लखनऊ: होली का त्योहार रंग, उल्लास और लोगों से मिलने-जुलने का एक बेहतरीन मौका होता है. इस मौके पर त्योहार की बधाई के साथ गिले-शिकवे भुलाने की भी अपील की जाती है. इसी के साथ ही रंगों के त्योहार में 'बुरा न मानो, होली है' के नाम पर मस्ती में पक्के रंगों और केमिकल युक्त गुलाल के साथ जब होली खेली जाती है तो उसका शरीर पर काफी बुरा प्रभाव पड़ता है.
होली पर डॉक्टरों ने दी ये सलाह. पक्के रंग से न खेलें होली होली के दौरान रंगों से खेलने की बात पर सबसे पहले इस बात की सलाह देते हैं कि पक्के रंग से होली न खेली जाए. इसके प्रभाव शरीर पर काफी दिनों तक देखे जा सकते हैं. किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के प्लास्टिक सर्जरी विभाग के विभागाध्यक्ष और प्रोफेसर डॉ. एके सिंह कहते हैं कि रंगों से होली खेलना शरीर पर कई तरह से नकारात्मक प्रभाव छोड़ सकता है और कई हिस्सों में शरीर के सेंसिटिव अंगों में केमिकल युक्त रंगों का असर देखने को मिल सकता है. शरीर में यह केमिकल स्किन एलर्जी के रूप में डर्मेटाइटिस या किसी अन्य एलर्जी को दावत दे सकते हैं.
रंगों से इन्फेक्शन होने का डरलोकबंधु अस्पताल और सिविल अस्पताल के निदेशक डीएस नेगी कहते हैं कि केमिकल युक्त रंग जब आंख में पड़ जाए, तो कंजेक्टिवाइटिस होने की आशंका रहती है और साथ ही यदि किसी तरह से रंग मुंह के द्वारा शरीर के अंदर चला जाए, तो कई अन्य इन्फेक्शन होने की भी आशंका बनी रहती है.
इसे भी पढ़ें-योगी सरकार के 3 साल पूरे होने पर उपलब्धियों का बखान करेंगे भाजपाई, गांव-गांव लगाएंगे चौपालयदि पहले से तैयारियों की बात की जा रही है तो आंखों का विशेष ख्याल रखना चाहिए. चश्मा हमेशा लगाए रहना चाहिए और शरीर पर पहले से ही तेल लगा लेना चाहिए, ताकि यदि पक्के रंग से होली खेलनी पड़े तो वह शरीर से जल्दी निकल सके.
-प्रोफेसर डॉ. नरसिंह वर्मा, केजीएमयू, फिजियोलॉजी डिपार्टमेंट