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गुरु गोरखनाथ ने दिखाया सात्विक मार्ग से साधना का मार्ग- अनुज प्रताप सिंह - गुरु गोरक्षनाथ सम्मान

उत्तर प्रदेश के सोनभद्र के रहने वाले डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गुरु गोरक्षनाथ सम्मान से सम्मानित किया है. डॉ. सिंह को यह सम्मान नाथ पंथ साहित्य पर विशेष तौर पर कार्य करने के लिए दिया गया है.

डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह.
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Published : Aug 5, 2019, 7:09 AM IST

लखनऊ: हिंदुस्तानी एकेडेमी के शिखर पुरस्कार गुरु गोरक्षनाथ सम्मान हासिल करने वाले सोनभद्र के डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह कि 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. उन्हें डॉ. पीतांबर दत्त बड़थ्वाल के बाद नाथ पंथ साहित्य पर विशेष तौर पर कार्य करने वाले साहित्यकार के तौर पर साहित्य में पहचान मिली है. ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ ने धनक जनमानस को सात्विक साधना का मार्ग दिखाया और भ्रष्टाचार मुक्त समाज का प्रारूप सबके सामने रखा.

ईटीवी से बोले डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह .

ईटीवी से बोले डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गुरु गोरक्षनाथ सम्मान से डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह को नवाजा है.
  • सिंह ने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ नाथ सिद्ध समय इतिहास की दृष्टि से आदि शंकराचार्य से रामानुजाचार्य के मध्य उनका काल स्थापित है.
  • संप्रदाय की दृष्टि से वह आज से अंत तक अमर सिद्धि उनकी रचनाएं देश के अनेक भाषाओं में हैं.
  • बांग्ला गुजराती राजस्थानी में उनकी रचनाएं पाई गई हैं और तमिल असमी आदि अन्य भाषाओं में उनकी रचनाओं पर अभी काम होना बाकी है.
  • गोरक्षनाथ तंत्र साधना में व्याप्त कुरीतियों को दूर किया.
  • स्त्रियों को लेकर कुत्सित भावनाएं थीं, ऐसे में गुरु गोरक्षनाथ में नारी जगत को मां मानकर अहिंसा का मार्ग दिखाया.
  • मूल तत्वों के आधार पर गुरु गोरक्षनाथ ने लंबे समय तक भारतीय समाज का नेतृत्व किया.
  • डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह की अब तक 10 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं.

ये भी पढ़ें- जन्मदिन विशेष: किशोर कुमार का वह ख्वाब...जो बन गया फसाना

ये हैं वो दस पुस्तकें
सिद्ध सामंत काल ,गोरक्षनाथ और नाथ सिद्ध ,काया साधना, नाथ सिद्धों का तात्विक विवेचन, मत्स्येंद्रनाथ नाथ, सिद्ध चिंतामणि, गोरक्ष कालीन भारत ,नाथ साधना ,नाथ चिंतन ,नाथ तीर्थ, गोरखपुर का संबंध नाथ साहित्य से ही है.


डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह ने कहा कि अभी नाथ साहित्य की दिशा में बहुत सारा काम किया जाना बाकी है. उन्होंने बताया कि सिद्ध सामंत काल की ऐसी पुस्तक है, जिससे सबसे ज्यादा बिक्री हुई है. अब तक तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं.

लखनऊ: हिंदुस्तानी एकेडेमी के शिखर पुरस्कार गुरु गोरक्षनाथ सम्मान हासिल करने वाले सोनभद्र के डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह कि 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. उन्हें डॉ. पीतांबर दत्त बड़थ्वाल के बाद नाथ पंथ साहित्य पर विशेष तौर पर कार्य करने वाले साहित्यकार के तौर पर साहित्य में पहचान मिली है. ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ ने धनक जनमानस को सात्विक साधना का मार्ग दिखाया और भ्रष्टाचार मुक्त समाज का प्रारूप सबके सामने रखा.

ईटीवी से बोले डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह .

ईटीवी से बोले डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह

  • मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को गुरु गोरक्षनाथ सम्मान से डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह को नवाजा है.
  • सिंह ने कहा कि गुरु गोरक्षनाथ नाथ सिद्ध समय इतिहास की दृष्टि से आदि शंकराचार्य से रामानुजाचार्य के मध्य उनका काल स्थापित है.
  • संप्रदाय की दृष्टि से वह आज से अंत तक अमर सिद्धि उनकी रचनाएं देश के अनेक भाषाओं में हैं.
  • बांग्ला गुजराती राजस्थानी में उनकी रचनाएं पाई गई हैं और तमिल असमी आदि अन्य भाषाओं में उनकी रचनाओं पर अभी काम होना बाकी है.
  • गोरक्षनाथ तंत्र साधना में व्याप्त कुरीतियों को दूर किया.
  • स्त्रियों को लेकर कुत्सित भावनाएं थीं, ऐसे में गुरु गोरक्षनाथ में नारी जगत को मां मानकर अहिंसा का मार्ग दिखाया.
  • मूल तत्वों के आधार पर गुरु गोरक्षनाथ ने लंबे समय तक भारतीय समाज का नेतृत्व किया.
  • डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह की अब तक 10 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं.

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ये हैं वो दस पुस्तकें
सिद्ध सामंत काल ,गोरक्षनाथ और नाथ सिद्ध ,काया साधना, नाथ सिद्धों का तात्विक विवेचन, मत्स्येंद्रनाथ नाथ, सिद्ध चिंतामणि, गोरक्ष कालीन भारत ,नाथ साधना ,नाथ चिंतन ,नाथ तीर्थ, गोरखपुर का संबंध नाथ साहित्य से ही है.


डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह ने कहा कि अभी नाथ साहित्य की दिशा में बहुत सारा काम किया जाना बाकी है. उन्होंने बताया कि सिद्ध सामंत काल की ऐसी पुस्तक है, जिससे सबसे ज्यादा बिक्री हुई है. अब तक तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं.

Intro:लखनऊ. हिंदुस्तानी एकेडेमी के शिखर पुरस्कार गुरु गोरक्षनाथ सम्मान हासिल करने वाले सोनभद्र के डॉक्टर अनुज प्रताप सिंह कि 10 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। उन्हें डॉ पीतांबर दत्त बड़थ्वाल के बाद नाथ पंथ साहित्य पर विशेष तौर पर कार्य करने वाले साहित्यकार के तौर पर साहित्य में पहचान मिली है ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि गुरु गोरखनाथ ने धनक जनमानस को सात्विक साधना का मार्ग दिखाया और भ्रष्टाचार मुक्त समाज का प्रारूप सबके सामने रखा।


Body:रविवार को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुरु गोरक्षनाथ सम्मान हासिल करने के बाद ईटीवी भारत के साथ बातचीत में कहा कि गुरु गोरक्षनाथ नाथ सिद्ध समय इतिहास की दृष्टि से आदि शंकराचार्य से रामानुजाचार्य के मध्य उनका काल स्थापित है लेकिन संप्रदाय की दृष्टि से वह आज से अंत तक अमर आया सिद्धि उनकी रचनाएं देश के अनेक भाषाओं में हैं बांग्ला गुजराती राजस्थानी में उनकी रचनाएं पाई गई हैं और तमिल असमी आन आदि अन्य भाषाओं में उनकी रचनाओं पर अभी काम होना बाकी है गोरक्षनाथ तंत्र साधना में व्याप्त कुरीतियों को दूर किया पंच मकार साधना और तंत्राचार में सिद्ध उन दिनों तमाम ऐसी बातों को शामिल कर चुके थे जो लोग के हित में नहीं थी अबे का सेवन कर रहे थे स्त्रियों को लेकर कुत्सित भावनाएं थी ऐसे में गुरु गोरक्षनाथ में नारी जगत को मां मानकर अहिंसा का मार्ग दिखाया और अलख निरंजन में चित्त लगाने के लिए कहा । काया साधने या अमरत्व की बात की ।द्वैत अद्वैत से से परे द्वेताद्वेत के लक्षण वाद की बात की । इन मूल तत्वों के आधार पर गुरु गोरक्षनाथ ने कि लंबे समय तक भारतीय समाज का नेतृत्व किया। उन्होंने बताया कि उनकी अब तक 10 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं जिनमें सिद्ध सामंत काल ,गोरक्षनाथ और नाथ सिद्ध ,काया साधना, नाथ सिद्धों का तात्विक विवेचन, मत्स्येंद्रनाथ नाथ, सिद्ध चिंतामणि, गोरक्ष कालीन भारत ,नाथ साधना ,नाथ चिंतन ,नाथ तीर्थ, गोरखपुर का संबंध नाथ साहित्य से ही है । उन्होंने कहा कि अभी नाथ साहित्य की दिशा में बहुत सारा काम किया जाना बाकी है। उन्होंने बताया कि सिद्ध सामंत काल की ऐसी पुस्तक है जिससे सबसे ज्यादा बिक्री हुई है अब तक तीन संस्करण प्रकाशित हो चुके हैं।

वन ओ वन /डॉ अनुज प्रताप सिंह गुरु गोरक्षनाथ सम्मान से सम्मानित साहित्यकार


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