ETV Bharat / state

लोहिया संस्थान में 100 वां किडनी ट्रांसप्लांट कर डॉक्टरों ने रचा इतिहास - लखनऊ की ख़बर

लोहिया संस्थान में गुरुवार को 100वां किडनी ट्रांसप्लांट किया गया. गुरुवार को एक युवक को जीवनदान देकर डॉक्टरों ने ये उपलब्धि हासिल की.

लोहिया संस्थान में 100 वां किडनी ट्रांसप्लांट
लोहिया संस्थान में 100 वां किडनी ट्रांसप्लांट
author img

By

Published : Sep 10, 2021, 6:49 PM IST

लखनऊः लोहिया संस्थान में गुरुवार को एक युवक को जीवनदान देकर डॉक्टरों ने 100वां किडनी ट्रांसप्लांट किया. जो एक बड़ी उपलब्धि है. युवक अभी आईसीयू में है. उसकी हालत में सुधार हो रहा है.

लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में अब एक हजार से अधिक बेड हैं. यहां की नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी विभाग की टीम ने साल 2016 से गुर्दा प्रत्यारोपण शुरू किया. पहले पीजीआई के विशेषज्ञों की मदद से महीने में एक मरीज का गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया. इसके बाद संस्थान के डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण शुरू किया. यहां साल 2019 तक 50 मरीज के गुर्दा प्रत्यारोपण हो चुके हैं. वहीं साल 2020-21 में कोरोना काल में कई दिनों तक ट्रांसप्लांट ब्रेक रहा. गुरुवार को राजधानी निवासी 29 साल के युवक का गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया. युवक की मां ने बेटे की जान बचाने के लिए किडनी दान की.

इसे भी पढ़ें- अब गुर्दा के मरीजों को नहीं करना पड़ेगा राजधानी का रूख, प्रदेश के 27 और जिलों में लगेंगी डायलिसिस यूनिटें

नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर अभिलाष चन्द्रा के मुताबिक 100 ट्रांसप्लांट हो चुके हैं. प्रत्यारोपण करा चुके 80 फीसदी मरीज अभी भी फॉलोअप पर आ रहे हैं. जो की ठीक है. प्रत्यारोपण के बाद समय-समय पर डॉक्टर को दिखाना जरूरी है. इस दौरान इम्यूनो सप्रेशन दवाएं दी जाती हैं. ऐसे वक्त में संक्रमण का खतरा रहता है. लिहाजा, रोगियों के बाद भी गुर्दे की बायोप्सी की जरूरत पड़ती है. 80 फीसदी मरीजों को ब्लड प्रेशर संबंधी दिक्कत बनी रहती है. इसलिए भी प्रत्यारोपण के बाद डॉक्टरों की निगरानी में रहना चाहिए. ताकि किसी भी तरह का संक्रमण गुर्दे में न हो, और अगर हो तो डॉक्टरों के कंट्रोल में आ जाए.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा में दलित निभाते हैं जीत में निर्णायक भूमिका, जल निकासी है बड़ी समस्या

लखनऊः लोहिया संस्थान में गुरुवार को एक युवक को जीवनदान देकर डॉक्टरों ने 100वां किडनी ट्रांसप्लांट किया. जो एक बड़ी उपलब्धि है. युवक अभी आईसीयू में है. उसकी हालत में सुधार हो रहा है.

लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में अब एक हजार से अधिक बेड हैं. यहां की नेफ्रोलॉजी, यूरोलॉजी विभाग की टीम ने साल 2016 से गुर्दा प्रत्यारोपण शुरू किया. पहले पीजीआई के विशेषज्ञों की मदद से महीने में एक मरीज का गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया. इसके बाद संस्थान के डॉक्टरों ने प्रत्यारोपण शुरू किया. यहां साल 2019 तक 50 मरीज के गुर्दा प्रत्यारोपण हो चुके हैं. वहीं साल 2020-21 में कोरोना काल में कई दिनों तक ट्रांसप्लांट ब्रेक रहा. गुरुवार को राजधानी निवासी 29 साल के युवक का गुर्दा प्रत्यारोपण किया गया. युवक की मां ने बेटे की जान बचाने के लिए किडनी दान की.

इसे भी पढ़ें- अब गुर्दा के मरीजों को नहीं करना पड़ेगा राजधानी का रूख, प्रदेश के 27 और जिलों में लगेंगी डायलिसिस यूनिटें

नेफ्रोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉक्टर अभिलाष चन्द्रा के मुताबिक 100 ट्रांसप्लांट हो चुके हैं. प्रत्यारोपण करा चुके 80 फीसदी मरीज अभी भी फॉलोअप पर आ रहे हैं. जो की ठीक है. प्रत्यारोपण के बाद समय-समय पर डॉक्टर को दिखाना जरूरी है. इस दौरान इम्यूनो सप्रेशन दवाएं दी जाती हैं. ऐसे वक्त में संक्रमण का खतरा रहता है. लिहाजा, रोगियों के बाद भी गुर्दे की बायोप्सी की जरूरत पड़ती है. 80 फीसदी मरीजों को ब्लड प्रेशर संबंधी दिक्कत बनी रहती है. इसलिए भी प्रत्यारोपण के बाद डॉक्टरों की निगरानी में रहना चाहिए. ताकि किसी भी तरह का संक्रमण गुर्दे में न हो, और अगर हो तो डॉक्टरों के कंट्रोल में आ जाए.

इसे भी पढ़ें- गोरखपुर ग्रामीण विधानसभा में दलित निभाते हैं जीत में निर्णायक भूमिका, जल निकासी है बड़ी समस्या

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.