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स्टीकर लगे फलों को बिल्कुल न खाएं, हो सकती है ये बीमारियां

ग्राहकों को लुभाने वाले स्टीकर लगे फलों की बाजारों में खूब बिक्री हो रही है. बाजार में बिकने वाले अधिकांश फलों पर स्टीकर लगे दिखाई दे रहे हैं. जिनसे ग्राहक इन फलों को उच्च गुणवत्ता का समझकर मनमाने रकम चुका रहे हैं. जबकि वास्तविकता यह है कि स्टीकर न तो किसी कंपनी का मार्क है न ही सरकार की किसी संस्था द्वारा प्रमाणित है. यह सिर्फ ग्राहकों को ऊंचे दामों पर फल बेचने का तरीका है. इन स्टीकरों को फलों पर चिपकाने से फलों के दाम बढ़ दिए जाते हैं और दुकानदार का कम क्वालिटी वाला माल ऊंचे दामों में बिक जाता है.

स्पेशल रिपोर्ट.
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Published : Mar 19, 2021, 2:32 PM IST

लखनऊ: बाजार में बिकने वाले फलों को सेहत के लिए फायदेमंद समझकर लोग खरीदते हैं. वहीं, ज्यादातर महंगे फलों पर गुड क्वालिटी के स्टीकर भी लगे होते हैं. जिन्हें ग्राहक अच्छा मानते हैं, लेकिन ऐसे फलों को खाने के कुछ दुष्परिणाम भी है. दरअसल, फलों पर स्टीकर को चिपकाने वाली गोंद में रसायन होता है. जिससे कई बीमारियों के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. हाल ही में फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड ऑफ अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानि एफएसएसएआई (FSSAI) ने इसका खुलासा किया हैं. यही नहीं एफएसएसएआई (FSSAI) ने इसको लेकर एडवाइजरी भी जारी की है.

स्पेशल रिपोर्ट.

फल आपकी सेहत को पहुंचा सकते हैं नुकसान
स्टीकर पर ब्रांड नाम, टेस्टेड ओके, बेस्ट क्वालिटी या प्रॉडक्ट के नाम लिखकर ग्राहकों को इनके प्रीमियम होने के भ्रम में रखा जाता हैं. जबकि इसका फलों की टेस्टिंग या क्वालिटी से कोई लेना-देना नहीं होता हैं. वहीं स्टीकर लगाकर फल बेचना भी फूड स्टैंडर्स के मानकों के विपरीत हैं.

स्टीकर वाले फल खाने से हो जाएं सावधान
राजधानी में ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में स्टीकर वाले फल बेचने पर मनाही है, लेकिन इसके बावजूद भी बाजारों में खुलेआम ऐसे फलों की बिक्री जारी है. लोग फलों को अपनी सेहत के लिए फायदेमंद जान कर खाते हैं, लेकिन ऐसे फल जिन पर गुड क्वालिटी वाली स्टिकर लगे होते हैं. यह फायदा नहीं बल्कि सेहत के लिए बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं. स्टीकर की गोद में लगा हुआ घातक रसायन पेट की अल्सर और कैंसर जैसी घातक बीमारियां पैदा करने की क्षमता रखता है.

फूड सेफ्टी स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की एडवाइजरी
स्टीकर लगे फलों की ब‍िक्री पर फूड सेफ्टी स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एडवाइजरी जारी करते हुए बताया क‍ि फलों को चमकाने के लिए की जाने वाली मोम की कोटिंग और स्टीकर लगे फल बेचने पर मनाही है. खासकर ऐसे फल जिनको छिलके के साथ खाया जाता है उनको पॉलिश करके या स्टीकर लगाकर नहीं बेचा जा सकता. कुछ फलों पर मोम की पॉलिश रहती है, जिसको करने का मकसद फल को चमकाना होता है.
FSSAI ने पॉलिश किये हुए और स्टीकर लगे फलों की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए हुए हैं. राजधानी में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. शैलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया स्टीकर लगे फलों की बिक्री पर रोक है और समय-समय पर ऐसे दुकानदारों के खिलाफ अभियान भी चलाया जाता है और लोगों के बीच में जागरूकता फैलाई जाती है कि ऐसे फलों को न खाएं.

क्यों हानिकारक होते हैं स्टीकर वाले फल
बाजार में इन दिनों स्टीकर लगे हुए संतरे, कीवी और सेव जैसे फल दुकानों पर धड़ल्ले से बिक रहे हैं. वहीं यह फल स्टीकर की वजह से ज्यादा सेहत को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं. इन फलों के गोंद में कैंसर वाले रसायन पाए जाते हैं. यह खतरनाक कैमिकल होता है, जो कि फलों के भीतर पहुंच जाता है. वही गोंद कुछ समय के बाद घातक होने पर लोगों के लिए खतरनाक हो जाता है. इसकी पहले जांच हुई है.

ब्रांड और क्वालिटी वाले स्टीकर भ्रमित है उपभोक्ता
बाजार में जिन फलों पर जो स्टीकर चिपके होते हैं, उन पर व्यापारी के ब्रांड का नाम, ओके टेस्टेड, बेस्ट क्वालिटी या फल का नाम लिखा हुआ होता है. फल विक्रेता फलों में स्टीकरों का इस्तेमाल उत्पाद को प्रीमियम दर्जें का दिखाने के लिए करते है. ऐसा पिछले कई सालों से चल रहा है. स्टीकर लगे सीप खरीद रही महिला उपभोक्ता सीमा जलोटा बताती हैं कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. वह अच्छी क्वालिटी के चक्कर में ऐसे फलों को खरीदते हैं.

स्टीकर लगे फलों की कितनी है आवक
राजधानी के सीतापुर रोड स्थित नवीन फल मंडी में सेब के थोक व्यापारी सतीश गुलाटी बताते हैं कि प्रतिदिन मंडी से 40 टन सेब लखनऊ समेत आसपास के जिलों में भेजा जाता है. वहीं इन सेब के फलों में बड़ी कंपनियां और दिल्ली के आढत वाले ने अपने ब्रांड के स्टीकर लगाए हुए होते हैं. यह स्टिकर इन ब्रांड की पहचान के साथ-साथ क्वालिटी को बताते हैं जो नुकसान दायक नहीं होते हैं.

ऐसे फलों का उतार दें छिलका
राजधानी के बाजारों में इन दिनों बाजार में केला, आम, कीवी, सेब, संतरे, नाशपाती सबसे ज्यादा स्टीकर लगे हुए होते हैं. यहीं नहीं स्टीकर लगा हुआ देख ग्राहक भी इसे धड़ल्ले से खरीदता हैं. एफएसएसएआई (FSSAI) ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि स्टीकर लगे फल खाने के पहले उसे अच्छी तरह से धो लें और बाद में उसका सेवन करें. वहीं जहां स्टीकर चिपका हुआ हो वहां का कुछ गूदा काट कर निकाल दें.


इसे भी पढे़ं- मुस्लिम समाज के लोगों ने कांवड़ियों पर बरसाए फूल, बांटे फल

लखनऊ: बाजार में बिकने वाले फलों को सेहत के लिए फायदेमंद समझकर लोग खरीदते हैं. वहीं, ज्यादातर महंगे फलों पर गुड क्वालिटी के स्टीकर भी लगे होते हैं. जिन्हें ग्राहक अच्छा मानते हैं, लेकिन ऐसे फलों को खाने के कुछ दुष्परिणाम भी है. दरअसल, फलों पर स्टीकर को चिपकाने वाली गोंद में रसायन होता है. जिससे कई बीमारियों के बढ़ने का खतरा बढ़ जाता है. हाल ही में फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड ऑफ अथॉरिटी ऑफ इंडिया यानि एफएसएसएआई (FSSAI) ने इसका खुलासा किया हैं. यही नहीं एफएसएसएआई (FSSAI) ने इसको लेकर एडवाइजरी भी जारी की है.

स्पेशल रिपोर्ट.

फल आपकी सेहत को पहुंचा सकते हैं नुकसान
स्टीकर पर ब्रांड नाम, टेस्टेड ओके, बेस्ट क्वालिटी या प्रॉडक्ट के नाम लिखकर ग्राहकों को इनके प्रीमियम होने के भ्रम में रखा जाता हैं. जबकि इसका फलों की टेस्टिंग या क्वालिटी से कोई लेना-देना नहीं होता हैं. वहीं स्टीकर लगाकर फल बेचना भी फूड स्टैंडर्स के मानकों के विपरीत हैं.

स्टीकर वाले फल खाने से हो जाएं सावधान
राजधानी में ही नहीं पूरे उत्तर प्रदेश में स्टीकर वाले फल बेचने पर मनाही है, लेकिन इसके बावजूद भी बाजारों में खुलेआम ऐसे फलों की बिक्री जारी है. लोग फलों को अपनी सेहत के लिए फायदेमंद जान कर खाते हैं, लेकिन ऐसे फल जिन पर गुड क्वालिटी वाली स्टिकर लगे होते हैं. यह फायदा नहीं बल्कि सेहत के लिए बड़ा नुकसान पहुंचा सकते हैं. स्टीकर की गोद में लगा हुआ घातक रसायन पेट की अल्सर और कैंसर जैसी घातक बीमारियां पैदा करने की क्षमता रखता है.

फूड सेफ्टी स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की एडवाइजरी
स्टीकर लगे फलों की ब‍िक्री पर फूड सेफ्टी स्टैंडर्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने एडवाइजरी जारी करते हुए बताया क‍ि फलों को चमकाने के लिए की जाने वाली मोम की कोटिंग और स्टीकर लगे फल बेचने पर मनाही है. खासकर ऐसे फल जिनको छिलके के साथ खाया जाता है उनको पॉलिश करके या स्टीकर लगाकर नहीं बेचा जा सकता. कुछ फलों पर मोम की पॉलिश रहती है, जिसको करने का मकसद फल को चमकाना होता है.
FSSAI ने पॉलिश किये हुए और स्टीकर लगे फलों की बिक्री पर रोक लगाने के आदेश दिए हुए हैं. राजधानी में मुख्य खाद्य सुरक्षा अधिकारी डॉ. शैलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया स्टीकर लगे फलों की बिक्री पर रोक है और समय-समय पर ऐसे दुकानदारों के खिलाफ अभियान भी चलाया जाता है और लोगों के बीच में जागरूकता फैलाई जाती है कि ऐसे फलों को न खाएं.

क्यों हानिकारक होते हैं स्टीकर वाले फल
बाजार में इन दिनों स्टीकर लगे हुए संतरे, कीवी और सेव जैसे फल दुकानों पर धड़ल्ले से बिक रहे हैं. वहीं यह फल स्टीकर की वजह से ज्यादा सेहत को नुकसान पहुंचाने की क्षमता रखते हैं. इन फलों के गोंद में कैंसर वाले रसायन पाए जाते हैं. यह खतरनाक कैमिकल होता है, जो कि फलों के भीतर पहुंच जाता है. वही गोंद कुछ समय के बाद घातक होने पर लोगों के लिए खतरनाक हो जाता है. इसकी पहले जांच हुई है.

ब्रांड और क्वालिटी वाले स्टीकर भ्रमित है उपभोक्ता
बाजार में जिन फलों पर जो स्टीकर चिपके होते हैं, उन पर व्यापारी के ब्रांड का नाम, ओके टेस्टेड, बेस्ट क्वालिटी या फल का नाम लिखा हुआ होता है. फल विक्रेता फलों में स्टीकरों का इस्तेमाल उत्पाद को प्रीमियम दर्जें का दिखाने के लिए करते है. ऐसा पिछले कई सालों से चल रहा है. स्टीकर लगे सीप खरीद रही महिला उपभोक्ता सीमा जलोटा बताती हैं कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है. वह अच्छी क्वालिटी के चक्कर में ऐसे फलों को खरीदते हैं.

स्टीकर लगे फलों की कितनी है आवक
राजधानी के सीतापुर रोड स्थित नवीन फल मंडी में सेब के थोक व्यापारी सतीश गुलाटी बताते हैं कि प्रतिदिन मंडी से 40 टन सेब लखनऊ समेत आसपास के जिलों में भेजा जाता है. वहीं इन सेब के फलों में बड़ी कंपनियां और दिल्ली के आढत वाले ने अपने ब्रांड के स्टीकर लगाए हुए होते हैं. यह स्टिकर इन ब्रांड की पहचान के साथ-साथ क्वालिटी को बताते हैं जो नुकसान दायक नहीं होते हैं.

ऐसे फलों का उतार दें छिलका
राजधानी के बाजारों में इन दिनों बाजार में केला, आम, कीवी, सेब, संतरे, नाशपाती सबसे ज्यादा स्टीकर लगे हुए होते हैं. यहीं नहीं स्टीकर लगा हुआ देख ग्राहक भी इसे धड़ल्ले से खरीदता हैं. एफएसएसएआई (FSSAI) ने अपनी एडवाइजरी में कहा है कि स्टीकर लगे फल खाने के पहले उसे अच्छी तरह से धो लें और बाद में उसका सेवन करें. वहीं जहां स्टीकर चिपका हुआ हो वहां का कुछ गूदा काट कर निकाल दें.


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