमती का मचलता यह पानी भी है, हिंद के उस गदर की कहानी है. इसमें नागर की जुबानी भी है. इस कविता के सहारे लखनऊ को खुद से जोड़ा. इसके बाद जैसे ही कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है, गाया तो स्टूडेंट झूम उठे. फिर जवानी में कई गजलें अधूरी छूट जाती है, मैं या तुम समझ लें इशारा कर लिया मैंने, बेनकाब चेहरे हैं, दाग गहरे हैं, इस अधूरी जवानी का क्या फायदा, भरोसा बस तुम्हारा था तुम्हारा कर लिया मैंने, लहर है हौसला है रब है हिम्मत है दुआएं हैं, किनारा करने वालों से किनारा कर लिया मैंने सुनाकर समा बांध दिया.


75वें स्थापना दिवस पर भी पढ़ी थी कविता
डॉ. कुमार विश्वास ने बीते दिनों को याद कर बताया कि भाजपा के मंत्री बृजेश पाठक के पास पहले प्रिया स्कूटर हुआ करती थी, तब मैं लखनऊ आता था और हम दोनों स्कूटर से शहर घूमते थे. यहां एक होटल में रुकता था. इतना ही नहीं लगभग 25 वर्ष पहले जब विश्वविद्यालय के 75 वर्ष पूरे हुए थे, तब भी मैंने यहां आकर कविता पढ़ी थी.

कश्मीर पर सुनाई कविता
डॉ.कुमार ने कहा, "मेरी धरती मां के सिर पर पिछले 70 वर्षों से एक बोझ था, जो कश्मीर से 370 हटाने के बाद उतर गया. इस पर अपनी आवाज का जादू बिखेरते हुए सुनाया कि ऋषि कश्यप की तपस्या ने तपाया है तुझे, ऋषि अगस्त्य ने हमवार बनाया है तुझे, कभी लंदन में राबिया ने भी गाया है तुझे, बाबा बर्फानी ने दरबार बनाया है तुझे, तेरी झीलों की मोहब्बत में है पागल बादल, मां के माथे पे दमकते हुए पावन आंचल, तेरी सरगोशी पे कुर्बान तेरा पूरा वतन, मेरे कश्मीर मेरी जान, मेरे प्यारे चमन...

राजनेताओं पर कसा तंज
मुझे वह मार कर खुश है कि सारा राज उस पर है, यकीनन कल मेरा है आज बेशक उस पर है, उसे जिद थी झुकाओ सिर, तभी दस्तार बख्शूंगा, मैं अपना सिर बचा लाया, महल और ताज उस पर हैं. यह सुनाकर डॉ. कुमार ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर तंज कसा. इसी तरह पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी कविताओं के माध्यम से कटाक्ष किया.

सोशल डिस्टेंसिंग भूले स्टूडेंट
कुमार विश्वास का जादू इस कदर लखनऊ विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स पर असर करता रहा कि सोशल डिस्टेंसिंग को भी भूल गए. कार्यक्रम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया और सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने मास्क भी नहीं लगाया था. कुमार विश्वास को अपने कैमरे में कैद करने की लोगों में इतनी होड़-सी मची थी कि वे लोग कुर्सी, मेज और रेलिंग पर खड़े होकर कार्यक्रम देख रहे थे. कार्यक्रम के अंत में मेज, कुर्सियां गिरा दिए.

लखनऊ विश्वविद्यालय में इतिहास के 100 वर्ष धूमधाम से मना रहा है. सोमवार को प्रख्यात कवि डॉ. कुमार विश्वास ने कविताओं के साथ पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी की यादों से युवाओं को जोड़ा. जैसे ही डॉ. कुमार ने किसी के दिल की मायूसी जहां से होकर गुजरी है, हमारी सारी चालाकी वहीं पर खोकर गुजरी है. तुम्हारी और मेरी रात में बस फर्क इतना है, तुम्हारी सो कर गुजरी है हमारी रोकर गुजरी है, कविता सुनाया तो दर्शक झूम उठे.

डॉ. कुमार विश्वास की कविता पर झूम उठे लोग
कोई दीवाना कहता है कोई...

डॉ. कुमार ने गोमती का मचलता यह पानी भी है, हिंद के उस गदर की कहानी है. इसमें नागर की जुबानी भी है. इस कविता के सहारे लखनऊ को खुद से जोड़ा. इसके बाद जैसे ही कोई दीवाना कहता है कोई पागल समझता है, मगर धरती की बेचैनी को बस बादल समझता है, गाया तो स्टूडेंट झूम उठे. फिर जवानी में कई गजलें अधूरी छूट जाती है, मैं या तुम समझ लें इशारा कर लिया मैंने, बेनकाब चेहरे हैं, दाग गहरे हैं, इस अधूरी जवानी का क्या फायदा, भरोसा बस तुम्हारा था तुम्हारा कर लिया मैंने, लहर है हौसला है रब है हिम्मत है दुआएं हैं, किनारा करने वालों से किनारा कर लिया मैंने सुनाकर समा बांध दिया.


75वें स्थापना दिवस पर भी पढ़ी थी कविता
डॉ. कुमार विश्वास ने बीते दिनों को याद कर बताया कि भाजपा के मंत्री बृजेश पाठक के पास पहले प्रिया स्कूटर हुआ करती थी, तब मैं लखनऊ आता था और हम दोनों स्कूटर से शहर घूमते थे. यहां एक होटल में रुकता था. इतना ही नहीं लगभग 25 वर्ष पहले जब विश्वविद्यालय के 75 वर्ष पूरे हुए थे, तब भी मैंने यहां आकर कविता पढ़ी थी.

कश्मीर पर सुनाई कविता
डॉ.कुमार ने कहा, "मेरी धरती मां के सिर पर पिछले 70 वर्षों से एक बोझ था, जो कश्मीर से 370 हटाने के बाद उतर गया. इस पर अपनी आवाज का जादू बिखेरते हुए सुनाया कि ऋषि कश्यप की तपस्या ने तपाया है तुझे, ऋषि अगस्त्य ने हमवार बनाया है तुझे, कभी लंदन में राबिया ने भी गाया है तुझे, बाबा बर्फानी ने दरबार बनाया है तुझे, तेरी झीलों की मोहब्बत में है पागल बादल, मां के माथे पे दमकते हुए पावन आंचल, तेरी सरगोशी पे कुर्बान तेरा पूरा वतन, मेरे कश्मीर मेरी जान, मेरे प्यारे चमन...

राजनेताओं पर कसा तंज
मुझे वह मार कर खुश है कि सारा राज उस पर है, यकीनन कल मेरा है आज बेशक उस पर है, उसे जिद थी झुकाओ सिर, तभी दस्तार बख्शूंगा, मैं अपना सिर बचा लाया, महल और ताज उस पर हैं. यह सुनाकर डॉ. कुमार ने दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल पर तंज कसा. इसी तरह पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ और कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर भी कविताओं के माध्यम से कटाक्ष किया.

सोशल डिस्टेंसिंग भूले स्टूडेंट
कुमार विश्वास का जादू इस कदर लखनऊ विश्वविद्यालय के स्टूडेंट्स पर असर करता रहा कि सोशल डिस्टेंसिंग को भी भूल गए. कार्यक्रम के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया गया और सैकड़ों की संख्या में छात्र-छात्राओं ने मास्क भी नहीं लगाया था. कुमार विश्वास को अपने कैमरे में कैद करने की लोगों में इतनी होड़-सी मची थी कि वे लोग कुर्सी, मेज और रेलिंग पर खड़े होकर कार्यक्रम देख रहे थे. कार्यक्रम के अंत में मेज, कुर्सियां गिरा दिए.

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