लखनऊ : हाईकोर्ट के लखनऊ बेंच की अवध बार एसोसिएशन ने इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) की कॉलेजियम द्वारा सुप्रीम कोर्ट के चार अधिवक्ताओं के नाम हाईकोर्ट में जज बनाने के लिए भेजने को मनमाना करार दिया है व इस संस्तुति का विरोध भी शुरू हो गया. अवध बार ने प्रस्ताव पारित कर कहा है कि कॉलेजियम के प्रस्ताव के विरोध में सभी अधिवक्ता लखनऊ खंडपीठ में अगले दो दिनों तक न्यायिक कामकाज से विरत रहेंगे.
अवध बार के महासचिव अमरेंद्र नाथ त्रिपाठी ने कहा कि यह संस्थान को बचाने व जनहित का विषय है, लिहाजा सभी अधिवक्ताओं को एकजुट होकर इलाहाबाद हाईकोर्ट के कॉलेजियम के निर्णय का विरोध करना चाहिए. कॉलेजियम में हाईकोर्ट के मुख्य न्यायमूर्ति के अलावा हाईकोर्ट के अन्य वरिष्ठतम जज होते हैं. मीडिया रिपोर्ट्स का हवाला देते हुए कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की कॉलेजियम ने यहां की बार एसोसिएशनों के अधिवक्ताओं के बीच से जज बनाने के लिए 16 में से चार नाम सुप्रीम कोर्ट में वकालत करने वाले अधिवक्ताओं के संस्तुत कर दिये हैं. इसके विरोध में अवध बार के अध्यक्ष राकेश चौधरी की अध्यक्षता में गुरूवार को आपात बैठक बुलाई गई और बैठक में सदस्यों ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के कॉलेजियम की संस्तुति को मनमाना बताया. कहा गया कि बार ने 11 मार्च 2022 को ही चीफ जस्टिस को हाल ही में प्रारम्भ की गई इस प्रथा को रोकने के लिए प्रस्ताव भेजा था, बावजूद इसके लखनऊ या इलाहाबाद में प्रैक्टिस न करने वाले अधिवक्ताओं के नाम की संस्तुति कर दी गई.
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बार ने प्रस्ताव में यह भी कहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट कॉलेजियम को उन्हीं अधिवक्ताओं के नाम जज नियुक्त करने के लिए संस्तुत करना होता है जो उनके सामने बहस करते आए हों और जिनके बारे में यहां के जजों ने यथार्थपरक मूल्यांकन किया हो. कहा गया है कि जिन अधिवक्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में वकालत की है उनके विषय में यहां के जज कोई मूल्यांकन नहीं कर सकते.
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