लखनऊ : उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की तैयारियां तेजी से चल रही हैं. प्रदेश भर में पंचायतों के परिसीमन के बाद उत्तर प्रदेश में जिला पंचायतों में वार्डों की संख्या घट गई है. यह इसलिए हुआ कि प्रदेश भर में शहरी क्षेत्रों के सीमा विस्तार की वजह से ग्राम पंचायतों का बड़ा हिस्सा नगर निकायों में शामिल किया गया है. इसकी वजह से एक तरफ जहां ग्राम पंचायतों की संख्या कम हुई है तो वहीं वार्डों की संख्या में भी कमी आई है. वर्ष 2015 की तुलना में जिला पंचायतों में 69 वार्डों की कमी आई है. पहले यह संख्या 3120 थी जो अब घटकर 3051 रह गई है. उत्तर प्रदेश में शहरी क्षेत्रों के सीमा विस्तार की वजह से 880 ग्राम पंचायत शहरी क्षेत्रों में शामिल हुई हैं.
परिसीमन के बाद कम हुई संख्या
दरअसल पंचायत से पहले प्रदेश भर में कराए गए पंचायतों के परिसीमन के अंतर्गत यह जानकारी सामने आई है कि प्रदेश भर में ग्राम पंचायतों की संख्या घटी है तो ग्राम पंचायत वालों की संख्या में भी कमी आई है. प्रदेश में अब 59,074 की जगह पर 58,194 ग्राम पंचायतों में प्रधान चुनाव लड़ेंगे.
वार्ड भी हुए कम
ग्राम पंचायतों में वार्डों की संख्या भी 12,745 कम हो गई है. इसी प्रकार ब्लॉक प्रमुख 826 पदों पर होगा और इसके लिए प्रदेश में 75805 क्षेत्र पंचायत सदस्य चुने जाएंगे, जो वर्ष 2015 की तुलना में 1996 कम हुए हैं.
2015 की तुलना में आई है कमी
उत्तर प्रदेश की पंचायती राज निदेशक किंजल सिंह ने बताया है कि परिसीमन के बाद वर्ष 2015 की तुलना में यह कमी आई है. ग्राम पंचायत वार्ड 7 लाख 44 हजार 558 से घटकर 7 लाख 31 हजार 813 हो गए हैं. इसी तरह क्षेत्र पंचायत सदस्य में भी कमी आई है. यह 77,801 से कम होकर 75,105 हो गए हैं. जिला पंचायत सदस्य भी 3120 की जगह 3051 रह गए हैं.
36 जिलों में हुआ है परिसीमन
इसके अलावा उत्तर प्रदेश में 36 ऐसे जिले हैं, जहां पर जिला पंचायत सदस्यों की संख्या में कोई बदलाव नहीं हो पाया है. जबकि तीन जिलों में वर्ष 2015 से अधिक सदस्य चुने जाएंगे. इनमें गोंडा में 51 की जगह पर 65 मुरादाबाद में 34 की जगह पर 39 तो संभल में 27 की जगह पर 35 जिला पंचायत सदस्य निर्वाचित हो चुके हैं. इन जिलों में ग्राम पंचायतों का सीमा विस्तार हुआ है, इसकी वजह से यह संख्या बढ़ी है.