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LDA के कम्प्यूटर रिकॉर्ड में 'ओटीपी' का खेल, जानिए पूरा सच - लखनऊ साइबर टीम

लखनऊ विकास प्राधिकरण में आवंटियों के डाटा से छेड़छाड़ होने का मामला सामने आया है. इस विभाग में अनुभवी और काबिल टीम है. बिना ओटीपी के किसी की आईडी से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. इसके बाद भी एग्जीक्यूटिव सिस्टम इंचार्ज ने पूरे मामले से हाथ खड़े कर दिए हैं.

लखनऊ विकास प्राधिकरण
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Published : Nov 19, 2020, 4:51 PM IST

लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण में ऑनलाइन रिकार्ड में लम्बे समय से खेल चल रहा है. 50 सम्पत्तियों की हेराफेरी का मामला लखनऊ विकास प्राधिकरण में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह मामला आज तक पकड़ में नहीं आया है या फिर सोच-समझकर अनदेखा किया गया. वहीं डाटा का जिम्मा संभाल रहे अफसरों ने भी आखें बंद रखी हैं. यही नहीं आज तक कभी उसे क्रॉस चेक कराने की जिम्मेदारी भी महसूस नहीं की गई. मामले में डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं.

जानें पूरा मामला
यह फर्जीवाड़ा एलडीए की चार योजनाओं के भूखण्डों में हुआ है. गोमतीनगर में संपत्तियां सबसे ज्यादा महंगी हैं. इसलिए यहां के मामले सबसे ज्यादा हैं. दूसरे नंबर पर जानकीपुरम और तीसरे नंबर पर प्रियदर्शिनी कॉलोनी है. कानपुर रोड योजना के भी कुछ मामले हैं. डीएम व एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने साइबर एक्सपर्ट्स से जांच के आदेश दिए हैं. एलडीए की वेबसाइट में छेड़छाड़ की निष्पक्ष जांच होने से कई अफसर भी फंस सकते हैं.

लखनऊ विकास प्राधिकरण में आवंटियों के डाटा से छेड़छाड़ न हो सके. इसके लिए बाकायदा एक सिस्टम काम करता है. कोई भी बिना एलडीए के एग्जीक्यूटिव सिस्टम की अनुमति के हेरा-फेरी नहीं कर सकता है. इसके बाद भी एलडीए में आवंटियों के डाटा से ऑनलाइन छेड़छाड़ बदस्तूर जारी है. इस विभाग में अनुभवी और काबिल टीम है. बिना ओटीपी के किसी की आईडी से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. इसके बाद भी एग्जीक्यूटिव सिस्टम इंचार्ज एसबी भटनागर ने पूरे मामले से हाथ खड़े कर दिए हैं.

डाटा कम्प्यूटर में बदलने के लिए ओटीपी की जरूरत
एग्जीक्यूटिव सिस्टम इंचार्ज का कहना है कि किसी अन्य यूजर आईडी से किसी अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा भी सम्पत्तियों का डाटा बदलने से इन्कार नहीं किया जा सकता है. सरकारी विभाग होने के चलते लखनऊ विकास प्राधिकरण से संपत्ति खरीदने में लोगों को भरोसा है, लेकिन इस पर भी विश्वास करना भारी पड़ रहा है. लखनऊ विकास प्राधिकरण अपनी व्यवस्थाओं को फुल प्रूफ करने के बजाय कमजोरियों से वरिष्ठों को अवगत कराकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश में लगा हुआ है.

जांच समिति की अध्यक्ष ऋतु सुहास का कहना है कि डाटा कम्प्यूटर में बदलने के लिए ओटीपी की जरूरत होती है. बिना इसके डाटा नहीं बदला जा सकता है. पूरे मामले की जांच के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है.

लखनऊ: लखनऊ विकास प्राधिकरण में ऑनलाइन रिकार्ड में लम्बे समय से खेल चल रहा है. 50 सम्पत्तियों की हेराफेरी का मामला लखनऊ विकास प्राधिकरण में चर्चा का विषय बना हुआ है. यह मामला आज तक पकड़ में नहीं आया है या फिर सोच-समझकर अनदेखा किया गया. वहीं डाटा का जिम्मा संभाल रहे अफसरों ने भी आखें बंद रखी हैं. यही नहीं आज तक कभी उसे क्रॉस चेक कराने की जिम्मेदारी भी महसूस नहीं की गई. मामले में डीएम ने जांच के आदेश दिए हैं.

जानें पूरा मामला
यह फर्जीवाड़ा एलडीए की चार योजनाओं के भूखण्डों में हुआ है. गोमतीनगर में संपत्तियां सबसे ज्यादा महंगी हैं. इसलिए यहां के मामले सबसे ज्यादा हैं. दूसरे नंबर पर जानकीपुरम और तीसरे नंबर पर प्रियदर्शिनी कॉलोनी है. कानपुर रोड योजना के भी कुछ मामले हैं. डीएम व एलडीए उपाध्यक्ष अभिषेक प्रकाश ने साइबर एक्सपर्ट्स से जांच के आदेश दिए हैं. एलडीए की वेबसाइट में छेड़छाड़ की निष्पक्ष जांच होने से कई अफसर भी फंस सकते हैं.

लखनऊ विकास प्राधिकरण में आवंटियों के डाटा से छेड़छाड़ न हो सके. इसके लिए बाकायदा एक सिस्टम काम करता है. कोई भी बिना एलडीए के एग्जीक्यूटिव सिस्टम की अनुमति के हेरा-फेरी नहीं कर सकता है. इसके बाद भी एलडीए में आवंटियों के डाटा से ऑनलाइन छेड़छाड़ बदस्तूर जारी है. इस विभाग में अनुभवी और काबिल टीम है. बिना ओटीपी के किसी की आईडी से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती है. इसके बाद भी एग्जीक्यूटिव सिस्टम इंचार्ज एसबी भटनागर ने पूरे मामले से हाथ खड़े कर दिए हैं.

डाटा कम्प्यूटर में बदलने के लिए ओटीपी की जरूरत
एग्जीक्यूटिव सिस्टम इंचार्ज का कहना है कि किसी अन्य यूजर आईडी से किसी अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा भी सम्पत्तियों का डाटा बदलने से इन्कार नहीं किया जा सकता है. सरकारी विभाग होने के चलते लखनऊ विकास प्राधिकरण से संपत्ति खरीदने में लोगों को भरोसा है, लेकिन इस पर भी विश्वास करना भारी पड़ रहा है. लखनऊ विकास प्राधिकरण अपनी व्यवस्थाओं को फुल प्रूफ करने के बजाय कमजोरियों से वरिष्ठों को अवगत कराकर अपना पल्ला झाड़ने की कोशिश में लगा हुआ है.

जांच समिति की अध्यक्ष ऋतु सुहास का कहना है कि डाटा कम्प्यूटर में बदलने के लिए ओटीपी की जरूरत होती है. बिना इसके डाटा नहीं बदला जा सकता है. पूरे मामले की जांच के बाद ही किसी नतीजे पर पहुंचा जा सकता है.

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