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बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टर ने पेश की मिसाल, मजदूर को दिया नया जीवन

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Published : Aug 8, 2019, 10:33 AM IST

लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टर ने ऑपरेशन कर बेजान हाथ-पैरों में जान फूंकने में कामयाबी हासिल की. काम के दौरान तीसरी मंजिल से गिरकर मरीज की गर्दन की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था. अब मरीज सभी तरीके का सेंस महसूस कर पा रहा है.

बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टर ने मजदूर को दिया नया जीवन

लखनऊः अस्पतालों में मरीजों के इलाज में लापरवाही के मामले अक्सर सामने आते हैं, लेकिन यह मामला इसके उलट है. बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर मजदूर को नया जीवन दिया. डॉक्टरों के सफल ऑपरेशन के बाद अब मरीज आसानी से चल फिर सकेगा.

बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टर ने मजदूर को दिया नया जीवन.

मरीज को मिला नया जीवन

  • कशीद बरेली से लखनऊ में आकर मजदूरी करके अपना जीवन यापन कर रहा था.
  • इस दौरान एक निजी अस्पताल में निर्माण कार्य के दौरान तीसरी मंजिल से गिर गया था और उसकी गर्दन में चोट लग गई थी.
  • आनन-फानन में कसीद को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया और एक दिन बाद उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया.
  • बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ राजीव लोचन और सीएमएस डॉ ऋषि सक्सेना ने इस मरीज को इमरजेंसी में भर्ती कराया.
  • बताया जा रहा था कि उस समय मजदूर के हाथ पैरों में जान नहीं थी.
  • ऑपरेशन के बारे में डॉक्टर ने बताया कि फ्रैक्चर होने के बाद गर्दन के सामने के हिस्से में करीब 5 सेंटीमीटर का चीरा लगाकर टूटी हुई हड्डी के टुकड़े को बाहर निकाला गया.
  • फिर टाइटेनियम के प्लेट और जाली प्रत्यारोपित की गई.
  • डॉ राजीव लोचन ने बताया की कुछ समय बाद हड्डी आकार लेगी और उसको आपस में जोड़ने में मदद मिलेगी.

डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर मजदूर को नया जीवन दिया. सफल ऑपरेशन के बाद अब मरीज आसानी से चल फिर सकेगा.
-डॉ राजीव लोचन, निदेशक, बलरामपुर अस्पताल

लखनऊः अस्पतालों में मरीजों के इलाज में लापरवाही के मामले अक्सर सामने आते हैं, लेकिन यह मामला इसके उलट है. बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर मजदूर को नया जीवन दिया. डॉक्टरों के सफल ऑपरेशन के बाद अब मरीज आसानी से चल फिर सकेगा.

बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टर ने मजदूर को दिया नया जीवन.

मरीज को मिला नया जीवन

  • कशीद बरेली से लखनऊ में आकर मजदूरी करके अपना जीवन यापन कर रहा था.
  • इस दौरान एक निजी अस्पताल में निर्माण कार्य के दौरान तीसरी मंजिल से गिर गया था और उसकी गर्दन में चोट लग गई थी.
  • आनन-फानन में कसीद को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया और एक दिन बाद उसे ट्रॉमा सेंटर रेफर कर दिया गया.
  • बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ राजीव लोचन और सीएमएस डॉ ऋषि सक्सेना ने इस मरीज को इमरजेंसी में भर्ती कराया.
  • बताया जा रहा था कि उस समय मजदूर के हाथ पैरों में जान नहीं थी.
  • ऑपरेशन के बारे में डॉक्टर ने बताया कि फ्रैक्चर होने के बाद गर्दन के सामने के हिस्से में करीब 5 सेंटीमीटर का चीरा लगाकर टूटी हुई हड्डी के टुकड़े को बाहर निकाला गया.
  • फिर टाइटेनियम के प्लेट और जाली प्रत्यारोपित की गई.
  • डॉ राजीव लोचन ने बताया की कुछ समय बाद हड्डी आकार लेगी और उसको आपस में जोड़ने में मदद मिलेगी.

डॉक्टरों ने जटिल ऑपरेशन कर मजदूर को नया जीवन दिया. सफल ऑपरेशन के बाद अब मरीज आसानी से चल फिर सकेगा.
-डॉ राजीव लोचन, निदेशक, बलरामपुर अस्पताल

Intro:लखनऊ के बलरामपुर अस्पताल के डॉक्टर ने ऑपरेशन कर बेजान हाथ पैरों में जान फूंकने में कामयाबी हासिल की। काम के दौरान तीसरी मंजिल से गिरकर गर्दन की हड्डी में फ्रैक्चर हो गया था। डॉक्टर ने जटिल ऑपरेशन कर गर्दन की टूटी हड्डी जोड़ दी इसके बाद अब मरीज सभी तरीके के सेंस महसूस कर पा रहा है।




Body:दरअसल बीते दिनों अस्पताल में मजदूर वहां पर कार्य कर रहा था। यह बरेली से लखनऊ में आकर के मजदूरी करके अपना जीवन यापन कर रहा था। इस दौरान एक निजी अस्पताल में निर्माण कार्य के दौरान कशीद तीसरी मंजिल से गिर गया था उसकी गर्दन में चोट लग गई थी। आनन-फानन में कसीद को निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। 1 दिन बाद उसे ट्रॉमा रेफर कर दिया गया। परिवारजनों उसे लेकर ट्रामा सेंटर पहुंचे। मरीज को भर्ती कर डॉक्टरों ने जांच कराई जांच में गर्दन की हड्डी में बताया गया कि 12 घंटे बाद मरीज को बलरामपुर अस्पताल भेजा गया। जहां पर अस्पताल के निदेशक डॉ राजीव लोचन व सीएमएस डॉ ऋषि सक्सेना ने इस मरीज को इमरजेंसी में भर्ती कराया बताया जा रहा था कि उस समय इस मजदूर के हाथ पैरों में जान नहीं थी। ऐसे में ईएनटी विशेषज्ञ की भी सहायता ली गयी। ऑपरेशन के बारे में डॉक्टर ने बताया कि फ्रैक्चर होने के बाद गर्दन के सामने के हिस्से में करीब 5 सेंटीमीटर का चीरा लगाया गया। चोट लगने से टूटी हुई हड्डी के टुकड़े को बाहर निकाला गया। फिर टाइटेनियम के प्लेट और जाली प्रत्यारोपित की गई टूटी हड्डी के टुकड़े को मशीन से महीन पीस लिया गया। उसके बाद प्लेट और जाली प्रत्यारोपित कर दिया गया। डॉ राजीव लोचन ने बताया की कुछ समय बाद हड्डी आकार लेगी और उस को आपस में जोड़ने में मदद मिलेगी। यह पूरी प्रक्रिया करीब डॉक्टरों ने बताया कि 6 घंटे के भीतर हड्डी के फ्रैक्चर का ऑपरेशन हो जाना चाहिए। वसीद के मामले में ऑपरेशन में 4 दिन से ज्यादा का वक़्त लग गया था। लेकिन फिर भी डॉक्टरों ने मरीज को गंभीरता से लेते हुए इसका इलाज किया जिसका परिणाम है कि अब मरीज स्वस्थ है और उसके हाथ पैरों में जान है।

बाइट- डॉ राजीव लोचन, निदेशक,बलरामपुर अस्पताल




Conclusion:एन्ड
शुभम पाण्डेय
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